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शिवसेनाप्रमुख के स्मारक के पहले चरण का काम पूरा …२३ जनवरी २०२६ को होगा लोकार्पण …उद्धव ठाकरे ने दी जानकारी

अगली पीढ़ी के लिए साबित होगा प्रेरणादायी

उन्होंने कहा कि पड़ोस में संयुक्त महाराष्ट्र का कार्यालय है। उस कार्यालय के नीचे से समुद्र का पानी हिलोरें खाते हुए ऊपर आ रहा था। इसके बाद वहां मरम्मत की गई, इसलिए भूमिगत स्ट्रक्चर बनाते समय जटिलताएं थीं। उद्धव ठाकरे ने कहा कि शिवसेनाप्रमुख का संपूर्ण जीवन दर्शन स्मारक में रखा जाएगा।

सामना संवाददाता / मुंबई
छत्रपति शिवाजी महाराज पार्क के बगल में पुराने महापौर निवास स्थान के भूखंड पर बनाए जा रहे हिंदूहृदयसम्राट शिवसेनाप्रमुख बालासाहेब ठाकरे राष्ट्रीय स्मारक के पहले चरण के काम को कल पूरा कर लिया गया। शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि शिवसेनाप्रमुख के जीवनपट को दर्शाने वाला यह स्मारक अगली पीढ़ी के लिए प्रेरणादायी साबित होगा। उन्होंने कहा कि अगले साल शिवसेनाप्रमुख का जन्म शताब्दी वर्ष है, इसलिए २३ जनवरी २०२६ को उनकी जयंती पर इस स्मारक का लोकार्पण करेंगे।
उद्धव ठाकरे ने कल स्मारक क्षेत्र में पत्रकार परिषद ली। इस दौरान उन्होंने कहा कि स्मारक के पहले चरण का काम पूरा हो चुका है और दूसरे चरण के काम को शुरू कर दिया गया है। इस बीच उन्होंने आर्किटेक्ट आभा लांबा और टाटा प्रोजेक्ट को धन्यवाद देते हुए कहा कि यह स्मारक जिस स्थान पर बनाया जा रहा है, वह केवल एक वास्तु नहीं, बल्कि उससे शिवसेनाप्रमुख की यादें जुड़ी हुई हैं। शिवसेनाप्रमुख की कई बैठकें यहां हुई हैं। युति की बैठकें यहीं हुई हैं। यह हेरिटेज वास्तु है। समुद्र से सटे इस वास्तु को बिना कोई क्षति पहुंचाए उसकी वैभवता को संभालते हुए काम करना यह बहुत ही महत्वपूर्ण और कठिन था। समुद्र की लहरें जमीन पर बहुत तेज होती हैं।

शिवसेनाप्रमुख की तस्वीरें, लेख और खबरें स्मारक को दें
उद्धव ठाकरे ने की लोगों से अपील

शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि शिवसेनाप्रमुख ने पूरे महाराष्ट्र का भ्रमण किया। उनके कार्यों ने कई लोगों को प्रेरणा दी। शिवसेनाप्रमुख की पुरानी यादें, तस्वीरें, खबरें और लेख किसी के पास हों तो वे उसे स्मारक में पहुंचाएं। उद्धव ठाकरे ने अपील करते हुए कहा कि यह अगली पीढ़ी के लिए मार्गदर्शक सामग्री साबित होगी।
उन्होंने कहा कि शिवसेनाप्रमुख से कई लोग पूछते थे कि आप आत्मचरित्र क्यों नहीं लिखते हैं। उस पर वे कहते थे कि मैं कपाट के भीतर का नहीं, बल्कि मैदान का व्यक्ति हूं। उनका जीवन यानी पूरी तरह से खुली किताब था। उनके स्मारक से सभी को प्रेरणा मिलनी चाहिए। इस तरह की भावना भी उद्धव ठाकरे ने व्यक्त की।
बालासाहेब के विचारों को न छोड़नेवालों सभी को निमंत्रण
साल २०१९ में जिस समय उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे, तब स्मारक का भूमिपूजन किया गया था। इसे लेकर मीडियाकर्मियों ने सवाल किया कि जो भूमिपूजन में उपस्थित थे, क्या उन्हें उद्घाटन में आमंत्रित करेंगे? इसका जवाब देते समय घाती गुट का जिक्र किए बिना तंज भरे लहजे में कहा कि जिन्होंने बालासाहेब के विचारों को नहीं छोड़ा है, उन सभी को आमंत्रित करूंगा।
केवल प्रतिमा खड़ा करना स्मारक नहीं
मीडियाकर्मियों ने इस दौरान यह भी सवाल पूछा कि क्या शिवसेनाप्रमुख की प्रतिमा का स्मारक बनाया जाएगा? इस पर उद्धव ठाकरे ने कहा कि शिवसेनाप्रमुख की प्रतिमा रीगल सिनेमागृह के पास बनाई गई है। स्मारक में उनकी प्रतिमा होगी अथवा नहीं, क्योंकि केवल चार दीवार और प्रतिमा मतलब स्मारक नहीं होता, वो प्रेरणास्थान बनना चाहिए।
२०२६ में जिसकी सरकार होगी वही करेगा उद्घाटन
यह स्मारक सरकार के माध्यम से बनाया जा रहा है। क्या उसका श्रेय सरकार को देंगे? मीडिया के इस सवाल पर उद्धव ठाकरे ने कहा कि श्रेयवाद की लड़ाई में मुझे नहीं पड़ना है। स्मारक का काम सरकार ही कर रही है, लेकिन स्मारक वैâसा होना चाहिए यह हम देख रहे हैं।

