मुख्यपृष्ठस्तंभमानवता के प्रहरी : उदारता की प्रतिमूर्ति हैं कोठारी

मानवता के प्रहरी : उदारता की प्रतिमूर्ति हैं कोठारी

संदीप पांडे
शिक्षा, चिकित्सा, जीवदया और मानवता की सेवा के प्रति समर्पित रसिकलाल हंजारीमलजी कोठारी ७९ वर्ष की आयु में भी अपनी कर्मभूमि मुंबई और जन्मभूमि मंडार (जिला सिरोही, राजस्थान) के बीच समान रूप से सक्रिय हैं। अपने जीवन के ६२ वर्ष समाज, व्यापार और धर्म को देनेवाले रसिकलाल कोठारी गांव में किए गए कार्यों को एहसान नहीं, बल्कि अपने वतन का कर्ज उतारना मानते हैं। उनकी यही ईमानदारी, लगन, मेहनत और लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्धता उन्हें प्रेरणास्रोत बनाती है।
गांव के बच्चों को उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा कम से कम शुल्क में प्रदान करने के उद्देश्य से उन्होंने अपने स्वद्रव्य से ‘नूतन सरस्वती उच्च माध्यमिक विद्यालय’ की स्थापना की। प्रतिवर्ष शत-प्रतिशत परिणाम देनेवाला यह विद्यालय सिरोही जिले के श्रेष्ठ निजी विद्यालयों में से एक है। पूरे जोधपुर संभाग के निजी विद्यालयों में यह सबसे कम फीस वाला विद्यालय है, जहां गरीब बच्चों और लड़कियों को विशेष शुल्क रियायत दी जाती है। उनका प्रयास यह सुनिश्चित करता है कि शिक्षा हर बच्चे के लिए सुलभ हो और उनका भविष्य उज्ज्वल बने। गौशाला के प्रति विशेष लगाव रखनेवाले रसिकलाल कोठारी का मानना है कि ‘गाय बचेगी, तभी धर्म और संस्कृति बचेगी।’ उनके परिवार द्वारा गौशालाओं को निरंतर आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। उनका हर परिवार से आग्रह है कि वे प्रतिवर्ष पहला दान गौशाला के लिए अवश्य करें। एक सच्चे गौभक्त और जीवदयाप्रेमी होने के कारण पशुओं की देखभाल और उनकी सेवा में वे हमेशा तत्पर रहते हैं।
रसिकलाल कोठारी ने अपने गांव में कुलदेवी ‘श्री सच्चियाय माताजी’ और कुलदेवता ‘श्री गोरा भैरव’ के मंदिर का निर्माण कोठारी परिवार के द्रव्य सहयोग से करवाया। इसके अतिरिक्त उन्होंने जैन समाज के दान से मंडार में ‘महावीर अस्पताल’ की स्थापना, संस्थापक अध्यक्ष की भूमिका निभाते हुए भरपूर योगदान दिया। यह अस्पताल न केवल क्षेत्र के लोगों को उत्कृष्ट चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करता है, बल्कि उनकी सेवा भावना को भी दर्शाता है। रसिकलाल कोठारी द्वारा नेत्रदान और देहदान की घोषणा समाज के प्रति उनकी करुणा और दानशीलता को दर्शाता है। एक झुझारू नेता और मुखर व्यक्तित्व के धनी रसिकलाल कोठारी को उनके निडर स्वभाव और बुलंद आवाज ने उन्हें व्यापारी समाज का प्रभावशाली नेता बनाया। उन्होंने अनेक मंत्रियों से मिलकर व्यापारिक समस्याओं का समाधान निकाला। उनके नेतृत्व में व्यापारियों ने कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल कीं। गरीबों और असहायों के प्रति उनके दिल में गहरी करुणा और दया का भाव है। समय-समय पर वे जरूरतमंदों की मदद करते रहते हैं। उनकी यह उदारता और सेवा-भावना उन्हें समाज में एक आदर्श व्यक्तित्व बनाती है। रसिकलाल कोठारी न केवल निर्व्यसनी और उदार व्यक्तित्व के धनी हैं, बल्कि उनका जीवन दर्शन भी प्रेरणादायक है। वे कहते हैं, ‘जिसकी मस्ती जिंदा है, उन्हीं की हस्ती जिंदा है, बाकी तो यों ही जबरदस्ती जिंदा हैं।’ उनके ये शब्द उनकी जिंदादिली और सकारात्मक दृष्टिकोण को दर्शाता है। अपने कर्म और सेवा के माध्यम से समाज की सेवा करनेवाले रसिकलाल कोठारी का जीवन लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

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