प्रेम और पीड़ा

दिलों पर पहरा नहीं लगता
जब-जब पहरा लगता है
दिल बगावत पर उतर आता है।
कुलांचे भरता दिल अक्सर
हदें तोड़ देता है।
यहीं से टूटे दिल की किरचें
चुभने लगती है
ख्वाबों का गला घुटता है।
प्रेम एक दिया है, जिसमें
विश्वास की बाती जलती है
त्याग का तेल पड़ता है।
प्रेम पनपता है अनुग्रह के धरातल पर
जहां अनुग्रह नहीं, वहां
प्रेम केवल छलावा है ।
प्रेम और पीड़ा चलते हैं साथ-साथ
जब प्रेम का नश्तर चुभन देता है
प्रेम का रंग गहराता है।
कसमें वादे जब झूठे होते हैं
झूठी तसल्लियां जिंदगी बदल देती हैं।
यौवन के साथ उम्र तबाह होती है
रही जिंदगी मजाक बना जाती है।
साजिशों का खेल जुड़ता है
जब-जब प्यार के साथ,
प्यार जुआ बन जाता है।
बाजी कोई भी हारे
बदनाम प्रेम ही होता है।
-बेला विरदी

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