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गरीबों के साथ सरकारी सौतेलापन … जांच के लिए मरीजों को भेज रहे निजी लैब्स में! …सरकारी अस्पताल में सुविधा नदारद

सामना संवाददाता / मुंबई
कुर्ला हादसे में ४९ लोग घायल हुए हैं, जिनका इलाज सरकारी अस्पतालों में चल रहा है। इनमें अधिकांश गरीब मरीज हैं, पर उनके साथ वहां सरकारी सौतेलापन देखने को मिल रहा है। वहां जांच की सुविधा नदारद है और विभिन्न जांचों के लिए मरीज बाहर निजी लैब्स में भेजे जा रहे हैं। इससे मरीजों के परिजन काफी नाराज हैं।
इस हादसे के बाद एक तरफ मुख्यमंत्री ने मृतकों के परिजनों को आर्थिक सहायता की घोषणा की है, वहीं दूसरी तरफ घायलों के परिजनों से इलाज के लिए पैसे मांगने के कई मामले सामने आए, जो इस आपदा में बेहद अमानवीय कृत्य है। बाहर निजी लैब्स में जांच के लिए काफी मोटी रकम मांगी जाती है, जो गरीब मरीजों की औकात के बाहर की बात है। अब वे यहां-वहां से पैसे का जुगाड़ करके किसी तरह से काम चला रहे हैं। बता दें कि इस हादसे की चपेट में आए कई लोग काफी गरीब हैं।

जाओ बाहर से एमआरआई कराकर लाओ!
सरकारी अस्पताल के फरमान से परेशान हैं गरीब मरीजों के परिजन

कुर्ला हादसे में घायल मरीजों के परिजन परेशान हैं। उन्हें सरकारी अस्पताल में बाहर से महंगी जांच कराने को कहा जा रहा है। हादसे में घायल अख्तर खान के परिवार ने आरोप लगाया है कि अस्पताल ने उन्हें बाहर से एमआरआई कराने के लिए कहा है, जिसकी लागत ६,००० रुपए है।
अख्तर खान की बेटी ने बताया कि उनके पिता एक ऑटोरिक्शा चालक हैं और उनका पूरा सामान हादसे में नष्ट हो गया। पैसे कुछ बचे नहीं हैं, इस स्थिति में इलाज का खर्च उठाना उनके लिए असंभव है। मृतक कनीस फातिमा के बेटे आबिद शेख ने आरोप लगाया कि मृत शरीर को ले जाने के लिए भी उनसे पैसे मांगे जा रहे हैं। उन्होंने सरकार की ५ लाख की मदद को अस्वीकार करते हुए कहा कि वे चाहते हैं कि उचित कार्रवाई की जाए और ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। बता दें कि इस घटना को लेकर पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और आरोपी ड्राइवर संजय मोरे का ड्राइविंग लाइसेंस जब्त कर लिया गया है। बस की पूरी जांच-पड़ताल की जा रही है और चालक के खिलाफ गैर-इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया गया है।

अख्तर खान की बेटी ने बताया कि उनके पिता एक ऑटोरिक्शा चालक हैं और उनका पूरा सामान हादसे में नष्ट हो गया। पैसे कुछ बचे नहीं हैं, इस स्थिति में इलाज का खर्च उठाना उनके लिए असंभव है।

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