मंत्रिमंडल के महकमों का बंटवारा हो गया है और अब मंत्रियों के बंगले भी बंट गए, लेकिन परभणी में सोमनाथ सूर्यवंशी और बीड में सरपंच संतोष देशमुख का क्या हुआ? इस सवाल का जवाब फडणवीस सरकार नहीं दे पाई है। सूर्यवंशी और देशमुख की हत्या कर दी गई और ये दोनों हत्याएं सरकार द्वारा प्रायोजित हैं इसलिए फडणवीस ने जो ‘एसआईटी’ जांच का खेल रचा है, वह आंखों में धूल झोंकना भर है। बीड की सड़क पर सरपंच संतोष देशमुख का बेरहमी से कत्ल कर दिया गया। देशमुख की हत्या कितनी बेरहमी से की गई, दिल दहलाने वाले उस मंजर को विधानसभा में विधायक सुरेश धस ने बताया। ये सब बताते हुए विधायक संदीप क्षीरसागर भी रो पड़े। लेकिन इस हत्याकांड के असली आरोपी और मास्टरमाइंड सरकार में सम्मान के साथ विराजमान हैं। मुख्यमंत्री फडणवीस और उप मुख्यमंत्री अजीत पवार के मंत्रिमंडल में उनके आसपास मंडरा रहे हैं। परभणी में पुलिस लॉकअप में सोमनाथ सूर्यवंशी की हत्या कर दी गई थी। उन्होंने संविधान की रक्षा के लिए अपना बलिदान दे दिया। एक ओर संसद में संविधान पर चर्चा हो रही थी और यहां लॉकअप में पुलिस पिटाई से सूर्यवंशी की मौत हो गई। यह सीधे तौर पर अत्याचार है, लेकिन नागपुर के शीतकालीन सत्र में मुख्यमंत्री फडणवीस ने सदन को गलत जानकारी दी। उन्होंने दावा किया कि सूर्यवंशी की मौत उनकी बीमारी से हुई और अब जब राहुल गांधी सूर्यवंशी परिवार से मिलने परभणी आए तो फडणवीस मटर के दानों की तरह फूटने लगे। फडणवीस कहते हैं, ‘राहुल गांधी केवल राजनीतिक मकसद से परभणी आए थे। लोगों और जातियों के बीच नफरत पैदा करना उनका
एकमात्र लक्ष्य
है। वे कई वर्षों से लगातार यही काम कर रहे हैं।’ फडणवीस का यह बयान गांधी से ज्यादा नरेंद्र मोदी पर बिल्कुल लागू होता है। पिछले दस वर्षों में देश में जो जातीय और धार्मिक नफरत पैâली है, उस जहर की खान के रूप में नरेंद्र मोदी और अमित शाह पर उंगली उठानी होगी। परभणी और बीड की हत्याएं जातीय नफरत के चलते हुर्इं और इसके लिए महाराष्ट्र की भाजपा सरकार जिम्मेदार है। सूर्यवंशी आंबेडकरवादी आंदोलन के कार्यकर्ता थे और संतोष देशमुख खुद भाजपा कार्यकर्ता थे, बावजूद उनकी हत्या हुई। पंकजा मुंडे के चुनाव में सरपंच देशमुख अपने गांव के भाजपा बूथ पर मौजूद थे। ऐसे कार्यकर्ता की हत्या क्यों की जाए और इस हत्या के लिए हमेशा एक ही नाम क्यों लिया जा रहा है? संतोष देशमुख हत्याकांड में अजीत पवार के दाहिने हाथ मंत्री धनंजय मुंडे के ‘खास’ वाल्मीक कराड का नाम लिया जा रहा है। अगर ये सच है तो धनंजय मुंडे निश्चित तौर पर कराड को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। अब तक पुलिस ने कई लोगों को महज शक के आधार पर उल्टा लटकाकर अपराध कबूलवा लिया, लेकिन बीड के अपराध में पुलिस खुद डरी हुई नजर आ रही है। अगर कराड का पैâसला आने तक धनंजय मुंडे को वैâबिनेट से बाहर रखा जाता तो फडणवीस की नैतिकता और निष्पक्षता निखरकर सामने आ जाती, लेकिन मुख्यमंत्री फडणवीस ने ऐसा नहीं किया, क्योंकि धनंजय मुंडे के मुख्य पालनहार वही हैं। वाल्मीक कराड का प्रभाव इतना ज्यादा है कि देशमुख हत्याकांड में पुलिस ने अभी तक उन्हें
साधारण पूछताछ के लिए भी
नहीं बुलाया। महाराष्ट्र बीड जिले के इस आतंक को बर्दाश्त नहीं कर सकता। सामाजिक कार्यकर्ता अंजलि दमानिया ने केज तालुका में मार्च निकाला। उनका आरोप है कि संदिग्ध कराड सरकार की मदद से फरार है और माहौल ऐसा दिख रहा है कि यह आरोप सच है। मुख्यमंत्री शेखी बघारते हुए कहते हैं कि चाहे कितना भी बड़ा अपराधी हो, उसे बख्शा नहीं जाएगा। भले ही वह पाताल में छिपा हो, हम उसे ढूंढ़ लेंगे, लेकिन सोमनाथ सूर्यवंशी और संतोष देशमुख की हत्या के असली आरोपी आजाद हैं और मुख्यमंत्री सिर्फ लफ्फाजी कर रहे हैं। देशमुख की पत्नी और बच्चों की चीखें उन्हें परेशान नहीं करतीं। परभणी में सूर्यवंशी की हत्या की सच्चाई सामने आने पर भी मुख्यमंत्री सत्य पर पर्दा डालने की कोशिश करते हैं। अगर विपक्षी दल के लोग बीड या परभणी जाते हैं तो सरकार मिमियाती है कि ‘ये लोग हत्या को लेकर राजनीति करते हैं।’ तो फिर सरकार को ऐसी हत्याएं रोकनी चाहिए और अगर हत्याएं होती हैं तो असली दोषियों को जेल में डालना चाहिए। अजीत पवार ने घोषणा की कि परभणी-बीड हत्याकांड के आरोपियों को फांसी दी जाएगी, लेकिन पहले आरोपियों को पकड़ना होगा और आज, फिलहाल आरोपियों को सरकार का संरक्षण प्राप्त है। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी परभणी आए थे, मुख्यमंत्री फडणवीस को इस बात से तकलीफ हुई। क्या मोदी-फडणवीस जैसे लोग यह उम्मीद करते हैं कि सरकार के गुंडे हत्या कर दें और विपक्ष इस पर बात न करे? यह सोच क्रूर और अमानवीय है। सोमनाथ सूर्यवंशी-संतोष देशमुख के साथ वास्तव में क्या हुआ? ऐसे सवाल पूछनेवालों को कल देशद्रोही न कहा जाए!