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मेट्रो ९ परियोजना विकास या विनाश … विकास की आड़ में उजड़ते घर, कटते पेड़ …कौन जीतेगा, बजट का गणित या जनता की जरूरत?

सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजनल डेवलपमेंट ऑथॉरिटी (एमएमआरडीए) ने मेट्रो ९ के भायंदर-उत्तन विस्तार के लिए वैकल्पिक मार्ग की योजना बनाई है। इस नए मार्ग से ५०० करोड़ रुपए की बचत का दावा किया गया है। पर यह योजना कई सवाल खड़े कर रही है। मेट्रो परियोजना में ९०० परिवारों के पुनर्वास की बात थी, जबकि वैकल्पिक मार्ग परियोजना में यह संख्या घटकर २०० हो गई है। ऐसे में सवाल उठता है कि बाकी ७०० परिवार, जो पहले मेट्रो कनेक्टिविटी का हिस्सा थे, अब इससे वंचित क्यों रहेंगे?
वैकल्पिक मार्ग का बड़ा हिस्सा नमभूमि और नमक के मैदानों से होकर गुजारने की योजना है। यह क्षेत्र न केवल पर्यावरणीय दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि स्थानीय किसानों और मछुआरों की आजीविका का मुख्य स्रोत भी है। विशेषज्ञों का मानना है कि इन क्षेत्रों पर निर्माण से परिस्थितिकीय असंतुलन पैदा हो सकता है, इससे स्थानीय समुदाय की आजीविका को खतरा हो सकता है।
मौजूदा परियोजना में राय, मुरधा और मोरवा गांव के लिए दो स्टेशन प्रस्तावित थे। परंतु वैकल्पिक मार्ग में केवल एक स्टेशन बनाया जाएगा। जिसमें प्रत्येक स्टेशन की निर्माण लागत ८० करोड़ रुपए है। ऐसे में कम स्टेशनों के कारण इन गांवों के निवासियों के लिए मेट्रो तक पहुंचना मुश्किल हो सकता है। इसके साथ ही, ये गांव मेट्रो की सुविधा से पूरी तरह कट सकते हैं, जिससे उनका सामाजिक और आर्थिक विकास बाधित हो सकता है।
भूमि अधिग्रहण और पुनर्वास पर आनेवाली लागत में कटौती को भी इस योजना का प्रमुख लाभ बताया जा रहा है। मौजूदा योजना में पुनर्वास की लागत २७० करोड़ और ‘भूमि अधिग्रहण की लागत ३०० करोड़ रुपए थी। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि पुनर्वास की प्रक्रिया में पारदर्शिता वैâसे सुनिश्चित की जाएगी।
एमएमआरडीए का दावा है कि मेट्रो ९ परियोजना के ८७ फीसदी कार्य पूरे हो चुके हैं। जून २०२५ तक इसका संचालन शुरू हो जाएगा। लेकिन वैकल्पिक मार्ग पर किए जा रहे बदलावों से परियोजना में देरी और लागत में अप्रत्याशित बदलाव की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
यह परियोजना, जिसका उद्देश्य भायंदर और उत्तन के बीच कनेक्टिविटी सुधारना था। अब स्थानीय निवासियों और पर्यावरण के लिए चुनौती बनती दिख रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि मेट्रो जैसी परियोजनाओं में केवल लागत बचाने के बजाय, स्थानीय समुदाय और पर्यावरणीय संतुलन को प्राथमिकता देनी चाहिए।

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