मुख्यपृष्ठटॉप समाचारमिडनाइट सस्पेंस! ...सवा १२ बजे अमित शाह के घर से निकले सीएम...

मिडनाइट सस्पेंस! …सवा १२ बजे अमित शाह के घर से निकले सीएम फडणवीस

-मंत्रालय बंटवारे पर माथापच्ची, नहीं हो पा रहा है पैâसला
-गृह मंत्रालय के लिए नाराज हैं उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
राजनीतिक गलियारों में इस तरह की चर्चा है कि महाराष्ट्र में मंत्रिमंडल का विस्तार कल १४ दिसंबर को होगा। महाराष्ट्र में फडणवीस, शिंदे और अजीत दादा पवार के त्रिगुट के बीच मंत्रालय बंटवारे का पेच फंसा हुआ है। यही वजह है जब मुंबई में बात नहीं बनी तो फडणवीस दिल्ली दरबार में पहुंच गए। यहां केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के दरबार में मंत्रिमंडल विस्तार पर माथापच्ची होती रही। स्थिति कितनी गंभीर है, इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अमित शाह से चर्चा करने के बाद फडणवीस मध्य रात्रि के आसपास उनके घर से बाहर आए। अब अमित शाह के घर में मिड नाइट को दोनों नेताओं के बीच क्या बातचीत हुई यह फिलहाल सस्पेंस है।
गौरतलब है कि बुधवार की देर रात नई दिल्ली में महाराष्ट्र सरकार के मंत्रिमंडल के विस्तार को लेकर भाजपा के राष्ट्रीय नेता और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के साथ बंद कमरे में लंबी बैठक चली। दिल्ली में अमित शाह से मुलाकात के लिए फडणवीस के साथ अजीत पवार भी पहुंचे थे, जबकि शिंदे ने बीमारी का बहाना बनाकर खुद को इससे दूर कर लिया। हालांकि, कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में इस बात का भी दावा किया गया है कि शिंदे को दिल्ली चलने के लिए कहा ही नहीं गया था।

मंत्रिमंडल विस्तार में
कुछ बड़ा खेल होनेवाला है!
मंत्रालय बंटवारे पर फंसा हुआ है पेच

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के बीच घंटों बातचीत हुई। पर इस बातचीत के नतीजे पर सस्पेंस बना हुआ है। सूत्रों की मानें तो मंत्रिमंडल विस्तार में नाम को लेकर जो उलझन बनी हुई है, उसे छुड़ाने के लिए दोनों ने काफी माथापच्ची की। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि राज्य में मंत्रिमंडल विस्तार में कुछ बड़ा खेल होने वाला है।
बता दें कि शिंदे और अजीत पवार को भाजपा कई महत्वपूर्ण विभागों से दूर रखना चाहती है, साथ ही शिंदे गुट और अजीत पवार गुट के विवादित विधायकों एवं पूर्व मंत्रियों को इस बार मंत्रिमंडल में जगह नहीं देना चाहती है। जातीय समीकरण भी साधना है, ताकि राज्य की जनता में आक्रोश न बढ़े। इसके अलावा शहरी क्षेत्र में भी भाजपा को ध्रुवीकरण के लिए रणनीति पर काम करना है, ताकि आगामी मनपा और नपा चुनाव में इसका फायदा ले सके। ऐसे में इस मंत्रिमंडल में मंत्री पद किसे देना है और किसे नहीं देना है, यह भाजपा के लिए एक चुनौती बन गई है। उधर डिप्टी सीएम अजीत पवार ने खुद इसकी पुष्टि की।

२५ विधायकों को मिल सकता है मौका
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का दूसरा मंत्रिमंडल कैसा होगा, इसकी भनक किसी को नहीं लग पा रही है। यही वजह है कि मुंबई से लेकर दिल्ली तक सस्पेंस बना हुआ है। महायुति की पिछली सरकार में कुल २८ मंत्री थे। इसमें एक सीएम और दो डिप्टी सीएम थे। राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि इस बार भाजपा के करीब २५ विधायकों को मंत्री बनने का मौका मिल सकता है।

अन्य समाचार