सामना संवाददाता / मुंबई
रामजी आसर विद्यालय वाडी ट्रस्ट के अधीन एच.वी.के. तन्ना जूनियर कॉलेज ऑफ कॉमर्स ने अपने 50वें स्वर्ण जयंती समारोह का आयोजन घाटकोपर (पूर्व) स्थित ज़वेरिबेन् पोपटलाल ऑडिटोरियम में भव्यता और उत्साह के साथ किया। कार्यक्रम में छात्रों, अभिभावकों, पूर्व छात्रों और गणमान्य व्यक्तियों ने बड़ी संख्या में भाग लिया।
समारोह का शुभारंभ शाम 4 बजे हुआ। इस अवसर पर महाराष्ट्र राज्य माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (मुंबई विभाग) के अध्यक्ष श्री राजेंद्रजी अहिरे मुख्य अतिथि थे, जबकि कोकुयो कैमलिन लिमिटेड के उपाध्यक्ष और कार्यकारी निदेशक श्री श्रीराम जी दांडेकर ने विशेष अतिथि के रूप में कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। रामजी आसर विद्यालय वाडी ट्रस्ट के अध्यक्ष और विधायक श्री परागजी शाह की गरिमामयी उपस्थिति ने कार्यक्रम को और भी विशेष बना दिया।
कॉलेज के प्रधानाचार्य, श्रीमती स्मिताजी लाड ने मुख्य अतिथि के जीवन और उनकी सफलता की कहानियों से सभी को प्रेरित किया। कार्यक्रम का संचालन प्रो. प्रीती सय्यद, माधुरी पाटिल और अमी मकवाना ने बेहतरीन तरीके से किया।
पूर्व छात्रों की यादें और ‘अतुल्य भारत’ की झलकियां
स्वर्ण जयंती समारोह का मुख्य आकर्षण पूर्व छात्रों की भागीदारी रही। प्रथम बैच के श्री भरत रवानी ने कॉलेज की शुरुआती दिनों की यादें साझा कीं, जबकि डॉ. विजय महिदा ने संस्थान को अपने करियर निर्माण में मार्गदर्शक बताया।
कार्यक्रम की थीम ‘अतुल्य भारत’ पर आधारित थी, जिसमें देश की सांस्कृतिक विविधता को उजागर किया गया। छात्रों ने बिहू, भंगड़ा, लावणी, भरतनाट्यम और गरबा जैसे विभिन्न राज्यों के पारंपरिक नृत्यों के शानदार प्रदर्शन से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। नृत्य प्रदर्शन का निर्देशन जतिन ठकर ने किया।
‘रेट्रो और मेट्रो’ का आकर्षण
एक विशेष खंड ‘रेट्रो और मेट्रो’ में पुराने और नए गीतों के संगम ने भारतीय संगीत के विकास का उत्सव मनाया। यह प्रदर्शन न केवल दर्शकों के लिए मनोरंजन का स्रोत बना, बल्कि पुरानी और नई पीढ़ी के बीच पुल का काम भी किया।
कार्यक्रम का समापन श्री मिलन छेड़ा द्वारा हार्दिक धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। प्रधानाचार्य श्रीमती स्मिताजी लाड और प्रो. किर्तिदा भाटिया के मार्गदर्शन में यह कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।
एक शानदार सफलता
एच.वी.के. तन्ना जूनियर कॉलेज ऑफ कॉमर्स का 50वां स्वर्ण जयंती समारोह संस्थान के गौरवशाली इतिहास और उज्ज्वल भविष्य का प्रतीक बनकर उभरा। इसने न केवल संस्थान के मूल्यों और परंपराओं को प्रदर्शित किया, बल्कि देश की सांस्कृतिक विविधता और शैक्षिक उत्कृष्टता का उत्सव भी मनाया।