शिवसेनाप्रमुख ने जो देश के हिंदुओं को दिया, मुंबई और महाराष्ट्र को दिया वही काम उनके स्मारक के जरिए भी अगले कई सालों तक किया जाना चाहिए। उसी दृष्टिकोण से इस स्मारक का प्रारूप तैयार किया जाना चाहिए। राष्ट्रीय स्मारक होने के नाते उस समय जो प्रधानमंत्री होगा, वही इसका उद्घाटन करने के लिए आएगा। इस तरह का तंज भी उद्धव ठाकरे ने कसा।

 

`बिना पेड़ काटे, नए पेड़ लगाकर स्मारक का हो रहा काम’-सुभाष देसाई
इस मौके पर स्मारक के सचिव-शिवसेना नेता सुभाष देसाई ने जानकारी दी। उन्होंने कहा कि स्मारक की संकल्पना और प्रमुख मार्गदर्शक शिवसेनापक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे हैं। इस स्मारक का भूमिपूजन ३१ मार्च २०१९ को किया गया था। सुभाष देसाई ने कहा कि समुद्र के किनारे का परिसर, महापौर निवास की हेरिटेज वास्तुकला और स्मारक बनाते समय एक भी पेड़ को काटे बिना स्मारक निर्माण करने का आदेश उद्धव ठाकरे ने अपने सरकार के कार्यकाल में दिया था। सुभाष देसाई ने कहा कि महापौर निवास स्थान स्मारक के लिए कब्जे में जिस समय दिया गया था, उस समय वहां २११ पेड़ थे। उसके कुछ समय बाद कुछ नए पेड़ रोपे गए। आज यहां पर कुल २३३ पेड़ हैं। उन्होंने कहा कि यह स्थान बालासाहेब का बहुत ही पसंदीदा स्थान था। उन्होंने यहां कई बड़े-बड़े लोगों के साथ बैठकें की थीं। सुभाष देसाई ने पुरानी यादों को बयां करते हुए कहा कि जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे, तब उन्होंने बालासाहेब से मुलाकात यहीं पर की थी।

`छह महीने में दूसरा चरण होगा पूरा’-आदित्य ठाकरे
प्रतिमा की संकल्पना को एक तरफ रखते हुए शिवसेनाप्रमुख के समाजनीति, राजनीति और उनके कार्यों को लोगों तक प्रभावी तरीके से पहुंचाने की कोशिश हम स्मारक बनाते समय कर रहे हैं। इस तरह का वक्तव्य स्मारक के अध्यक्ष आदित्य ठाकरे ने दिया। उन्होंने कहा कि आर्किटेक्चर का हिस्सा पूरा हो गया है और छह से आठ महीनों में दूसरा चरण भी पूरा हो जाएगा। महापौर निवास स्थान का एक अलग ही महत्व है। ‘मातोश्री’ निवास की तरह ही बालासाहेब ने भी इस महापौर निवास से काम किया था। वर्ष १९२७ में बालासाहेब का जन्म हुआ, उसी वर्ष इसी महापौर निवास स्थान के सामने स्थित मैदान का नामकरण शिवाजी पार्क रखा गया था। आदित्य ठाकरे ने कहा कि महापौर निवास स्थान के पीछे समुद्र में मौजूद बांद्रा-वरली सी लिंक की संकल्पना बालासाहेब की ही थी। आदित्य ठाकरे ने कहा कि कोविड काल में तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने स्मारक का भूमिपूजन किया था। जब काम शुरू था, तब कई बार उद्धव ठाकरे और मैं वहां जाकर समीक्षा भी किया। सप्ताह में एक-दो बार हम वहां जाकर दौरा करते हैं। यह काम बिना एक पेड़ के काटे हो रहा है।

 

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