सामना संवाददाता / मुंबई
लोकसभा में मंगलवार को ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ विधेयक पेश किया गया। इस पर शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे ने मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि अडानी के मुद्दे से ध्यान भटकाने के लिए ही ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ जैसे विषय लाए जा रहे हैं। उन्होंने मांग करते हुए यह भी कहा कि ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ कह रहे हैं, फिर जिस तरीके से राष्ट्रपति का चयन चुनावी प्रक्रिया से होता है, ठीक उसी तरह ही चुनाव आयुक्त का भी चयन किया जाना चाहिए। चुनाव आयुक्त की नियुक्ति सरकार की ओर से नहीं की जानी चाहिए। लोकतंत्र में वोटरों का वोट कहां जा रहा है यह पता चलना चाहिए। इसके लिए मतदान प्रक्रिया पारदर्शी होनी चाहिए। पारदर्शिता बिना ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ नहीं होना चाहिए।
शिवसेनापक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे ने कल विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज की। वे विधान परिषद के कामकाज में भी शामिल हुए। इसके बाद विधान भवन परिसर में स्थित शिवसेना कार्यालय में वे मीडिया से मुखातिब हुए। महायुति में मंत्री पद के लिए पैâली नाराजगी, ‘लाडली बहन योजना’, ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ आदि मुद्दों पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने महायुति सरकार पर जोरदार हमला बोला।
फडणवीस के सामने शिवसेना के २० ही काफी! – उद्धव ठाकरे का आत्मविश्वास
विधानमंडल के विशेष अधिवेशन के दौरान कल शिवसेनापक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे ने प्रेस कॉन्प्रâेंस में मीडिया से बातचीत की। इस दौरान मीडिया ने यह मुद्दा उठाया कि महायुति की भारी बहुमत वाली सरकार के सामने शिवसेना के केवल २० विधायक ही विधानसभा में हैं। इस पर उद्धव ठाकरे ने बड़े आत्मविश्वास के साथ कहा कि फडणवीस के लिए शिवसेना के २० ही काफी हैं।
इस अवसर पर उद्धव ठाकरे ने तंज कसते हुए कहा कि ‘घाती’ सरकार की योजना थी ‘लाडली बहन’, अब नई सरकार आने के बाद ‘लाडले विधायक’ और ‘नाराज विधायक’ के बारे में चर्चा शुरू हो गई है। उन्होंने आगे कहा कि लाडली बहनों के खातों में पहला हफ्ता जमा हो गया। चुनाव के लिए इस योजना को स्थगित कर दिया गया था। अब चुनाव हो चुका है। आचार संहिता खत्म हो चुकी है। इसलिए सरकार को तत्काल इस योजना को शुरू करना चाहिए और किए गए वादों के मुताबिक ‘लाडली बहनों’ के खातों में २,१०० रुपए जमा करने चाहिए। लाडली बहन योजना पर कुछ शर्तें लगाए जाने की खबरें आ रही थीं। अब इन शर्तों को एक तरफ रखते हुए लाडली बहनों को पैसे दिए जाने की मांग भी इस दौरान उन्होंने की।
मनोरंजन के लिए करा रहे अधिवेशन
उद्धव ठाकरे ने राज्यपाल के भाषण पर खेद व्यक्त करते हुए कहा कि विपक्षी पार्टी को खेद व्यक्त करने का अधिकार है। राज्यपाल के भाषण में पर्यावरण का नामोनिशान तक नहीं है। वे इसके लिए एक समिति नियुक्त करने जा रहे हैं। उद्धव ठाकरे ने सवाल उठाया कि इस समिति में वास्तव में कौन होंगे और कितने विशेषज्ञ होंगे? आरे कारशेड के लिए पेड़ काटे गए, अब एक और कारशेड के लिए १,४०० पेड़ काटे जाने वाले हैं। उद्धव ठाकरे ने सवाल पूछा कि क्या यह समिति उस वध की अनुमति देगी? क्या यह सरकार महिला सुरक्षा के बारे में कुछ करेगी? उद्धव ठाकरे ने तंज कसते हुए यह भी कहा कि सरकार ने यह अधिवेशन मनोरंजन के लिए आयोजित किया है।
मंत्रिमंडल विस्तार में भी लगा समय
उद्धव ठाकरे ने कहा कि आज ही विधान परिषद में एक घटना से संबंधित मुद्दा उठाया गया। नागपुर में नकाब पहनकर डवैâती की गई, लेकिन पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने में देरी की। अगर ऐसा हो रहा है तो यह लोकतंत्र का मजाक है। दानवी बहुमत मिलने के बावजूद मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री का पैâसला करने में कई दिन लग गए। उद्धव ठाकरे ने कहा कि अब मंत्रिमंडल विस्तार में भी समय लग गया। कोई भी मंत्री सदन में जवाब नहीं देता। उन्होंने यह भी कहा कि कम से कम अब विभाग आवंटन की घोषणा जल्द ही की जानी चाहिए।
सदन में मोदी कितनी बार रहते हैं उपस्थित
एक सवाल का जवाब देते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा कि जनता के सदन में हमने मुद्दे रखे हैं। सभी मुद्दे पक्ष प्रमुख नहीं रखता है। उन्होंने कहा कि शिवसेना विधायक मुद्दा उठाएंगे। यद्यपि मोदी प्रधानमंत्री हैं, लेकिन वे सांसद भी हैं। उद्धव ठाकरे ने यह भी पूछा कि वे सदन में कितनी बार उपस्थित रहते हैं?
नेहरू-नेहरू रोना बंद करो, मोदीजी… पहले सावरकर को भारत रत्न दो
उन्होंने कहा कि कांग्रेस और भाजपा को सावरकर-सावरकर और नेहरू-नेहरू की बात करनी बंद कर देनी चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सबसे पहले नेहरू के बारे में रोना बंद करना चाहिए और पहले सावरकर को भारत रत्न दिया जाना चाहिए।
नई सरकार में असंतोष
विधानसभा चुनाव के नतीजे समझ से परे थे। इसे ईवीएम सरकार कहते हैं। इस सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार तो हुआ है, लेकिन कटौती की चर्चा अधिक है। उद्धव ठाकरे ने कहा कि असंतुष्टों के स्वर तेज हो रहे हैं। उद्धव ठाकरे ने अपराधी मंत्रियों पर निशाना साधते हुए कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा मंत्रियों का परिचय कराना तो आम बात है, लेकिन इस बार शायद पहली बार ऐसा हुआ कि मुख्यमंत्री को उन लोगों का भी माननीय मंत्री के तौर पर परिचय कराना पड़ा, जिन पर कई गंभीर आरोप हैं और उन पर ईडी-इनकम टैक्स के छापे पड़े हैं। माननीय मंत्री जी ने इसे सनातन धर्म बताया था। उन्होंने यह भी कहा कि केवल वे ही बता सकते हैं कि यह कौन सा धर्म है?
फिर ढाई साल में मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री भी बदलें
महायुति सरकार में मंत्रियों का मंत्री पद केवल ढाई साल के लिए होगा। इसके बाद अन्य विधायकों को मंत्री पद दिया जाएगा। इस पर चुटकी लेते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें पता है कि क्रिकेट में एक घूमती हुई ट्रॉफी होती है। लेकिन यह पहली बार है जब उन्होंने वैâबिनेट में एक घूमती हुई ट्रॉफी देखी है। उन्होंने सवाल किया कि क्या ढाई साल बाद मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री भी बदल जाएंगे, जैसे मंत्री बदलते हैं?