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मुंबईकरों की जेब पर महंगाई की मार … मुफ्त योजनाओं से बढ़ा बोझ

युति सरकार की खराब नीतियों से भड़की महंगाई की आग
सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र सरकार की नीतियों और मुफ्त योजनाओं का बोझ मुंबईकरों के लिए संकट बन गया है। कैग (भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक) की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य का राजकोषीय घाटा २ लाख करोड़ रुपए को पार कर चुका है। ऐसे में सरकार के पास अगले बजट में खर्चों को पूरा करने के लिए जनता पर अतिरिक्त बोझ डालने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।
महाराष्ट्र का कर्ज अब जीएसडीपी (कुल राज्य घरेलू उत्पाद) के १८ फीसदी तक पहुंच चुका है और सरकारी खर्च बढ़ने के कारण कर्ज लेने की गुंजाइश भी बेहद कम हो गई है। सरकार के पास अब या तो कर्ज लेने का विकल्प है या फिर सार्वजनिक खर्चों में कटौती करने का। हालांकि, सरकार ने मुफ्त योजनाओं का सिलसिला जारी रखा है, जिसके कारण वित्तीय संकट और भी बढ़ सकता है।
राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई मुफ्त योजनाएं चुनावी लाभ के लिए तो हो सकती हैं, पर महाराष्ट्र की आर्थिक स्थिति को कमजोर कर रही हैं। जैसे ‘लाडली बहन योजना’ के तहत हर महिला को २,१०० रुपए दिए जा रहे हैं। इससे सरकार पर सालाना ६३,००० करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार पड़ेगा। इसके अलावा ‘नमो शेतकरी महासम्मान निधि’ योजना का बोझ भी बढ़ने की उम्मीद है। इसमें किसानों को १५,००० रुपए की सहायता दी जाएगी, जो राज्य के खजाने को और खाली कर देगी। राज्य सरकार ने अपनी आय बढ़ाने के लिए मुद्रांक शुल्क शराब पर टैक्स बढ़ाने का प्रस्ताव तैयार किया है। इससे न केवल आम जनता को अतिरिक्त बोझ सहना पड़ेगा, बल्कि यह समाज के निचले वर्ग पर नकारात्मक प्रभाव भी डालेगा। साथ ही प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन महंगा होने से आम नागरिकों के लिए घर खरीदना और भी मुश्किल हो जाएगा। रोड टैक्स में वृद्धि की जा सकती है, जो पहले ही १० लाख तक के वाहनों के लिए ११ फीसदी है। इस कदम से वाहन मालिकों पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। यह उन लोगों के लिए भी समस्याएं पैदा करेगा, जो पहले से ही वित्तीय संकट का सामना कर रहे हैं। सीएजजी, पेट्रोल और डीजल पर टैक्स बढ़ाने से सरकार को अतिरिक्त १,००० से १२,००० करोड़ रुपए की आय हो सकती है। हालांकि, इससे ऑटो-टैक्सी किराया, सीएनजी पर चलनेवाले निजी वाहनों और एलपीजी इस्तेमाल करनेवालों पर भी बोझ बढ़ेगा। अब सवाल उठता है कि क्या सरकार को मुफ्त योजनाओं के बजाय राज्य की वित्तीय स्थिति सुधारने पर नहीं ध्यान केंद्रित करना चाहिए था।

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