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चीनी मांझा बनेंगे परिंदों का काल! … २०२४ के मकर संक्रांति के दिन एक हजार पक्षी हुए थे घायल

– धड़ल्ले से बिक रहा है चीनी मांझा
सामना संवाददाता / मुंबई
मकर संक्रांति का त्योहार जल्द ही आने वाला है। इस दिन चीनी मांझा परिंदो यानी पक्षियों के लिए काल साबित होंगे। पिछले साल मकर संक्रांति के दिन करीब एक हजार से अधिक पक्षी घायल हो गए थे। बता दें कि मकर संक्रांति पर आसमान में पतंगों की उड़ान का जश्न हर साल पक्षियों और इंसानों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है। ह्यूमन सोसायटी इंटरनेशल/इंडिया (एचएसआई/इंडिया) ने मुंबईकरों से अपील की है कि वे इस साल चीनी मांझे का इस्तेमाल न करें और दया भाव से त्योहार मनाएं। पिछले साल मकर संक्रांति के दौरान मुंबई में करीब १,००० पक्षी घायल हुए थे, जबकि अमदाबाद में यह आंकड़ा ४,००० के पार था।
चीनी मांझा : मौत का धागा
चीनी मांझा बेहद खतरनाक है। कांच के टुकड़ों से लेपित इस सिंथेटिक मांझे की धार इतनी तेज होती है कि यह इंसानों, पक्षियों और जानवरों की त्वचा को चीर सकती है। इसके चलते हर साल हजारों पक्षी और जानवर गंभीर रूप से घायल हो जाते हैं और कई बार इंसानों की जान भी चली जाती है। २०२४ में देशभर में चीनी मांझे से जुड़ी कई मौतें दर्ज की गईं।
पर्यावरण को भी खतरा
एचएसआई/इंडिया ने चेताया कि चीनी मांझा न सिर्फ जीवों के लिए खतरनाक है, बल्कि पर्यावरण के लिए भी बड़ा खतरा है। यह गैर-बायोडिग्रेडेबल होता है और वर्षों तक पर्यावरण में बना रहता है। इसे सार्वजनिक जगहों और जलाशयों में फेंकने से जंगली और समुद्री जीव इसमें फंस सकते हैं या इसे खाने की कोशिश में जान गवां सकते हैं।
कानूनी प्रावधान और सजा
भारतीय दंड संहिता २०२३ की धारा २२३ के तहत चीनी मांझे का उपयोग दंडनीय अपराध है। इसका उल्लंघन करने पर ५,००० रुपए का जुर्माना या एक साल तक की जेल हो सकती है।

बैन के बावजूद बेधड़क बिक्री
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) ने २०१७ में चीनी मांझे के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाया था, लेकिन इसके बावजूद देश के कई हिस्सों में इसकी बिक्री और इस्तेमाल जारी है।

 

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