अनिल/रांची
झारखंड में हाल में हुए विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा के पक्ष में मतदाताओं ने जहां झारखंड मुक्ति मोर्चा को जबरदस्त वोट देकर हेमंत सोरेन सरकार को पुनः झारखंड में सरकार बनाने का मार्ग प्रशस्त किया। वहीं पिछले पांच वर्षों से झारखंड में सत्ता से दूर रहे भारतीय जनता पार्टी को इस बार भी दूर रखा है। जिसके कारण विश्व की सबसे बड़ी पार्टी भारतीय जनता पार्टी और झारखंड में झारखण्डियों की राजनीति करने वाले झारखंड मुक्ति मोर्चा दोनों आमने-सामने है। इसी कारण हेमंत सरकार और मोदी सरकार झारखंड की बकाया राशि को लेकर आमने-सामने आ गई है। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर ट्वीट पर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने लिखा है कि झारखंडियों के हक में इस बकाया राशि का एक-एक रुपये की विस्तृत जानाकारी केंद्र सरकार को कई बार दी जा चुकी है। फिर भी केंद्र की बीजेपी सरकार बार-बार से इसे नकारने में तुली है।यह हमारे अधिकारों पर किया जाने वाला एक कुंठित प्रयास है।
हेमंत सोरेन ने मोदी सरकार को आड़े हाथों लेते हुए झारखंड बीजेपी को भी लपेट लिया।उन्होंने झारखंड बीजेपी से यह मांग की कि उन्हें झारखंडियों के साथ अपनी आवाज बुलंद करनी चाहिए। अगर वो ऐसा नहीं करेंगे तो यह साफ माना जाएगा कि वे इस हकमारी में उनकी बराबर की सहभागिता है।
दरअसल झारखंड सरकार केंद्र सरकार से कोयला रॉयल्टी के 1 लाख 36 हजार करोड़ रुपये का दावा करती है।लेकिन केंद्र सरकार ने उसे ठुकरा दिया है। लोकसभा में बिहार के पूर्णिया संसदीय क्षेत्र से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने बकाया पैसों का मुद्दा उठाया और पूछा कि केंद्र सरकार झारखंड का बकाया पैसा देने में देरी क्यों कर रही है।उसके जवाब में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लिखित जवाब देकर कहा कि झारखंड सरकार का कोयला राजस्व का पैसा केंद्र सरकार के पास लंबित नहीं है।
केंद्र सरकार ने जब इस मांग को खारिज किया तो झामुमो मामले को लेकर हमलावर हो गई। झामुमो प्रवक्ता ने कहा दिया कि अब सरकार झारखंड की जमीन से रेलवे की होने वाली माल ढुलाई पर भी रॉयल्टी लेंगे। उन्होंने निजी कंपनियों को भी चेतावनी दे दी कि पहले राज्य सरकार का बकाया पैसा जमा करें तब जाकर काम करें।फिलहाल यह मामला ठंडा होता नहीं दिख रहा है।