– मुंबई की ऊंची इमारतों में फायर सेफ्टी का हाल बेहाल
– सुरक्षा में सबसे आम लापरवाहियां सीढ़ियों पर अवैध कब्जा, फायर अलार्म, स्मोक डिटेक्टर और स्प्रिंकलर की कमी के साथ खराब फायर फाइटिंग सिस्टम है।
सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई की गगनचुंबी इमारतों में रहने वाले लोगों की जान खतरे में है। हाल ही में हुई आग की घटनाओं ने इस खतरे को उजागर किया है। कई ऊंची इमारतों के फायर फाइटिंग सिस्टम पूरी तरह से ठप पाए गए, जिससे न केवल रेस्क्यू ऑपरेशन बाधित हुआ, बल्कि कई लोगों की जान भी चली गई। सोमवार को अंधेरी वेस्ट के ओबेरॉय कॉम्प्लेक्स की एक इमारत में लगी आग में एक बुजुर्ग महिला की दम घुटने से मौत हो गई। यह घटना दिखाती है कि मुंबई में फायर सेफ्टी नियम सिर्फ कागजों तक सीमित रह गए हैं।
बड़े-बड़े वादे, लेकिन क्रियान्वयन शून्य
मुंबई में ६०-७० मंज़िल की इमारतें बढ़ रही हैं, लेकिन इन इमारतों में फायर सेफ्टी सिस्टम के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति हो रही है। एक वरिष्ठ फायर अधिकारी ने बताया कि जब आंतरिक फायर सिस्टम फेल हो जाती हैं, तो हमें बाहरी उपकरणों पर निर्भर रहना पड़ता है। ऊपरी मंजिलों तक उपकरण पहुंचाने में काफी समय लगता है, जिससे रेस्क्यू ऑपरेशन और मुश्किल हो जाता है।
१२० दिन का समय, फिर भी सुधार नहीं!
फायर सेफ्टी कानून के तहत हर सोसायटी को अपने फायर सिस्टम में खराबी सुधारने के लिए अधिकतम १२० दिन का समय दिया जाता है। यदि मरम्मत का काम ३० दिनों के अंदर शुरू नहीं होता तो कानूनी कार्रवाई की जा सकती है, लेकिन प्रशासन की सुस्ती के कारण यह प्रक्रिया अक्सर लंबी खिंच जाती है। आंकड़ों में आग की त्रासदी २०२३ में फायर ब्रिगेड को ५,०७४ कॉल मिलीं, जिनमें ३० लोगों की मौत हुई और ३०३ घायल हुए। २०२४ में यह आंकड़ा बढ़कर ५,२७५ हो गया।