सामना संवाददाता / मुंबई
नई मुंबई में सानपाड़ा पुलिस स्टेशन से लगा हुआ एक बड़ा मैदान है। इस मैदान में एक गणेश जी का मंदिर है और मैदान के बॉर्डर से लगा हुआ है एक स्कूल सेवंथ एड्वेंटिस्ट हाईस्कूल। स्कूल की खिड़कियां खुलती हैं मैदान की तरफ। जाहिर है मंदिर है तो लोगों की भीड़भाड़ रहती है। मैदान में जब कुछ कार्यक्रम होते हैं तो भीड़ दोगुनी हो जाती है। आस-पास में रिहायशी इमारतें हैं। इतनी सारी जानकारियां देने का मतलब काफी अहम है। इस मैदान में सबकुछ तो ठीक है, लेकिन यहां पर अपना परलोक सुधारने ऐसे लोग भी आते हैं, जो कबूतरों को दाना डालते हैं…
अब इन कबूतरों को दाना देने से उनकी जिंदगी में क्या बदलाव आता होगा या इनका परलोक कितना सुधरेगा, यह तो ऊपर वाला ही जानता है, लेकिन इतना १०० प्रतिशत सत्य है कि वे ‘दानी पुण्यात्मा’ आसपास के लोगों की जिंदगी से खेल रहे हैं। वे मासूम बच्चे जो अपनी क्लास में बैठकर पढ़ाई कर रहे हैं उन्हें बीमार बना रहे हैं। हालांकि, नई मुंबई मनपा ने नई मुंबई में इस बीमारी के बारे में जागरूकता पैâलाने के लिए पोस्टर लगाए हैं। पोस्टर में बताया गया है कि कबूतरों के पंखों और बीट में पाए जानेवाले बैक्टीरिया से एचपी यानी हाइपरसेंसिटिव निमोनिया नामक फेफड़ों की बीमारी पैâलती है। इतना ही नहीं, नई मुंबई महानगरपालिका द्वारा लगाए गए इन पोस्टरों में चेतावनी दी गई है कि कबूतरों को दाना खिलाने वालों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई भी की जाएगी। लेकिन इन पुण्य आत्माओं को समझाएं तो कौन? ऐसे दानी पुण्य आत्मा पूरे नई मुंबई में जगह-जगह दिखाई देते हैं…!
आइए समझने की कोशिश करते हैं कि कबूतरों को दाना चुगाना इंसानों के लिए खतरनाक क्यों है?
नई मुंबई महानगरपालिका के पूर्व नगरसेवक एवं शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के महानगरप्रमुख सोमनाथ वास्कर बताते हैं कि ब्राजीलियन आर्काइव ऑफ बायोलॉजी एंड टेक्नोलॉजी जर्नल में एक रिसर्च पेपर सामने आया है, जिसके मुताबिक, कबूतर की बीट से इंसानों को ६० से ज्यादा खतरनाक बीमारियां हो सकती हैं। इनमें सबसे ज्यादा फेफड़ों से संबंधित बीमारी है, जो सबसे खतरनाक है और यह बीमारी तेजी से पैâल रही है इसलिए यह चेतावनी समय की मांग है और महानगरपालिका का फर्ज भी, लेकिन लोगों को जागरूक होना भी उतना ही जरूरी है
जसलोक अस्पताल से जुड़े पल्मनोलॉजिस्ट डॉक्टर राहुल पाहोट की मानें तो हाइपरसेंसिटिव न्यूमोनिटिस के लक्षण एक्यूट या क्रॉनिक हो सकते हैं। एक्यूट के लक्षण कुछ घंटों के भीतर दिख सकते हैं और कुछ घंटों या दिनों तक बने रहते हैं। जबकि क्रॉनिक लक्षण धीरे-धीरे विकसित हो सकते हैं और समय के साथ और बदतर हो सकते हैं। नानावटी अस्पताल से जुड़े डॉक्टर संदेश कथारे बताते हैं कि कबूतर जब आपके घर में या एयरकंडिशन डक्टर में बीट करते हैं तो उनकी बीट सूखने के बाद बीट में मौजूद बैक्टीरिया, सांसों के माध्यम से आपके शरीर में घुस जाते हैं। इसकी वजह से आपको सांस से संबंधित बहुत तरह की बीमारियां होती हैं। वह चेतावनी देते हुए कहते हैं, ‘कबूतरों को दाना डालना आपकी आपके परिवार की और आपके साथ-साथ उन लोगों की जो कबूतर को दाना नहीं खिलाते उनकी सेहत के लिए भी खतरनाक है।