कविता श्रीवास्तव
अमिताभ बच्चन अपने पास पैसे नहीं रखते हैं। वे एटीएम भी इस्तेमाल नहीं करते हैं। पैसे उनकी पत्नी जया बच्चन के पास होते हैं। वे कुछ खरीदते हैं तो जया जी से पैसे मांग लेते हैं। यह बात उन्होंने अपने टीवी शो में बताई। लोगों को करोड़पति बनाने वाले अमिताभ बच्चन के बारे में यह जानना रोचक है। खैर, पैसे वे अपने पास क्यों नहीं रखते, ये वो ही जानें। पर पैसा साथ लेकर चलने और खर्च करने का काम आसान नहीं है। यह एक बड़ी जिम्मेदारी है। अमिताभ बच्चन इस जिम्मेदारी से बचते हैं या कोई और बात है यह वे ही बता सकते हैं, पर मेरे पति भी कुछ ऐसे ही हैं। वे भी अपने पास कभी पैसे रखते ही नहीं। हर जगह मुझे ही पर्स खोलना पड़ता है। उनके साथ निकलने पर पैसे के लेनदेन का काम मेरे ही जिम्मे होता है। छुट्टे नहीं होने पर पतिदेव बहुत नाराज होते हैं और सबके सामने ही डांट भी देते हैं। वैसे, पैसे अपने पास रखने से कुछ अच्छा भी महसूस होता है। आखिर पैसा ही तो सब कुछ है। उसे संभालना और बचा लेना बड़ी जवाबदेही की बात है। बाजार में कम पड़ते हैं तो पति पूछते हैं, ‘सब खर्च कर दिए, कुछ भी बचा नहीं है क्या?’ तब ऑनलाइन पेमेंट या वैâश विथड्रा करके काम चलाना होता है। यह तो सभी करते हैं। पर कभी-कभी सोचती हूं कि आखिर पतिदेव अपने पास पैसे क्यों नहीं रखते हैं? एक बार पूछा तो कहने लगे जितना जेब में ले जाओ सब खर्च हो जाता है इसलिए अच्छा है कि जेब में कुछ रखो ही मत। अकेले होने पर केवल राहखर्च भर की रकम ही साथ रखते हैं। खरीददारी और बाजार के लिए मुझे साथ ले जाते हैं या यूं कहिए कि मैं इन्हें साथ ले जाती हूं। मैंने यह भी महसूस किया है कि बात केवल खर्च तक सीमित नहीं है। दरअसल, पतिदेव पैसे के छिटपुट लेनदेन की झंझटबाजी से दूर रहना चाहते हैं। वे कमाने का अपना दायित्व निभाते हैं, पर पैसे सही ढंग से खर्च करने की जिम्मेदारी वे मुझ पर थोप कर स्वयं मुक्त सा महसूस करते हैं। वैसे चाहे अमिताभ हों या मेरे पति, ये लोग ही नहीं, ऐसे और भी पुरुष होंगे, जो पैसे के छिटपुट लेनदेन या बाजार के मोलभाव की झंझटबाजी से दूर रहना चाहते होंगे। यह कुछ लोगों का विशेष स्वभाव भी हो सकता है। कुछ लोगों को बड़े काम करने की धुन होती है और वे प्राय: हल्के-फुल्के काम पर विशेष ध्यान नहीं देते हैं। वे अपनी महत्वाकांक्षा के धनी होते हैं, लेकिन चाहे कितनी भी समानता हो जाए कुछ काम महिलाओं को ज्यादा शोभा देते हैं, खासकर, घरेलू सामग्रियों की व्यवस्था और खरीददारी। इसीलिए महिलाओं के पर्स का जो घरेलू महत्व है, अमिताभ ने संभवत: उसी महत्व को उजागर किया है।