श्रीकिशोर शाही मुंबई
पिछले कुछ समय से खालिस्तान का भूत एक बार फिर जागृत हो उठा है। छिटपुट घटनाएं होने लगी हैं, पर जिस तरह से खालिस्तानी आंदोलन को कनाडा से खाद-पानी मिल रहा है, वैसे में अगर समय रहते इनकी हरकतों पर काबू नहीं पाया गया तो आनेवाले दिनों में यह समस्या एक बार फिर विकराल रूप धारण कर सकती है। कल सोमवार को पीलीभीत में पुलिस ने तीन खालिस्तानी आतंकवादियों वरिंदर सिंह उर्फ रवि, गुरविंदर सिंह और जशनप्रीत सिंह उर्फ प्रताप सिंह को मार गिराया। पंजाब पुलिस की टीम ने ७५६ किलोमीटर तक इन आतंकियों का पीछा किया। फिर यूपी पुलिस के साथ मिलकर उन्हें ढेर कर दिया। इन तीनों पर एक पुलिस स्टेशन पर हमला करने का आरोप था। इसके पहले खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल सिंह ने भी अपने समर्थकों के साथ एक पुलिस स्टेशन पर धावा बोला था। फिलहाल, अमृतपाल जेल में बंद है और चुनाव जीतकर सांसद बन चुका है।
जहां तक खालिस्तान आंदोलन का सवाल है तो ८० के दशक में यह चरम पर था। तब स्वयंभू खालिस्तानी नेता संत जरनैल सिंह भिंडरावाला का आतंक पैâल चुका था। उस दौरान भिंडरावाला एक बार मुंबई भी आया था। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी की पुस्तक में उस घटना का जिक्र है। रिपोर्ट के अनुसार, १९८० के दशक की शुरुआत में भिंडरावाला ४० सशस्त्र अनुयायियों के साथ अमृतसर से बस में सवार होकर मुंबई आया था। इनमें से कुछ बंदूकधारी भिंडरावाला की सुरक्षा के लिए बस की छत पर बैठे थे। पंजाब से वे मुंबई पहुंच गए पर उन्हें किसी ने कहीं नहीं रोका। बस जब मुंबई के प्रवेश द्वार दहिसर के पास पहुंची, तो महाराष्ट्र के गृह सचिव ने पुलिस को अलर्ट किया। हालांकि, मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए तुरंत कोई कड़ा एक्शन नहीं लेने की हिदायत भी दी। सरकार ने पुलिस से कहा कि हथियार को लेकर भिंडरावाला के अनुयायियों खिलाफ कोई कार्रवाई की गई तो इससे हिंसा और खून-खराबा पैâल सकता है। इसका पंजाब के साथ ही देशभर में असर हो सकता है। मुंबई पुलिस को उसकी गतिविधियों पर नजर रखनी थी और हर घंटे दिल्ली को सूचित करना था। भिंडरावाला ने दादर के एक गुरुद्वारे में अपना ठिकाना बनाया था। पुलिस ने उस पर २४ घंटे नजर रखने के लिए सामने की इमारत में एक कमरा किराए पर लिया था। बाद में मुंबई पुलिस को पता चला कि भिंडरावाला वेश बदलकर वहां से निकल गया और स्वर्ण मंदिर पहुंच गया था। तब खुफिया ब्यूरो के तत्कालीन संयुक्त निदेशक श्रीकांत बापट ने गुरुद्वारे के कमरे की दूरबीन से जांच की और पाया कि वहां पर भिंडरावाला जैसा दिखने वाला व्यक्ति था। भिंडरावाला पुलिस को चकमा देकर भाग गया था और कमरे में उसका हमशक्ल मौजूद था।