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भुजबल को प्रोत्साहित कर रही थी अदृश्य महाशक्ति! …मनोज जरांगे पाटील मामले में अपनाया था अतिवादी रुख …संजय राऊत का भाजपा पर निशाना

सामना संवाददाता / मुंबई
अजीत पवार गुट के नेता और विधायक छगन भुजबल की नाराजगी पर प्रतिक्रिया देते हुए शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता व सांसद संजय राऊत ने भाजपा पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा है कि जब एकनाथ शिंदे ने हमारी पार्टी तोड़ी थी, तब उनके पीछे जो अदृश्य महाशक्ति थी, उसने मनोज जरांगे के खिलाफ भुजबल को प्रोत्साहित किया। संजय राऊत ने तंज कसते हुए कहा कि इसमें ही उनकी बलि चढ़ गई।
संजय राऊत ने दिल्ली में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि छगन भुजबल एक वरिष्ठ नेता हैं। भुजबल ने मनोज जरांगे पाटील के मामले में अतिवादी रुख अपनाया था। हम उनसे कह रहे थे कि उन्हें थोड़ा संयम बरतना चाहिए, क्योंकि दोनों महाराष्ट्र में प्रमुख समाज से आते हैं। हालांकि, भुजबल को कठोर रुख अपनाने के लिए मजबूर होना पड़ा। मनोज जरांगे की लड़ाई का विरोध करने के लिए छगन भुजबल का अत्यधिक उपयोग किया गया। संजय राऊत ने कहा कि जिन लोगों ने उन्हें यह भूमिका निभाने के लिए कहा था, उन्होंने अब उन्हें छोड़ दिया है। अब यह देखना बाकी है कि भुजबल में क्या लड़ने के लिए शारीरिक और मानसिक शक्ति बनी रहेगी। हमारी भूमिका महाराष्ट्र में सांप्रदायिक सद्भाव सुनिश्चित करना है। उन्होंने कहा कि शेष अन्य नाराज लोग जो आंसू बहा रहे हैं, उनके आंसुओं की कौन परवाह करता है। पुरंदर और बोरीवली के विधायक, हमारे सुधीर भाऊ के आंसुओं का क्या मूल्य है? अगर कोई दूसरा विधायक नाराज हो जाए तो इससे सरकार पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। एक दिन वे रोएंगे। संजय राऊत ने कहा कि मैं फडणवीस के मंत्रिमंडल में मौजूद उदाहरणों की संख्या से हैरान हूं। फडणवीस को इसे लेकर अध्ययन करना चाहिए। कुछ साल पहले आपने इन लोगों पर क्या आरोप लगाए थे, आपने किस तरह के भ्रष्टाचार के कागजात राज्यपाल को सौंपे थे? संजय राऊत ने कहा कि मैंने सुना और पढ़ा कि फडणवीस इन भ्रष्ट लोगों के साथ आदर्श काम करने जा रहे हैं। हम अगले पांच वर्षों में ऐसे कई मनोरंजन कार्यक्रम देखेंगे। संजय राऊत ने कहा कि मुंबई के साथ १४ मनपाओं का कोई चुनाव ये नहीं करा पा रहे हैं। इसका मतलब यह है कि आपके मन में पाप है।

‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ विधेयक पर संजय राऊत ने कहा कि भविष्य बताएगा कि एक राष्ट्र, एक चुनाव की अवधारणा संघीय देश के लिए कितना घातक है। एक ओर आप संविधान पर चर्चा कर रहे हैं और दूसरी ओर वे ऐसी चीजें थोपने की कोशिश कर रहे हैं, जो संविधान को स्वीकार्य नहीं है।

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