मुख्यपृष्ठग्लैमर‘उनकी बात सुनकर मैं रो पड़ा!’-हृतिक रोशन

‘उनकी बात सुनकर मैं रो पड़ा!’-हृतिक रोशन

‘ग्रीक गॉड’ के नाम से मशहूर हृत्विक रोशन इंडस्ट्री में अपने २५ वर्ष पूर्ण कर चुके हैं। १० जनवरी को जहां हृतिक ने अपनी उम्र के ५१ बसंत पूरे किए, वहीं रोशन परिवार पर बनी डॉक्यूमेंट्री नेटफ्लिक्स पर १७ जनवरी को रिलीज की जाएगी। इसके साथ ही हृतिक की फिल्म ‘कहो ना प्यार’ को दोबारा थिएटर में रिलीज किया जाएगा। पेश है, हृतिक रोशन से पूजा सामंत की हुई बातचीत के प्रमुख अंश-

 अपने ५१वें जन्मदिन पर आप क्या कहना चाहेंगे?
मैं अपने काम में खोया हुआ हूं और खुश हूं। अपने जन्मदिन पर महसूस करता हूं कि मुझे और अच्छा काम करना है, फिटनेस मेंटेन करनी है। मुझे याद है बचपन में मेरी पीठ दर्द की समस्या पर डॉक्टरों ने कहा था कि स्पाइन की समस्या के कारण मैं काम नहीं कर पाऊंगा। उनकी बात सुनकर मैं रो पड़ा। मेरे आंसू पोंछते हुए मां ने कहा जरूरी नहीं कि डॉक्टरों की हर बात सच साबित हो। खैर, आज मैं अपना काम किए जा रहा हूं।

 ‘कहो न प्यार है’ से आपकी कौन सी यादें जुड़ी हुई हैं?
फिल्म की रिलीज के बाद मेरे चाचा और पापा ने फिल्म में एक और गीत जोड़ दिया था, जिसे देखने के लिए दर्शक थिएटरों में उमड़ पड़े। शायद एक नया हीरो उन्हें बेहद पसंद आया था।

 ‘कहो न प्यार है’ को दोबारा रिलीज करने के लिए २५ वर्षों का इंतजार क्यों किया गया?
जब फिल्म पुरानी होती है तो अपने आप नॉस्टैल्जिक फीलिंग आने लगती है। आम दर्शकों में बातें होने लगती हैं कि हमने यह फिल्म उस सिनेमा हॉल में उनके साथ देखी थी। वैसे भी २५ वर्षों का सफर किसी भी फिल्म और किसी भी रिश्ते के लिए माइलस्टोन बन जाता है। इस फिल्म की सफलता ने मेरे और मेरे करियर के लिए दरवाजे खोल दिए। फिल्म के साथ ही मुझ पर पुरस्कारों की बारिश हुई।

 फिल्मों के मामले में सिलेक्टिव होने की क्या वजह रही?
यह सच है कि मैंने ज्यादातर फिल्में पापा राकेश रोशन के साथ कीं। वो मेरे सिर्फ पापा नहीं, मेंटोर, मार्गदर्शक और दोस्त रहे हैं। पापा के साथ वाली मेरी लगभग सभी फिल्मों को दर्शकों का अच्छा रिस्पॉन्स मिला। मैंने इस वर्ष फिल्म ‘फाइटर’, ‘वॉर’, ‘विक्रम वेदा’, ‘टाइगर-३’ यह सभी फिल्में बाहरी निर्देशकों के साथ की, लेकिन इन फिल्मों के दरमियान कुछ एक्सीडेंट्स हुए। काम से थोड़ा ब्रेक लेना पड़ा। जो स्क्रिप्ट्स पढ़ी, कुछ अच्छी लगी और कुछ नहीं। मैंने उन्हीं फिल्मों को किया जिनकी स्क्रिप्ट्स और किरदार मुझे पसंद आए।

 क्या वजह है कि फिल्म रिलीज के वक्त कलाकार नर्वस हो जाते हैं?
नर्वसनेस तो मुझे भी होती है। सोचता हूं कि क्या फिल्म वाकई में अच्छी बन पड़ी है, क्या दर्शकों को रास आएगी। खासकर, ‘कहो न प्यार है’ जब रिलीज होने जा रही थी, मुझे कॉन्फिडेंस हो गया था कि यह फिल्म दर्शकों को पसंद की जाएगी।

 फिल्मों के किरदारों की प्रेरणा आपको कहां से मिलती है?
‘कहो न प्यार है’ के किरदार राज का मैंने अगली फिल्म ‘वॉर’ और फिल्म ‘बैंग बैंग’ में इस्तेमाल किया। पियर्स ब्रोसनन, ब्रूस विलिस और लियोनार्डो डीवैâप्रियो और अमिताभ बच्चन से मैंने हमेशा प्रेरणा ली।

 पहली बार शॉट देते समय आप कितने कॉन्फिडेंट रहे?
मैं शुरू से ही बहुत शर्मीले स्वभाव का रहा हूं। वैसे हर एक्टर शुरू में संकोची स्वभाव का होता है, लेकिन धीरे-धीरे उनमें आत्मविश्वास आ जाता है। अमित जी ने भी एक बार मुझसे कहा था कि आज भी संवाद बोलने से पहले मेरा गला सूख जाता है। उनकी बात सुनकर मुझे लगा कि मैं अकेला नहीं हूं जो नर्वस होता हूं।

 डॉक्यूमेंट्री ‘द रोशन्स’ के बारे में कुछ बताएंगे?
मेरे दादाजी संगीतकार रोशन लाल नागरथ ने म्यूजिक डायरेक्शन में अपना स्थान पाने के लिए कड़ा संघर्ष किया। मेरे पापा, मेरे संगीतकार चाचा राजेश रोशन सहित हम सबने काफी मेहनत और संघर्ष किया। आसानी से कुछ भी हासिल नहीं हुआ। नेटफ्लिक्स पर आनेवाली इस डॉक्यूमेंट्री में आप हमारे परिवार से रू-बरू हो सकेंगे।

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