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भाजपा के टैक्स आतंकवाद से त्रस्त है जनता! … ६४ प्रतिशत गरीबों से तो ३ प्रतिशत अमीरों से मिला जीएसटी

– सचिन पायलट ने केंद्र की वित्तीय व्यवस्था पर उठाया सवाल
सामना संवाददाता / मुंबई
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार के `टैक्स आतंकवाद’ का सामना छोटे, मझोले और लघु व्यापारियों को करना पड़ रहा है। जीएसटी स्लैब की जटिल संरचना के कारण व्यापारियों को भारी परेशानी हो रही है। इसके साथ ही देश के मध्यम वर्ग और आम जनता से सबसे ज्यादा जीएसटी संग्रह किया जा रहा है, जबकि कुछ अमीरों को भारी कर रियायतें दी जा रही हैं। इस असंतुलन को सुधारने के लिए केंद्र सरकार को आगामी बजट में जीएसटी में बदलाव व `जीएसटी २.०’ लाने की जरूरत है। यह मांग कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सचिन पायलट ने गांधी भवन में आयोजित प्रेस कॉन्प्रâेंस के दौरान की।
सचिन पायलट ने कहा कि एक फरवरी २०२५ को भाजपा सरकार केंद्रीय बजट पेश करेगी। इस बजट में जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए जीएसटी की जटिल और दबाव पैदा करने वाली संरचना में बदलाव किया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि २०२१-२२ में कुल जीएसटी संग्रह का लगभग दो-तिहाई हिस्सा यानी ६४ प्रतिशत देश की ५० प्रतिशत आबादी के सबसे निचले हिस्से से आया, जबकि शीर्ष १० प्रतिशत सबसे अमीर लोगों से केवल ३ प्रतिशत जीएसटी आया। यह गरीबों पर लगाया गया टैक्स है, जो लगातार बढ़ रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि स्वास्थ्य बीमा जैसी अत्यावश्यक सेवाओं पर १८ प्रतिशत जीएसटी लगाया जा रहा है, जो बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों के लिए भी लागू है। यहां तक कि पॉपकॉर्न पर भी तीन तरह का जीएसटी लगाया जा रहा है।
भाजपा की `दोहरी नीति’ पर सवाल
पायलट ने भाजपा सरकार पर दोहरी नीति अपनाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार हर साल रिकॉर्ड जीएसटी संग्रह का दावा करती है, लेकिन २०१९ में उन्होंने कॉर्पोरेट कर में २ लाख करोड़ रुपए की कटौती की। अमीरों को कर में भारी रियायतें दी जाती है, जबकि गरीब और मध्यम वर्ग पर टैक्स का भार डाला जाता है। उन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था पर चिंता व्यक्त की।

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