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शिंदे-अजीत पवार की हालत पतली! … दादा के हाथ से जाएगा वित्त तो शिंदे को जलसंपदा भी नहीं … मंत्रालय बंटवारे में दोनों को लगा जबरदस्त झटका

– नाराज उपमुख्यमंत्रियों ने विधानमंडल सत्र से बनाई गुपचुप दूरी
रामदिनेश यादव / नागपुर
राज्य में महायुति सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार में अजीत पवार और एकनाथ शिंदे गुट को महत्व नहीं दिए जाने से उनकी नाराजगी बढ़ती जा रही है। दोनों को दर्द इतना है कि वे महसूस तो कर रहे हैं, लेकिन बयानबाजी नहीं कर पा रहे हैं और भाजपा है कि उन्हें झटके पर झटका दे रही है। मानो उन्हें गद्दारी का सबब मिल रहा है। अब खबर है कि मंत्रिमंडल के विस्तार के बाद मंत्रालय में विभागों के बंटवारे पर भी शिंदे और अजीत पवार को झटका मिलनेवाला है। शिंदे को गृह मंत्रालय तो बिल्कुल नहीं, अब उन्हें शहरी विकास और जलसंपदा विभाग भी नहीं मिलेगा, तो वहीं अजीत पवार को वित्त मंत्रालय से दूर किया जाएगा। इसके अलावा उन्हें महिला बाल विकास विभाग भी नहीं मिलेगा। ऐसे में शिंदे गुट और अजीत पवार गुट को सत्ता के हिस्से में मलाईदार मंत्रालय नहीं मिलेगा, जिससे उनके चेहरे पर बारह बजे हैं। जानकारों की मानें तो सत्ता में दरकिनार किए जाने से दोनों की हालत खराब हो गई है।
३० घंटे से अजीत पवार नॉट रिचेबल!
उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के ‘नॉट रिचेबल’ होने का मुद्दा एक बार फिर चर्चा में आ गया। कल शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन भी सदन से नदारद रहे। खबर है कि सत्ताधारियों की चाय पार्टी के बाद अजीत पवार ने किसी से मुलाकात नहीं की। बताया जा रहा है कि दादा नागपुर स्थित अपने बंगले पर भी नहीं हैं। इससे सबका ध्यान इस बात पर चला गया है कि आखिर उन्होंने सरकार के पहले अधिवेशन से मुंह क्यों मोड़ लिया।
चेहरे से मुस्कान गायब
शिंदे सदन में उपस्थित जरूर हो रहे हैं, लेकिन उनके चेहरे का भाव उड़ा है तो अजीत पवार इतने नाराज हैं कि नागपुर में होने के बावजूद वे विधानभवन में सदन की कार्यवाही में हिस्सा नहीं ले रहे हैं। लगातार दूसरे दिन भी नागपुर विधान भवन में नहीं दिखे, जिसे लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं।
बता दें कि राज्य में महायुति में भाजपा के साथ शिंदे और अजीत पवार गुट ने मिलकर २३० सीटों का आंकड़ा पार किया है। हालांकि, विपक्ष का आरोप है कि इतनी बड़ी जीत महायुति की नहीं, बल्कि एवीएम की जीत है, लेकिन फिर भी बहुमत मिलने के बाद भाजपा ने शिंदे को पहले मुख्यमंत्री पद से दूर किया, अब गृह मंत्रालय भी देने से इनकार किया है। अब शहरी विकास और जलसंपदा विभाग भी नहीं देने के पक्ष में हैं।

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