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राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग सख्त नवी मुंबई पुलिस आयुक्त को नोटिस

– दलित युवक को फंसाने की धमकी, पुलिस पर वसूली करने का आरोप
अशोक तिवारी / मुंबई
राज्य में पुलिस द्वारा दलितों का उत्पीड़न और शोषण खुलेआम हो रहा है। एक बार फिर से देवेंद्र फडणवीस के गृहमंत्री बनने की अटकलों के बीच पुलिसकर्मियों के हौसले बुलंद हो गए हैं। पुलिसकर्मियों में चर्चा है कि देवेंद्र फडणवीस के गृहमंत्री बनते ही एक बार फिर से उनकी लूट-खसोट और वसूली की दुकान चल पड़ेगी। पुलिसकर्मियों द्वारा जनता को लूटने का मामला किस हद तक जारी है। इसका एक सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया है। करीब २१ महीने पूर्व एक दलित युवक को फर्जी मामले में फंसाने की धमकी देकर लूटने वाले पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई न करने से नाराज राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने नवी मुंबई के पुलिस कमिश्नर को ३० दिनों में की गई कार्रवाई की रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। बता दें कि आयोग और वरिष्ठ पुलिसकर्मियों को दी गई शिकायत के अनुसार लॉ स्टूडेंट रूपेश रविढोने को २६ मार्च २०२३ को पुलिस ने उनकी कार समेत रात को कोपर खैराणे पुलिस स्टेशन ले गई। रुपेश का आरोप है कि यहां उन्हें जातिसूचक शब्दों से अपमानित किया गया और फर्जी मामले में फंसाने की धमकी देकर २५००० रूपए की मांग की गई। इसके बाद रूपेश ने एटीएम से साढ़े ७ हजार रुपए निकालकर दिए थे। इस दौरान पुलिसकर्मियों ने उन्हें पैर छूकर माफी मांगने के लिए भी कहा। इसके बाद रुपेश ने ईमेल और ट्विटर से तुरंत इस घटना की जानकारी पुलिस आयुक्त समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को दी थी। पुलिस द्वारा कार्रवाई न करने के बाद रूपेश ने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग को भी शिकायत की थी। इस शिकायत पर संज्ञान लेते हुए आयोग ने मामले की जांच करने का पैâसला किया।

मेरी शिकायत के करीब २१ महीने बीतने के बावजूद दोषी पुलिसकर्मियों पर कोई कार्रवाई नहीं की। पुलिस के अत्याचार के कई मामले पूरे महाराष्ट्र में हैं, लेकिन लोग पुलिस के डर से सामने नहीं आते हैं।
रूपेश रविढोने (शिकायतकर्ता)

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