सामना संवाददाता / मुंबई
मनपा प्रशासन ने अपने अस्पतालों में जीरो प्रिस्क्रिप्शन पॉलिसी लागू करने की घोषणा तो कर दी है, लेकिन यह पॉलिसी अभी तक मूर्त रूप नहीं ले सकी है। यह पॉलिसी तो दूर की बात रही मनपा अस्पतालों में मरीजों को उचित इलाज तक नहीं मिल पा रहा है। आलम यह है कि मनपा के केईएम अस्पताल के वार्डों में एक बेड पर दो मरीजों का इलाज किया जा रहा है, जिससे मरीजों को परेशानी हो रही है। हद तो यह हो गई कि आपातकालीन विभाग में रोगियों को स्ट्रेचर और व्हीलचेयर पर उपचार किया जा रहा है। प्रशासन के इस तरह के कामकाज का खामियाजा मरीजों और उनके परिजनों को भुगतना पड़ रहा है।
उल्लेखनीय है कि केईएम अस्पताल मुंबई मनपा के चार प्रमुख अस्पतालों में से एक है। दो हजार बेड वाले इस अस्पताल में हर दिन ४,५०० से ज्यादा मरीज इलाज के लिए आते हैं। यहां सिर्फ मुंबई से ही नहीं, बल्कि देश और राज्य के कोने-कोने से लोग इलाज के लिए आते हैं। इन सबके बीच परिजन अक्सर शिकायत करते रहते हैं कि अस्पताल में मरीजों को पर्याप्त सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। कुछ महीने पहले आपातकालीन विभाग में भर्ती मरीजों का इलाज व्हील चेयर पर किया जा रहा था। मरीजों को उपचार व्हीलचेयर पर बैठाकर दिया जाता है। परिजनों से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि बेड उपलब्ध न होने के कारण स्ट्रेचर पर भी मरीजों का इलाज किया जाता है, लेकिन अस्पताल प्रशासन अपनी गलती मानने के लिए तैयार नहीं है। उसका कहना है कि इससे मरीजों को एक्स-रे, सोनोग्राफी के लिए सहूलियत मिलती थी।
बताया गया है कि यही हाल वॉर्डों का भी है, जहां एक बेड पर दो-दो मरीजों को रखा जा रहा है। ४० से ५० मरीजों की क्षमता वाले वार्ड में ७० से ८० मरीजों को रखा जा रहा है। एक बेड पर दो-दो मरीज होने के कारण इलाज में भी देरी हो रही है। मरीजों के परिजनों की शिकायत है कि ऑन-ड्यूटी नर्स और डॉक्टर कुछ मरीजों पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। लेकिन प्रशासन द्वारा इसे नजरअंदाज किया जा रहा है। अगर मरीजों के परिजन कुछ भी पूछते हैं तो उन्हें बेरुखी से जवाब दिया जाता है।