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सरकार खोखले वादे में व्यस्त …आर्थिक दिवालियापन की ओर राज्य …विपक्ष नेता अंबादास दानवे का हमला

सामना संवाददाता / नागपुर
सत्ता में आने के लिए सरकार ने बड़े-बड़े गुलाबी सपने दिखाए थे, लेकिन सत्ता में आने के बाद सरकार की घोषणाएं खोखली साबित हो रही हैं। महायुति सरकार पर हमला बोलते हुए यह तीखी आलोचना विधान परिषद में विपक्ष नेता अंबादास दानवे ने की है। दानवे ने कहा कि राज्य पर ८ लाख करोड़ रुपए का कर्ज है, जबकि खजाना खाली हो गया है और कर्ज लेने की हालत है। लेकिन सरकार २०२८ तक अर्थव्यवस्था को ४१७ से १,००० ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक ले जाने की बात कर रही है, जो केवल दिवास्वप्न है। वास्तव में राज्य दिवालियापन की ओर बढ़ चुका है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र राज्य प्रति व्यक्ति आय में नंबर एक है, फिर भी वह तमिलनाडु और गुजरात की बराबरी नहीं कर पा रहा है। उन्होंने सरकार पर राज्य को आर्थिक अधोगति की ओर ले जाने का आरोप लगाया। राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान दानवे ने कहा कि यह केवल कागजी घोषणाएं करने में व्यस्त हैं, जबकि जमीनी स्तर पर समस्याएं जस की तस हैं। यह सरकार किसानों की समस्याएं सुलझाने और महिलाओं की सुरक्षा करने में पूरी तरह विफल साबित हो रही है। बेरोजगारों की स्थिति और बदतर हो गई है। राज्यपाल के भाषण में भी झूठे दावे किए गए हैं, जो निराशाजनक है।
६,७४० किसानों ने की आत्महत्या
दानवे ने आरोप लगाया कि १ जुलाई २०२२ से ३० नवंबर २०२४ तक महायुति सरकार के कार्यकाल में ६,७४० किसानों ने आत्महत्या की। सबसे ज्यादा आत्महत्याएं नागपुर और अमरावती में हुई हैं। तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारा आत्महत्या-मुक्त महाराष्ट्र का वादा केवल हवा में ही रहा। किसानों को उनकी फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य भी नहीं मिल रहा है।

दानवे ने मालवण में सात महीने के भीतर बने छत्रपति शिवाजी महाराज के पुतले की सुरक्षा भी न कर पाने को लेकर सरकार पर तंज कसा। उन्होंने सवाल किया कि शिवाजी महाराज के विचारों को मानने का दावा करने वाली सरकार महिलाओं पर हो रहे अन्याय को कैसे अनदेखा कर सकती है? उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री युवा कार्य प्रशिक्षण योजना के तहत युवाओं को अभी तक वेतन नहीं मिला है। उन्होंने नंदुरबार और पालघर के आदिवासी वसतिगृहों की बदहाली पर चिंता जताते हुए कहा कि मूलभूत सुविधाओं के अभाव में ६८० छात्रों की मौत हो चुकी है।

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