भरतकुमार सोलंकी
आज के दौर में, जब मेडिकल इंडस्ट्री की महंगाई हर साल 15-20% की दर से बढ़ रही है, समाज के समृद्ध तबके को यह सवाल खुद से पूछना चाहिए कि क्या उनके पास अपने परिवार के सभी सदस्यों के लिए न्यूनतम एक करोड़ रुपये का मेडिक्लेम बीमा कवरेज है? हाल की घटनाओं में किडनी ट्रांसप्लांट, लंग ट्रांसप्लांट और लीवर ट्रांसप्लांट जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए अस्पतालों द्वारा 60-70 लाख रुपए तक के बिल बनाए जा रहे हैं। क्या हमें इसका अंदाजा है कि किसी भी दुर्घटना या गंभीर बीमारी की स्थिति में ऐसे खर्चों से निपटना कितना चुनौतीपूर्ण हो सकता है? यदि बीमा पॉलिसी केवल 10-20 लाख रुपए की है और बाकी 80 लाख रुपए का खर्च खुद उठाना पड़े, तो परिवार को गहने, एफडी, म्यूचुअल फंड या अन्य संपत्तियां बेचने पर मजबूर होना पड़ता है। इस स्थिति में, बीमा प्रीमियम भरने का उद्देश्य ही खत्म हो जाता हैं, सवाल यह भी उठता हैं कि यदि इस खर्च के लिए कर्ज लेना पड़े, तो एक करोड़ रुपए कमाने और उसका कर्ज चुकाने में कितना समय लगेगा? अस्पतालों के भारी-भरकम बिलों के कारण कितने परिवार बर्बाद हो चुके हैं, यह किसी से छिपा नहीं हैं। इन परिस्थितियों में, फुल कवरेज मेडिक्लेम न होना, असुरक्षा की स्थिति पैदा करता है। क्या हमें समय रहते यह नहीं सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारे बीमा कवरेज हमारे परिवार के भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए पर्याप्त हैं?
यह लेख सामाजिक जागरूकता के लिए लिखा गया है। कृपया इसे अपने परिवार, दोस्तों और परिचितों के साथ साझा करें, ताकि अधिक से अधिक लोग समय पर इस विषय पर विचार कर सकें और आवश्यक कदम उठा सकें।