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पाक फौज के लिए मौत का हाईवे तैयार! …पुलवामा हमले की तर्ज पर हो रहे हैं शिकार

-जिराब ने किया पाक की नाक में दम
-आईएसआई के पास भी नहीं इसका तोड़
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
पाकिस्तान की हालत इन दिनों टाइट है। एक तरफ तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) और दूसरी तरफ बलूच विद्रोहियों ने परेशान कर रखा है। दोनों ही मोर्चों से पाक को कड़ी चुनौती मिल रही है। बीते कुछ दिनों से ऐसी खूब रिपोर्ट्स सामने आईं, जिनमें पाक आर्मी और टीटीपी की ताकत की तुलना की गई, लेकिन बहुत कम लोग हैं जो बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी की मजबूती से वाकिफ हैं। इनके पास अपनी खुद की इंटेलिजेंस विंग भी है, जिसका नाम जिराब है।

पढ़े-लिखे पेशेवर लोग शामिल
बीएलए ने जब जिराब का आधिकारिक ऐलान किया था तब कहा कि जिराब बलूच लिबरेशन आर्मी की एक संगठित और कॉरेडिनेटेड इंटेलिजेंस विंग है। इसमें सैकड़ों प्रोफेशनल, इंफॉरमर, आईटी एक्सपर्ट्स, रिसर्चर, इंवेस्टिगेटर और डेटा एनालिस्ट यानी कुल जमा पढ़े-लिखे पेशेवर लोग हैं। बलूचिस्तान के शहरों में बेहद कम समय में जिराब ने सीक्रेट सेल स्थापित कर लिए हैं।

इन हमलों में सामने आया नाम
४ जनवरी, २०२५ को बलूचिस्तान के तुर्बत में पाकिस्तानी सैन्य दल को निशाना बनाया गया। बीएलए का दावा है कि इसमें ४७ सैनिक मारे गए थे। इस हमले को बीएलए ने जिराब की मदद से अंजाम दिया। ९ नवंबर, २०२४ को पाकिस्तान के क्वेटा के रेलवे स्टेशन पर एक आत्मघाती हमला हुआ था। इस हमले में दो दर्जन से अधिक पाकिस्äतानी सैनिक मारे गए। इस हमले का जिम्मा बीएलए ने लिया। साथ ही कहा कि घटना को अंजाम देने के लिए रेकी उनके इंटेलिजेंस विंग जिराब ने की थी। इससे पहले ४ नवंबर को क्वादरीबाद और ६ नवंबर को बलूचिस्तान के नुष्की में सुरक्षाबलों पर हुए हमले के पीछे भी जिराब का ही हाथ बताया गया।

बीएलए बना जान का दुश्मन
शनिवार को पाकिस्तान के तुर्बत में एक फिदायीन हमला हुआ। पाकिस्तानी सेना का काफिला जब तुरबत शहर से ८-१० किलोमीटर दूर बेहमान इलाके से गुजर रहा था। अचानक एक गाड़ी दूसरी तरफ से आती है और जबरदस्त विस्फोट हो जाता है। इस हमले की जिम्मेदारी बलूच लिब्रेशन आर्मी ने ली। बीएलए ने बाकायदा एक बयान जारी किया। इसमें एक बार फिर से जिराब इंटेलिजेंस विंग का नाम सामने आया। बीएलए ने यह भी दावा किया है कि इस हमले में पाकिस्तानी प्रâंटियर फोर्स के ४७ सैनिक मारे गए। ३० से ज्यादा के घायल होने की भी बात कही है। जिराब इंटेलिजेंस विंग ने पाकिस्तानी सेना के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी कर दी। हमला ठीक उसी तरह से अंजाम दिया गया, जैसे कि पुलवामा में पाकिस्तानी आतंकियों ने सीआरपीएफ के काफिले पर किया था। जब विस्फोटकों से भरी गाड़ी सीआरपीएफ के काफिले से टकराई थी।

रा और आईएसआई की तर्ज पर बनी जिराब
जिराब का पूरा नाम जेफर इंटेलिजेंस रिसर्च एंड एनालिसिस ब्यूरो है। जैसे भारत के पास रा यानी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग, पाकिस्तान के पास आईसआई यानी इंटर-सर्विसेस इंटेलिजेंस है, ठीक उसी तर्ज पर जिराब बनाई गई है। इस इंटेलिजेंस विंग को बने हुए अभी २-३ महीने ही हुए हैं, लेकिन इन्हीं महीनों में कुछ बड़े हमलों में जिराब का नाम सामने आ चुका है।

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