मुख्यपृष्ठस्तंभसप्तद्वीप वसुंधरा मुंबानगरी!

सप्तद्वीप वसुंधरा मुंबानगरी!

विमल मिश्र

मुंबई सात द्वीपों से मिलकर बनी है। मुंबई का सी-फ्रंट तीन तरफ से समुद्र से घिरे इस शहर की रोजी-रोटी है, सुरक्षा व मन-बहलाव भी और शान भी।

सात द्वीपों – कोलाबा, मझगांव, ओल्ड विमन आइलैंड, वडाला, माहिम-बांद्रा, परेल और माटुंगा-सायन को मिलाकर बना मुंबई और सालसेट कहलाया। लगातार रिक्लेमेशन ने इसे ठाणे से संयुक्त कर दिया। सालसेट विश्व का १४वां सबसे अधिक जनसंख्या वाला द्वीप है। वसई खाड़ी और उल्हास नदी इसे कोंकण मुख्य भूमि से अलग करती हैं। सात द्वीपों से मिलकर बनी मुंबई में अभी भी कई द्वीप हैं। पर बताएं, इनमें एलिफेंटा को छोड़, किसी का नाम आपने पहले सुना है?
एलिफेंटा या धारापुरी: पांचवीं-छठी शताब्दी की बौद्ध गुफाओं और प्रस्तर शिल्पों के लिए लोकप्रिय टूरिस्ट ठिकाना। यूनेस्को ने इसे ‘वर्ल्ड हेरिटेज’ का दर्जा दे रखा है।
बुचर आईलैंड या जवाहर द्वीप: गेटवे ऑफ इंडिया से सवा आठ किलोमीटर दूर मुंबई बंदरगाह का ऑइल टर्मिनल। टैंकरों के लिए जेटी के अलावा कच्चे तेल की अनलोडिंग व रिफाइंड पेट्रो उत्पादों की लोडिंग के लिए चार जेटियां और अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर यहां हैं। यह द्वीप आम नागरिकों के आवागमन के लिए वर्जित है। कुछ वर्ष पहले हाई स्पीड डीजल की एक टंकी में विस्फोट हो जाने से यहां भारी नुकसान हुआ था।
क्रॉस आइलैंड: डॉकयार्ड रोड के ठीक पास छोटा सा बियाबान द्वीप।
मिडिल ग्राउंड: ठाणे खाड़ी का महज कुछ सौ मीटर में पैâला द्वीप। सेना के पुराने तोपखाना के लिए मशहूर। अब सेना के कमांडर-इन-चीफ या तैनाती बाद लौटते वक्त नौसेना के युद्धपोतों को हार्बर में प्रविष्ट होने के समय तोपों से सलामी देने के लिए प्रयुक्त होता है।
आयस्टर रॉक: अरब सागर में उभरी चट्टानों का छोटा समूह। यह सेनाभ्यासों के दौरान इस्तेमाल होता है, इसलिए आम नागरिकों को इधर से गुजरने के लिए पहले से आगाह कर दिया जाता है। कुछ वक्त यहां नौसेना का म्यूजियम भी रह चुका है।
मुंबई हाई: मुंबई तट से १६० किलोमीटर दूर पश्चिम में अरब सागर में तेल के विशाल कुएं हैं। नॉर्थ और साउथ ब्लॉक में बंटे इन कुओं में अकेले ही देश का ४० प्रतिशत तेल उत्पादन होता है।
रिफाइनरियां: मुख्यत: एचपी और बीपी की रिफाइनरियां। दोनों ही माहुल में। भारत पेट्रोलियम की रिफाइनरी मुंबई हाई से निकले कच्चे तेल का शोधन करने वाली पहली रिफाइनरी है।
नौसेना गोदी और अन्य सैन्य प्रतिष्ठान: कस्टम हाउस से महाराष्ट्र पुलिस मुख्यालय के बीच छह लाख वर्ग गज के दायरे में बनी दीवारों के पीछे स्थित है नेवल डॉकयार्ड, जहां भारतीय नौसेना के पोतों की मरम्मत और फिटिंग्ज होती हैं। यहीं भारतीय नौसेना के सबसे महत्वपूर्ण पश्चिमी कमान मुख्यालय के कुछ बड़े दफ्तर हैं। इस बात की याद दिलाते कि कभी यह मराठों, ब्रिटिश और पुर्तगाली सेनाओं का भी दुर्ग रह चुका है। आईएनएस आंग्रे और आईएनएस कुंजाली बिल्कुल पास है। नेवी नगर यहीं है, जहां देश में नेवी का सबसे बड़ा अस्पताल अवस्थित है। आईएनएस हमला मालाड, आईएनएस ट्राटा वर्ली और आईएनएस करंजा उरण में हैं। डॉकयार्ड के विभिन्न गेट एलिफेंट गेट, लॉयन गेट, ऑरेंज गेट, गन गेट, रेड गेट, व्हाइट गेट, ब्लू गेट, टाइगर गेट, ग्रीन गेट, येलो गेट आदि के नाम से जाने जाते हैं। मझगांव के ड्राई डॉक में बने युद्धपोतों पनडुब्बियों के बिना, तो इंडियन नेवी की कल्पना भी नहीं की जा सकती। यहां मर्चेंट शिप्स के निर्माण के अलावा तेल की खुदाई के लिए ऑफ शोर प्लैटफॉर्मो व जैक अप रिग्स का निर्माण भी होता है।
पोर्ट ट्रस्ट रेलवे: बेलार्ड पियर से वडाला तक पोर्ट ट्रस्ट रेलवे १९१५ में खुली। इसी के समानांतर बनाए गए अनाज और र्इंधन के डिपो। शिवड़ी में केरोसिन और वडाला में पेट्रोल के डिपो डेवलप किए गए। न्हावा शेवा बंदरगाह की भी रेल कनेक्टिविटी है।
ससून डॉक: वेट हॉर्बर डॉक, जो मुंबई का सबसे बड़ा फिश मार्केट भी है। ससून डॉक की तरह कोली बंदर भी मछलियों के व्यापार के लिए मशहूर था। ससून डॉक के पास जमशेदजी बंदर और एलफिंस्टन बंदर भी अब इतिहास बन गए हैं।
भाऊचा धक्का : जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट, मोरा, रेवस और मांडवा जैसी जगहों पर पहुंचाने का पसंदीदा माध्यम अब भी बना हुआ है। रेवस से मांडवा और अलीबाग महज १० किलोमीटर दूर रह जाते हैं। इन स्थानों के कोरलाई किला, खंडेरी और उंडेरी द्वीप पर्यटकों के लिए आकर्षण हैं, जबकि मोरा उरण के बिल्कुल करीब है।
(जारी)
(लेखक ‘नवभारत टाइम्स’ के पूर्व नगर संपादक, वरिष्ठ पत्रकार और स्तंभकार हैं।)

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