महाराष्ट्र में पूर्ण बहुमत की सरकार सत्ता में आई। लेकिन जो तस्वीर सामने दिख रही है, उससे यह सवाल उठ रहा है कि यह सरकार नहीं बल्कि क्या मोदी के तंबू में जंबो सर्कस है? कल तक खुद को बाघ, शेर, हाथी आदि शक्तिशाली मानने वाले जानवर पिंजरों में बंद हैं और भाजपा के इशारे पर उछल-कूद कर रहे हैं या खेल खेल रहे हैं। बदले में भाजपा उनके मुंह पर टुकड़े फेंक रही है। चूंकि शिंदे समूह मलाईदार महकमे प्राप्त करना चाहता था, इसलिए उन्होंने पिंजरे के भीतर रूठना- मनाना शुरू कर दिया, लेकिन अजीत पवार उन सभी में सबसे चतुर निकले। पवार ने बिना किसी हीला- हवाली के उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली और ना-नुकुर न करने के बदले में उन्होंने क्या पाया? उनकी हजार करोड़ रुपए की संपत्ति, जो ईडी, आयकर विभाग द्वारा बेनामी के रूप में जब्त कर ली गई थी। अजीत पवार के शपथ लेने के तुरंत बाद दिल्ली ट्रिब्यूनल कोर्ट ने आयकर विभाग द्वारा जब्त की गई इस संपत्ति को रिलीज करने का आदेश दिया। २०२१ में भाजपा के दबाव के चलते इनकम टैक्स, ईडी आदि जांच एजेंसियों ने अजीत पवार की इस संपत्ति को जब्त कर लिया था। अजीत पवार और उनके परिवार ने मानो जैसे खेत में, पोल्ट्री फार्म में, रोजगार गारंटी में दिन-रात मेहनत करके यह संपत्ति जमा की थी। स्पार्कलिंग सॉइल, गुरु कमोडिटीज, फायर पावर एग्री फार्म, निबोध ट्रेडिंग, अजीत पवार के स्वरोजगार, कुटीर उद्योग और व्यवसायों से जुड़ी कंपनियों पर छापे मारे गए। पैसे की गड़बड़ी की जांच शुरू की गई। खुद को ‘दादा’ कहने वाले के सिर पर गिरफ्तारी की तलवार लटका दी गई और खुद प्रधानमंत्री मोदी ने एलान कर दिया कि अजीत पवार ने ७० हजार करोड़ का सिंचाई घोटाला किया है, लेकिन उसके चौथे दिन ही पवार भाजपा की वॉशिंग मशीन में घुसकर पवित्र होकर निकले और कल साक्षात मोदी महाराज की मौजूदगी में उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर
एक हजार करोड़ की
जब्त की गई संपत्ति छुड़वा ली। अब इनकम टैक्स, ईडी आदि जांच एजेंसियों को क्या करना चाहिए? क्या उनके द्वारा की गई कार्रवाइयों को झूठा कहा जाना चाहिए या मोदी, फडणवीस आदि द्वारा उगले गए भ्रष्टाचार को बोगस माना जाना चाहिए? ये लोग अजीत पवार को चक्की पीसने के लिए भेजने वाले थे। अजीत पवार पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की वजह से ही फडणवीस ने दहाड़ते हुए कहा था, ‘मैं अविवाहित रहूंगा, लेकिन एनसीपी के साथ नहीं जाऊंगा।’ उनके पास सिंचाई घोटाले के सबूतों से भरी दो बैलगाड़ियां थीं। अब कौन सा अजगर उस सबूत को निगल गया? अजीत पवार द्वारा भाजपा में शामिल होकर शपथ लेना यह मोदी-फडणवीस का भ्रष्टाचार और उसके तुरंत बाद हजार करोड़ की जब्त संपत्ति को मुक्त किया जाना यह जनता के साथ धोखा है। इससे पहले भाजपावासी बने प्रफुल्ल पटेल की ३०० करोड़ की संपत्ति ‘ईडी’ द्वारा पवित्र कर छोड़ दी गई थी। वह संपत्ति दाऊद, इकबाल मिर्ची जैसे लोगों से संबंधित होने का आरोप पत्र ईडी ने ही लगाया था। उस आरोप पत्र को अब जनता के दर्शनार्थ दिल्ली के नेशनल म्यूजियम या लोककल्याण मार्ग पर रखा जाना चाहिए जहां मोदी रहते हैं। यह देश का अनमोल खजाना ही था और इसे मोदी सरकार ने आजाद कराया है। अंग्रेजों द्वारा ले जाए गए कोहिनूर हीरे व हमारी ऐतिहासिक तलवार के बजाय, पटेल-पवारों के खिलाफ आरोप पत्र और उसके बाद संपत्ति रिलीज के ‘क्लीन चिट’ आदेश के जाहिरनामों का उपयोग दुनियाभर में शोध के लिए किया जाएगा। अब अगर मुंबई के दाऊद, छोटा शकील आदि की जब्त संपत्ति भी पवित्र हो जाए तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए। इससे स्पष्ट है कि भाजपा पाखंडियों की पार्टी है और वे केवल चुनाव जीतने के लिए वोट जिहाद, हिंदू-मुस्लिम, भ्रष्टाचार विरोधी नारे लगाते हैं। राज्यसभा में विपक्षी दल की एक बेंच पर सिर्फ ५० हजार का बंडल मिला तो सत्ताधारी
बेंच और छाती
पीटने लगते हैं। यह रकम कहां से आई? यह पैसा काला है या सफेद? ऐसे सवाल राज्यसभा में पूछे जाने लगे। वाह, क्या भ्रष्टाचार विरोधी आवेग है यह? हालांकि ये पाखंडी सिंचाई घोटाले के पैसे से अर्जित अजीत पवार की हजार करोड़ की संपत्ति को पवित्र कर देते हैं, लेकिन उसी संसद में अडानी के भ्रष्टाचार पर बात नहीं होने देते और सिर्फ ५० हजार के लिए विपक्षियों से हिसाब-किताब मांगते हैं? इस पाखंड का कोई इलाज नहीं। इस तरह के पाखंड का स्पष्ट प्रदर्शन मोदी की मौजूदगी वाले शपथ ग्रहण समारोह में देखने को मिला। मोदी महाराज के अंधभक्त कहें या सभी भाजपा समर्थकों ने शाहरुख खान की फिल्म ‘पठान’ का बहिष्कार कर दिया था। आंदोलन वगैरह किया गया था कि ‘पठान’ मत देखिए। इन्हीं लोगों ने शाहरुख खान की फिल्म ‘जवान’ का भी विरोध किया था, उस खान और उनके धर्म पर कीचड़ उछाला था। शाहरुख के बेटे को ड्रग्स के झूठे अपराध में फंसाकर बेचारे शाहरुख को भी आरोपों के पिंजरे में खड़ा कर शाहरुख की देशभक्ति पर सवाल खड़े किए गए। लेकिन उन्हीं शाहरुख को कल के शपथ ग्रहण समारोह में विशेष रूप से आमंत्रित कर उन्हें सबसे पहली पंक्ति में बैठाया गया और पिछली सभी बातों को भूलकर ये खान महाशय भी भाजपा के अंधभक्तों के पाखंडी मेले में शामिल हो गए। शाहरुख की मजबूरी हम समझ सकते हैं, लेकिन इस मामले में भाजपा के पाखंड को कमाल का ही कहा जा सकता है। भ्रष्टाचार के आरोपी अजीत पवार को भाजपा ने उपमुख्यमंत्री तो बनाया ही साथ में जब्त की गई इस्टेट भी ससम्मान लौटा दी। देशद्रोही आदि का आरोप लगाकर शाहरुख खान को ‘रेड कार्पेट’ पर शपथ समारोह में आमंत्रित किया गया। अब पद्म भूषण जैसा कोई ‘पाखंड भूषण’ ‘खिताब’ तैयार कर भाजपा के पर्दे के पीछे के चाणक्यों को दिया ही जाना चाहिए!