सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र में महायुति को विधानसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत तो मिला है, लेकिन अंदरूनी कलह थमने का नाम नहीं ले रही। हाल ही में महायुति सरकार के ३९ मंत्रियों ने शपथ ली है। इस बीच महायुति के अंदरूनी विवाद खुलकर सामने आ रहे हैं और नेताओं की नाराजगी भी बढ़ती जा रही है। वैâबिनेट में जगह न मिलने से नाराज वरिष्ठ नेता छगन भुजबल ने खुलकर अपनी नाराजगी जताई है और अपनी पार्टी के नेताओं को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा, ‘देवेंद्र फडणवीस का आग्रह था कि मुझे मंत्रिमंडल में शामिल किया जाए। मेरे सहयोगियों को भी पूरा भरोसा था कि मुझे न्याय मिलेगा, लेकिन न तो मुझे प्रफुल्ल पटेल का फोन आया और न ही अजीत पवार का। मैं उनके हाथ का खिलौना नहीं हूं कि जब कहें उठो और जब कहें बैठो। मैं अपने समर्थकों और सहयोगियों से चर्चा कर आगे का फैसला लूंगा।’
भाजपा के खेल में उलझे दादा!
गुट में टूट-फूट के बढ़े आसार
राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा है कि अजीत पवार भाजपा के राजनीतिक खेल में उलझ चुके हैं। इससे उनके गुट के कई नेता नाराज हो गए हैं। इससे दादा गुट में टूट-फूट का खतरा बढ़ गया है। इसमें सबसे प्रमुख छगन भुजबल हैं। मंत्रिमंडल में नहीं लिए जाने से छगन भुजबल काफी नाराज हैं। अब उन्होंने कहा कि देवेंद्र फडणवीस उन्हें कैबिनेट में शामिल करना चाहते थे, लेकिन फिर भी ऐसा क्यों नहीं हुआ, यह वे जरूर पता करेंगे।
जानकारों का मानना है कि भुजबल के प्रति भाजपा का नरम रुख अजीत पवार को पसंद नहीं आ रहा है। इससे पहले भी भुजबल का नाम राज्यसभा के लिए प्रस्तावित था, जिस पर अमित शाह की सहमति भी थी, लेकिन अजीत पवार द्वारा नाम की घोषणा नहीं होने के कारण भुजबल ने अपना नाम वापस ले लिया था। यह नाराजगी अभी खत्म भी नहीं हुई थी कि अब उन्हें वैâबिनेट से दूर रखा गया है। ऐसे में भुजबल के अगले कदम पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं।
मराठा आरक्षण को लेकर मनोज जरांगे पाटील और छगन भुजबल के बीच हुए विवाद ने महाराष्ट्र की राजनीति को ओबीसी बनाम मराठा के ध्रुवीकरण की ओर मोड़ दिया था। इसका असर लोकसभा चुनावों में देखा गया, जहां महाविकास आघाड़ी का प्रदर्शन महायुति से बेहतर रहा। इस आशंका के चलते कि भुजबल को शामिल करने से मराठा बनाम ओबीसी विवाद फिर से बढ़ सकता है, उन्हें मंत्रिमंडल से बाहर रखा गया है। जानकारों का मानना है कि सरकार ने यह कदम आगामी स्थानीय चुनावों में संभावित नुकसान से बचने के लिए उठाया है। अब देखना यह है कि भुजबल इस स्थिति का सामना वैâसे करते हैं और उनका अगला कदम क्या होगा?