-कहा, यह हमारे अधिकार क्षेत्र से बाहर है
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
भ्रष्टाचार के मामलों में कार्रवाई के लिए बनी लोकपाल संस्था ने पूर्व सीजेआई (सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश) जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ पर लगे आरोपों पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। इससे पूर्व सीजेआई को राहत मिली है। लोकपाल का कहना है कि सीजेआई की जांच करना उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर है।
बता दें कि आधिकारिक आदेश में लोकपाल ने कहा कि गत १८ अक्टूबर २०२४ को तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई थी। उन पर निर्वाचित नेताओं और राजनीतिक दलों के हितों की रक्षा के लिए अपने पद और शक्ति का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया गया था। शिकायत में इसे भ्रष्टाचार बताया गया है। मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ १० नवंबर को सेवानिवृत्त हो गए थे।
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाले छह सदस्यीय लोकपाल ने अपने आदेश में पूछा कि क्या मुख्य न्यायाधीश या सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश, पद पर रहते हुए, धारा १४ के तहत लोकपाल की शक्तियों के दायरे में आते हैं। इस बारे में लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम की विस्तार से समीक्षा की गई।
पूर्व सीजेआई के खिलाफ
३८२ पन्नों की शिकायत
लोकपाल ने कर दी खारिज
पूर्व सीजेआई जस्टिस चंद्रचूड़ को राहत मिल गई है। उनके खिलाफ पद पर रहते ही लोकपाल में शिकायत की गई थी। अब लोकपाल ने ३८२ पन्नों की शिकायत पर विचार करने से इनकार कर दिया। इस बारे में उसने कहा, ‘हम शिकायत को खारिज कर रहे हैं, क्योंकि हमारा अधिकार क्षेत्र प्रतिबंधित है।’
इस मामले में लोकपाल ने यह भी कहा, ‘यह नहीं कहा जा सकता कि हमने शिकायतकर्ता द्वारा लगाए गए आरोपों के गुण-दोष पर कोई राय व्यक्त की है।’ लोकपाल ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट सहित किसी भी अदालत का न्यायाधीश एक लोक सेवक है और के. वीरास्वामी मामले में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के पैâसले के अनुसार, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत भ्रष्टाचार के मामलों में मुकदमा चलाया जा सकता है। अब सवाल यह है कि क्या सर्वोच्च न्यायालय संसद के अधिनियम द्वारा स्थापित एक संस्था है। आदेश में कहा गया है कि लोकपाल अधिनियम की धारा १४ बिल्कुल स्पष्ट और परिभाषित है और व्याख्या के लिए कोई जगह नहीं छोड़ती है।