सामना संवाददाता / मुंबई
राज्य में समुद्री यातायात परिवहन को बढ़ावा देने के लिए जवाहर लाल नेहरू पोर्ट आथॉरिटी (जेएनपीए) के निदेशक मंडल ने नए वर्ष के शुरुआत में इलेक्ट्रिक नौकाएं चलाने जा रही है। प्रदूषण कम करने और तेजी से सफर पूरा करने की दिशा में जेएनपीए ने इलेक्ट्रिक स्पीड बोट यानी ई-वॉटर टैक्सी को बेहतर बताया है लेकिन अब सवाल है कि यह इलेक्ट्रिक नौका सुरक्षा की दृष्टि से कितनी महफूज होगी। लकड़ी की नौकाओं में आग लगने और पानी रिसाव से डूबने जैसी आदि घटनाओं जैसी संभावना होती है।
क्या यह इलेक्ट्रिक नौकाएं उन संभावनाओं को और कम करेंगी? इस इलेक्ट्रिक नौका से दुर्घटनाएं रोकने में कितनी मदद मिलेगी? ऐसे तमाम सवाल लोगों के मन में उठ रहे हैं। गेटवे ऑफ इंडिया से एलिफेंटा तक रोजना ५ फेरी लगाने वाले अजंता बोट सर्विस के चालक सुरेश कदम ने बताया कि लकड़ी की नौकाएं कई मामलों में बेहतर होती है। यह सीधे मेकेनिकल सिस्टम पर आधारित हैं। कई वर्षों से इनका संचालन करते हुए हम इसके तकनीकी पहलुओं से सहज रूप से हो गए हैं। उदाहरण के लिए यदि बीच समुद्र में नाव में कुछ तकनीकी गड़बड़ी आ जाएं तो हम उसे खुद ही सुलझा लेते हैं, लेकिन उस नई तकनीकी को देखने और समझने में हमें वक्त लगेगा। उन्होंने कहा कि सुरक्षा की दृष्टि से लकड़ी की नौकाएं ज्यादा सुरक्षित हैं। इनकी बनावट ऐसी है कि तेज समुद्री लहरों में भी यह टिकी रहती हैं। आग लगने की संभावना भी कम होती है। लेकिन नई इलेक्ट्रिक नौकाएं तेज तो चलेंगी, लेकिन खतरनाक भी साबित होंगी।
नौका चालकों के मन में संदेह
एक अन्य चालक पवन खांडेकर ने बताया कि कुछ दिनों पहले नेवी की एक बोट लकड़ी की नाव से टकरा गई थी, जिसमें लगभग १८ लोगों की मौत हो गई थी। इस घटना को देखते हुए इलेक्ट्रिक बोट में यात्रियों की सुरक्षा आदि पर विचार जरूरी है। पवन ने बताया कि इलेक्ट्रिक बोट में आग लगने की संभावना ज्यादा है। पूरी फाइबर की होने के नाते आग जल्द पकड़ेगी, साथ ही इलेक्ट्रिक होने के नाते शॉर्टसर्किट की संभावना भी ज्यादा होगी। किसी दूसरी नौका से टकराने पर नुकसान की संभावना भी ज्यादा होगी। साथ ही साधारण बोट की तुलना में इसमें मात्र २५ प्रतिशत यात्री ही आ सकेंगे। मतलब उसकी क्षमता भी कम होगी। उन्होंने बताया कि बीच समुद्र में ई-बोट का इंजन बंद हो गया तो हमें मैकेनिक को ही बुलाना होगा। चूंकि यह बैटरी से चलेगी इस लिए हर दो से तीन फेरी पर हमें चार्ज के लिए लगाना होगा। यह तमाम समस्याएं संभव हैं। इसलिए पहले इसकी टेस्टिंग हो और बाद में इसे लागू किया जाए।
क्या है जेएनपीटी की योजना
लकड़ी की यात्री नौकाओं को धीरे-धीरे बंद कर फरवरी २०२५ से गेटवे ऑफ इंडिया से जेएनपीए पोर्ट रूट पर यात्री इलेक्ट्रिक वॉटर टैक्सी शुरू करने की योजना है। इलेक्ट्रिक स्पीड बोट के जरिए गेटवे ऑफ इंडिया से जेएनपीए का सफर केवल २५ मिनट में पूरा हो सकेगा, जबकि सामान्य बोट एक घंटे लेती है। जेएनपीए ने दो इलेक्ट्रिक स्पीड बोट बनाने का ऑर्डर मझगांव डॉक को दिया है।
‘मासुंदा’ तालाब में बिना लाइफ जैकेट बोटिंग
ठाणे में भी ‘नीलकमल’ जैसे हादसे की आशंका
गेटवे ऑफ इंडिया के पास नील कमल बोट हादसे के बावजूद ठाणे महानगरपालिका प्रशासन की नींद नहीं खुली है। ठाणे पश्चिम में मासुंदा तालाब में बोटिंग करने वालों की संख्या दिनों-दिन बढ़ रही है, लेकिन ये लोग अब तक बिना लाइफ जैकेट के ही बोटिंग करते नजर आ रहे हैं। उधर लोगों ने सवाल उठाया है कि प्रशासन ने तो लाइफ जैकेट पहनना अनिवार्य कर दिया है लेकिन बोटिंग करनेवालों पर निगरानी कौन रखेगा। ठाणे मनपा आयुक्त सौरभ राव ने ‘नीलकमल’ हादसे के बाद मासुंदा तालाब का दौरा कर सभी को लाइफ जैकेट पहनने की सख्त चेतावनी दी थी। लेकिन हकीकत यह है कि शनिवार-रविवार की भीड़ में बोटिंग करनेवाले ज्यादातर लोग बिना किसी सुरक्षा के देखे गए।
सवाल उठता है कि क्या प्रशासन ने इस चेतावनी को लागू करने के लिए कोई ठोस कदम उठाए हैं।
मासुंदा समेत ठाणे के अन्य तालाबों में बोटिंग के दौरान लाइफ जैकेट पहनना अनिवार्य है। प्रशासन ने ठेकेदारों को सुरक्षा सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। तालाब में किनारे किसी ने इसका पालन होते नहीं देखा। अगर लोग नियम तोड़ रहे हैं तो क्या यह प्रशासन की नाकामी नहीं है?
गायमुख खाड़ी और टिटवाला तालाब में भी लाइफ जैकेट पहनने के निर्देश दिए गए हैं, लेकिन नियम लागू करने की जिम्मेदारी किसकी है, अगर हर बार हादसों के बाद ही जागरूकता और निर्देश दिए जाएंगे तो क्या यह प्रशासन की लापरवाही का प्रमाण नहीं है?
नया साल भी आ रहा है। नए साल की धूम और थर्टी फर्स्ट की तैयारियों के बीच ठाणे में सुरक्षा व्यवस्था को अलर्ट जारी किया गया है। लेकिन क्या मासुंदा तालाब जैसी जगहों पर यह अलर्ट प्रभावी होगा? ऐसा लगता है प्रशासन फिर से एक और हादसे का इंतजार कर रहा है।