मुख्यपृष्ठनए समाचारक्लस्टर पुनर्विकास के खिलाफ ४५ कोलीवाड़ों का जमकर विरोध

क्लस्टर पुनर्विकास के खिलाफ ४५ कोलीवाड़ों का जमकर विरोध

सामना संवाददाता / मुंबई

मुंबई के ४५ कोलीवाड़ों ने महाराष्ट्र सरकार की नई हाउसिंग पॉलिसी २०२४ के तहत कोलीवाड़ों के क्लस्टर पुनर्विकास के प्रस्ताव का विरोध किया है। कोली समाज का कहना है कि यह नीति उनकी पारंपरिक जीवनशैली को खत्म कर सकती है। भविष्य में उनके लिए यह एक बड़ा खतरा साबित हो सकता है।
बिल्डरों की मिलीभगत का आरोप
कोली समाज के नेताओं का आरोप है कि इस नीति के तहत कोलीवाड़ों को निजी बिल्डरों के हवाले किया जा सकता है, जो उनके लिए एक बड़ा खतरा साबित हो सकता है। जुहू-कोलीवाड़ा जैसे इलाकों को लेकर बिल्डरों की नजरें हैं, जिन्हें वे महंगे प्रोजेक्टस में बदलने का प्रयास कर रहे हैं।
खुद करेंगे पुनर्विकास
कोली समाज की मुख्य मांग है कि सरकार को विशेष विकास नियंत्रण नियम (डीसीआर) बनाकर आत्मपुनर्विकास की मंजूरी देनी चाहिए। महाराष्ट्र मच्छीमार कृति समिति की अध्यक्ष उज्ज्वला पाटील ने कहा कि हम नहीं चाहते कि हमारे पारंपरिक गांवों को बिल्डरों द्वारा व्यावसायिक रूप से विकसित किया जाए।
सरकार की समीक्षा की योजना
सरकार ने संकेत है कि क्लस्टर पुनर्विकास के प्रस्ताव पर पुनर्विचार किया जाएगा। हालांकि, कोली समाज ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं होती तो वे इस मुद्दे को आनेवाले विधानसभा सत्र में उठाने के लिए आंदोलन करें।
क्लस्टर पुनर्विकास से खतरे में है पारंपरिक जीवनशैली
कोली समाज का कहना है कि उनका व्यवसाय मछली पकड़ने और समुद्र से जुड़ी गतिविधियों पर आधारित है, जिसके लिए उन्हें बड़े खुले स्थानों की जरूरत होती है। क्लस्टर पुनर्विकास से इन गतिविधियों के लिए जरूरी जगह कम हो सकती है।

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