मुख्यपृष्ठग्लैमर‘अपने निर्णय से पीछे नहीं हटूंगा!’-आदित्य रेडिज

‘अपने निर्णय से पीछे नहीं हटूंगा!’-आदित्य रेडिज

 

‘सोनी सब’ टीवी पर बेहद लोकप्रिय शो ‘तेनाली रामा’ एक बार फिर दोबारा ‘सोनी सब’ पर शुरू हो चुका है। इस शो की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इस पारिवारिक शो को बच्चों-बूढ़ों सहित परिवार के सभी लोगों द्वारा पसंद किया जा रहा है। शो में राजा कृष्णदेव राय का किरदार निभानेवाले आदित्य रेडिज मॉडलिंग में अपनी साख जमाने के बाद अभिनय में अपना सिक्का जमा चुके हैं। पेश है, आदित्य रेडिज से पूजा सामंत की हुई बातचीत के प्रमुख अंश-

 शो ‘तेनाली रामा’ स्वीकारने की क्या वजह रही?
‘तेनाली रामा’ के पहले सीजन को काफी लोकप्रियता मिली थी। इस शो की सबसे बड़ी खासियत यह है कि ये पूरी तरह पारिवारिक शो है। ऐसे शो कम ही बनते हैं जिसे बच्चे और बड़े एक साथ ड्रॉइंग रूम में बैठकर एन्जॉय कर सकें। यह मनोरंजक शो नई पीढ़ी को भारतीय इतिहास के तेनालीराम जैसे धुरंधरों से परिचित करवाता है। कुल मिलाकर, यह शो बेहद यूनिक है। मेरा राजा कृष्णदेव राय का किरदार आम और खास लोगों में अपनी जगह बना चुका है। मैं तो खुद को खुशकिस्मत मानता हूं कि इस किरदार को निभाने का मौका मुझे मिला।

इस किरदार को निभाने के लिए आपने किस तरह का होमवर्क किया?
राजा कृष्णदेव राय विजय नगर यानी कर्नाटक में राज करते थे। शो के रिसर्च डिपार्टमेंट ने जो जानकारी दी उसके अलावा मैंने कुछ किताबें भी पढ़ी। इतिहास के तथ्यों के साथ छेड़छाड़ नहीं किया जा सकता। एक महत्वपूर्ण बात यह कि राजा कृष्णदेव राय के गुणों ने उन्हें महान बनाया। राजा कृष्णदेव राय को निभाने का मेरा नजरिया अलग होगा, लेकिन ऐतिहासिक तथ्य वही होंगे।

 क्या राजा कृष्णदेव राय और आदित्य रेडिज में कोई समानता है?
राजा कृष्णदेव राय ऐसे सम्राट थे, जिन्होंने उनके दौर में कर्नाटक को वैभवशाली राज्य बनाया। ऐसे राजा से मेरी तुलना का प्रश्न नहीं उठता, लेकिन उनके कुछ गुण ऐसे थे जैसे कि उन्होंने हमेशा से सच्चाई का साथ दिया। अक्सर देखा गया है कि बहुत बड़े स्थान पर विराजमान व्यक्ति कभी दूसरों के बहकावे में आ जाता है, लेकिन राजा कृष्णदेव ऐसे नहीं थे। मैं भी बचपन से लेकर आज तक और आगे भी सच्चाई का ही साथ देता रहूंगा। मैं जब सच्चाई का साथ देता हूं तो अपने निर्णय से पीछे नहीं हटूंगा।

क्या इस दौर में यह धारावाहिक रिलेवेंट होगा?
यह शो बिल्कुल सम-सामयिक है और इस दौर में ‘तेनाली रामा’ बहुत रिलेवेंट है। इस वक्त तेनालीराम जैसों की बेहद आवश्यकता है जो अपनी सूझबूझ से अवाम को सीख दे और बिना लेक्चर के दुनिया को समझदारी सिखाएं। ‘तेनाली रामा’ एंटरटेनमेंट के अलावा एक अच्छा इंसान बनने की प्रेरणा देता है। हम धीरे-धीरे कलियुग से सतयुग की ओर बढ़ रहे हैं, इसलिए कलियुग में ‘तेनाली रामा’ आज भी रिलेवेंट है।

इस शो की शूटिंग में आपको कितनी दिक्कतें होती हैं?
मुकुट का वजन ही दो किलो से अधिक है। पोशाक भी वजनदार है। शो की कहानी १६वीं सदी की है, उन दिनों बिजली नहीं थी। कई बार मशालों की रोशनी में शूटिंग करनी पड़ती है। ऐसे में तेज गर्मी महसूस होती है, लेकिन शूटिंग के दौरान जब एक्शन कहा जाता है तो वैâमरा ऑन होते ही गर्मी और परेशानियों को भूलकर मैं अपने किरदार में खो जाता हूं।

 आपका अब तक का सफर कैसा रहा?
मैं महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले का रहनेवाला हूं। पहले मॉडलिंग करने मुंबई आया और मॉडलिंग के बाद एक्टिंग के मौके मिलते गए। मेरे अभिनय की शुरुआत मराठी फिल्मों से हुई और उस सफलता के बाद टीवी शोज में काम करने का मौका मिला। मेरा हर टीवी शो सफल रहा और आगे दरवाजे खुलते गए। मैंने कोई अभिनय की ट्रेनिंग नहीं ली, लेकिन मेरे ही फील्ड ने मुझे ट्रेंड एक्टर बना दिया। ‘ना आना इस देस लाडो’, ‘बावरा दिल’, ‘सवारे सबके सपने प्रीतो’, ‘इश्क की दास्तान नागमणि’, ‘यह है आशिकी’, ‘मेरी आवाज ही पहचान है’, ‘चंद्रगुप्त मौर्य’ इन शोज ने मुझे लोकप्रियता दिलाई। मैंने बड़ी श्रद्धा से अपना काम किया इसलिए संतुष्टि मिली और मैं खुश हूं।

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