हर दिन ठेकेदार को उठाना होगा १५ हजार मीट्रिक टन कचरा
सामना संवाददाता / मुंबई
मुलुंड डंपिंग ग्राउंड में कचरे के लगे पहाड़ों का वैज्ञानिक तरीके से निपटान करके भूखंड को खाली करने की समयसीमा जून २०२५ को समाप्त हो रही है। हालांकि, मौजूदा समय में इस डंपिंग ग्राउंड से केवल ५० प्रतिशत कचरे का ही निपटान किया जा सका है। बाकी बचे कचरे का निस्तारण अगले छह महीने में करना होगा। इसके लिए ठेकेदार को प्रतिदिन १५ हजार मीट्रिक टन कचरा उठाने का लक्ष्य दिया गया है। इस लक्ष्य को पूरा करने की चेतावनी मनपा प्रशासन ने ठेकेदार को दी है। दूसरी तरफ सवाल उठ रहे हैं कि जिस रफ्तार से काम चल रहा है, उसे देखते हुए ऐसा लग रहा है कि ठेकेदार के लिए लक्ष्य को पूरा करना संभव नहीं है।
मनपा प्रशासन ने कचरा निस्तारण के बाद मिलनेवाली ४१.३६ एकड़ जमीन धारावी पुनर्वास परियोजना को देने की तैयारी दिखाई है। सूचना के अधिकार में खुलासा हुआ कि मनपा आयुक्त ने नगर विकास विभाग को भी ऐसा पत्र भेजा था। इसका उद्देश्य वर्षों से जमा हुए ७० लाख टन कचरे का निपटान करके भूमि अधिग्रहण करना है। मुलुंड डंपिंग ग्राउंड की शुरुआत १९६८ में हुई थी। इस बंजर भूमि पर प्रतिदिन लगभग १,५०० मीट्रिक टन कूड़ा डाला जाता था। पिछले कुछ वर्षों में जनसंख्या वृद्धि के कारण इस डंपिंग ग्राउंड को बंद करने की मांग की गई थी। इसलिए वर्ष २०१८ में मनपा ने ७३१ करोड़ रुपए की लागत से अगले छह वर्षों के लिए मुलुंड डंपिंग ग्राउंड से कचरा हटाने के लिए बायोमाइनिंग इंडिया को ठेका दिया था।
मुलुंड डंपिंग ग्राउंड का ५० फीसदी उठा कचरा!
सरकार द्वारा शासनादेश जारी होने के बाद भी काफी समय से इस डंपिंग ग्राउंड पर कचरा ठिकाने लगाया जा रहा था। दूसरी तरफ मनपा ने पिछले कई वर्षों से जमा हुए कचरे का वैज्ञानिक तरीके से निपटान शुरू किया, ताकि यहां के भूखंड को फिर से हासिल किया जा सके। इस काम को करने के लिए मनपा ने जून २०१८ में ठेकेदार नियुक्त किया था, लेकिन अभी तक केवल ५० फीसदी ही काम पूरा हो सका है। इस डंपिंग ग्राउंड में कुल ७० लाख टन कचरा है, जिसमें से अब तक ३७ लाख मीट्रिक टन कचरे का निस्तारण किया जा चुका है। वर्तमान में प्रतिदिन साढ़े आठ से नौ हजार मीट्रिक टन कचरे को हटाया जा रहा है। कोरोना और छंटनी के कारण यह प्रोजेक्ट रुक गया था। इसलिए छह साल के प्रोजेक्ट को एक साल के लिए बढ़ा दिया गया है।
महानगरपालिका के डंपिंग ग्राउंड की क्षमता समाप्त हो गई है। ऐसे में कोर्ट ने मुलुंड डंपिंग ग्राउंड को वैज्ञानिक तरीके से बंद करने का आदेश दिया है। हालांकि, परियोजना का काम धीमी गति से चल रहा है। इसलिए घनकचरा विभाग ने हाल ही में ठेकेदार और सलाहकार के बीच एक बैठक की। इस बैठक में ठेकेदार को जून २०२५ तक प्रोजेक्ट पूरा करने का आदेश दिया गया है। इसके लिए ठेकेदार को प्रतिदिन १५ हजार मीट्रिक टन कचरा निस्तारण का लक्ष्य दिया गया है। इस काम के लिए अतिरिक्त मशीनरी लगाने को भी कहा गया है।