मुख्यपृष्ठनए समाचारसंपादकीय : मुबारक अल कबीर, ब्रह्माजी ने घुटने टेके! 

संपादकीय : मुबारक अल कबीर, ब्रह्माजी ने घुटने टेके! 

प्रधानमंत्री मोदी कुवैत के दौरे पर थे। कुवैत एक इस्लामिक देश है। कुवैत के अमीर शेख मिशाल अल अहमद-अल जाबा-अल सबा ने प्रधानमंत्री मोदी के सम्मान में एक ‘खाना’ रखा और मोदी को कुवैत के सर्वोच्च सम्मान ‘द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर’ के खिताब से नवाजा। मोदी अब तक ऐसे २० इंटरनेशनल खिताबों से नवाजे जा चुके हैं और इनमें से ज्यादातर इस्लामिक देशों से हैं। कुवैत के अमीर ने जैसे ही ‘ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर’ दिया, प्रधानमंत्री मोदी का चेहरा तेज से खिल उठा। उन्होंने यह सम्मान भारत की जनता को समर्पित किया। मोदी को कुवैत के राजा से सम्मानित होते ही भाजपा कार्यालयों और संघ शाखाओं में खुशी का माहौल बन गया। कुछ जगहों पर चीनी बांटी गई। मोदी ने कुवैत के राजा से मिले पुरस्कार को माथे से लगाया। मोदी दुनिया के सम्मानित व्यक्ति हैं और उनका जीवन पुरस्कारों से परे है। वे भारत जैसे देश के राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति की नियुक्ति करते हैं इसीलिए इनकी ‘शिष्टाचार’ तोड़ते हुए मोदी के सामने हाथ जोड़कर, झुकते हुए खड़े होने की तस्वीरें छपती रहती हैं। एक प्रसिद्ध किंवदंती है कि प्रधानमंत्री मोदी ने दुनियाभर में भयानक युद्धों को रोक दिया। यूक्रेन ने हाल ही में रूस पर ड्रोन हमला किया था। इससे पहले यूक्रेन ने क्रेमलिन में रूस के परमाणु हथियार प्रमुख की हत्या कर पुतिन को झटका दिया था, लेकिन इन घटनाओं को बहुत गंभीरता से नहीं लिया जा सकता, क्योंकि ये मामूली घटनाएं हैं। महाराष्ट्र के बीड में सरपंच संतोष देशमुख की हत्या कर दी गई। परभणी में आंबेडकरवादी आंदोलक सोमनाथ सूर्यवंशी की
पुलिस हिरासत में मौत
हो गई। मोदी भक्तों को ये हत्याएं मामूली लगती हैं। ऐसी छोटी-मोटी घटनाएं दुनियाभर के कोने कोने में होती रहती हैं, लेकिन मोदी के लिए कुवैत के ‘मुबारक अल कबीर’ खिताब से नवाजा जाना अहम है। कल उन्हें पाकिस्तान का सर्वोच्च सम्मान ‘निशान-ए-पाकिस्तान’ मिल सकता है। भले ही बांग्लादेश में हिंदुओं की हत्याएं हो रही हो, फिर भी यदि उन्हें बांग्लादेश का सर्वोच्च पुरस्कार मिलता है तो वे उसे लेने के लिए ढाका जाएंगे। मोदी पहले ही इस दिलचस्प कहानी को बता चुके हैं कि उन्होंने बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में कैसे भाग लिया था और हाथों में शस्त्र लेकर किस तरह लड़ाई लड़ी थी इसलिए बांग्लादेश को मोदी को अपना सर्वोच्च पुरस्कार देने में कोई आपति नहीं है। प्रधानमंत्री मोदी दुनिया में जहां भी जा रहे हैं, उन्हें पुरस्कार मिल रहा है, यह गर्व की बात है। प्रधानमंत्री भारत आते ही मोदी क्रिसमस पार्टी में भी शामिल होंगे। दिल्ली में कैथोलिक बिशप्स काॅन्फ्रेंस ऑफ इंडिया द्वारा एक क्रिसमस पार्टी का आयोजन किया जाता है। मोदी वहां जाकर ईसाई भाइयों के साथ त्योहार मनाएंगे। कैथोलिक बिशप काॅन्फ्रेंस की स्थापना १९४४ में हुई थी और तब से मोदी उनकी क्रिसमस पार्टी में शामिल होनेवाले पहले प्रधानमंत्री हैं। वहां वह ईसाई समुदाय के प्रमुख नेताओं, कार्डिनल बिशप, चर्च के प्रमुख पादरी मंडली से चर्चा करेंगे। केक भी खाएंगे। कुवैत में इस्लामिक राष्ट्र का पुरस्कार और भारत में ईसाई भाइयों के साथ ‘पार्टी’ कुल मिलाकर यह मोदी का सेकुलर कार्यक्रम है। मोदी का
‘बंटेंगे तो कटेंगे’ यह नारा
खुद उन पर ही लागू नहीं होता। अगर कुवैत के राजा ने राहुल गांधी को पुरस्कार दिया होता तो यहां के अंधभक्तों ने तांडव मचा दिया होता और कुवैत का पुरस्कार लेने की वजह से भारत का हिंदुत्व खतरे में आ जाता, लेकिन, चूंकि मोदी ने कुवैत से पुरस्कार जीता इसलिए बांग्लादेश और भारत के हिंदू सेफ हो गए। यदि दिल्ली के क्रिश्चियन बंधुओं की पार्टी में प्रियंका गांधी या सोनिया गांधी शामिल होतीं तो मोदी भक्त अपना जहर फुफकारते और मामले को सीधे इटली की सोनिया के कुनबे तक ले जाकर हंगामा करते, लेकिन ईसाई बंधुओं से मोदी के पुराने और भावनात्मक रिश्ते हैं इसलिए आश्चर्य नहीं होना चाहिए, अगर मोदी दिल्ली में सांताक्लॉज या पादरी की सफेद पोशाक में हाथ में ‘क्रॉस’ लेकर पार्टी में शामिल हों। प्रधानमंत्री मोदी भारत में हिंदू-मुसलमान, हिंदू-ईसाई के बीच तनाव पैदा करते हैं और विदेश जाकर अमीर और शेखों से खिताब स्वीकारते हैं! भारत में मस्जिदों के नीचे खुदाई करवाकर दंगे कराने का काम करते हैं। मोदी ने यदि धर्मरक्षण का काम स्वीकार किया है तो वे खुलेआम करें। दूध पीकर बर्तन छुपाने की कोशिश न करें। भारत में हिंदू-मुसलमानों के बीच तनाव पैदा करके चुनाव लड़नेवाले कुवैत जाकर वहां का सर्वोच्च पुरस्कार ‘द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर’ स्वीकार करते हैं तो आप भारत में दिखावा ढोंग क्यों करते हैं? सरसंघचालक मोहनराव भागवत ने मोदी जैसे बुद्धिमान पर शब्दों से प्रहार किया है। सरसंघचालक कहते हैं, ‘धर्म का अधूरा ज्ञान अधर्म की ओर ले जाता है। धर्म के नाम पर अत्याचार गलत समझ के कारण होते हैं। धर्म का पूरा ज्ञान न होने के कारण। आधे-अधूरे ज्ञान से फूले हुए व्यक्ति को ब्रह्मा भी नहीं समझा सकते!’ भारत में तो ब्रह्मा ने भी घुटने टेक दिए हैं। ‘मुबारक अल कबीर’ को समझाएगा कौन?

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