सामना संवाददाता / मुंबई
मध्य रेलवे के कुर्ला स्टेशन पर यात्रियों की जिंदगी से रेल विभाग खिलवाड़ कर रहा है। कुर्ला स्टेशन के पूर्व और पश्चिम हिस्सों को जोड़ने वाले प्रमुख पैदल पुल को तोड़ने का काम पिछले डेढ़ महीने से चल रहा है, लेकिन यह काम रफ्तार नहीं पकड़ रहा है। रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि इसे तोड़ने में अभी दो महीने और लग सकते हैं।
कमजोर पुल, खतरा ज्यादा
कुर्ला स्टेशन पर एफओबी हैं, जिनमें से तीसरा पुल, जो ठाणे की ओर है वह कमजोर पाया गया। जांच के बाद प्लेटफॉर्म नंबर १, १ए, २, ३ और ४ को जोड़ने वाले हिस्से को खतरनाक घोषित किया गया। अधिकारियों का दावा है कि बाकी हिस्से मजबूत कर दिए गए हैं, लेकिन तोड़े जा रहे हिस्से की जगह नया पुल बनाने की कोई ठोस योजना नहीं है।
खतरे में जिंदगी
यात्रियों का कहना है कि पुल का पश्चिमी हिस्सा कमजोर और खतरनाक स्थिति में है। यह हिस्सा कभी भी गिर सकता है। यात्री रेल प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि इस काम को जल्द पूरा किया जाए। पुनर्निर्माण की कोई योजना नहीं और सुस्त रफ्तार से हो रहे काम ने यात्रियों के बीच नाराजगी बढ़ा दी है। सवाल यह है कि रेलप्रशासन आखिर कब तक इस खतरे को नजरअंदाज करेगा?
काम सिर्फ २
पुल तोड़ने का काम रात में केवल १:३० से २ घंटे के लिए होता है। बिजली के तारों और पुल के अन्य हिस्सों को नुकसान पहुंचाए बिना सावधानी से काम किया जा रहा है, लेकिन धीमी प्रगति और कमजोर हिस्से को तोड़ने में हो रही देरी ने इसे और खतरनाक बना दिया है।