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भ्रामक विज्ञापन रोकने में महारेरा हुई नाकाम! …एक हजार से ज्यादा विज्ञापनों पर एफपीसीई ने उठाए सवाल

सामना संवाददाता / मुंबई
उपभोक्ताओं के अधिकारों की सुरक्षा के लिए काम करने वाले सामूहिक प्रयासों के मंच (एफपीसीई) ने महाराष्ट्र में रियल एस्टेट के भ्रामक विज्ञापनों को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। केंद्र सरकार के उपभोक्ता मामलों के सचिव को एक पत्र लिखकर महारेरा (महाराष्ट्र रियल इस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी) की कार्यप्रणाली पर नाराजगी जताई। एफपीसीई ने कहा कि फ्लैट खरीदारों को झूठे विज्ञापनों से गुमराह करने वाले डेवलपर्स के खिलाफ महारेरा पर्याप्त कदम नहीं उठा रहा है। एफपीसीई ने भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (एएससीआई) की अर्धवार्षिक रिपोर्ट (अप्रैल-सितंबर २०२४) का हवाला देते हुए बताया कि महाराष्ट्र में जांचे गए २,११५ रियल एस्टेट विज्ञापनों में से १०२७ विज्ञापन भ्रामक पाए गए, जो रेरा अधिनियम का उल्लंघन करते हैं। फरवरी २०२४ में महारेरा ने एएससीआई के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए थे ताकि ऐसे विज्ञापनों पर नजर रखी जा सके। लेकिन मंच का कहना है कि पर्याप्त दंड के अभाव में इन भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगाने में महारेरा असफल रहा है। महारेरा बार एसोसिएशन के मानद सचिव एडवोकेट अनिल डिसूजा ने कहा कि भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ एएससीआई और महारेरा अच्छा काम कर रहे हैं, लेकिन कड़े दंड की जरूरत है। प्रमोटर्स विज्ञापन और मार्केटिंग के नियमों का बार-बार उल्लंघन कर रहे हैं, जिससे खरीदारों को भ्रमित किया जा रहा है।

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