मुख्यपृष्ठनए समाचाररोखठोक : मस्जिदों की खुदाई किसलिए?... बीड की कब्र पहले खोदो!

रोखठोक : मस्जिदों की खुदाई किसलिए?… बीड की कब्र पहले खोदो!

संजय राऊत-कार्यकारी संपादक

मुख्यमंत्री फडणवीस को बीड जिले के मामले को गंभीरता से लेना चाहिए। सरपंच देशमुख की हत्या की गाज उनके एक मंत्री पर गिरने के बावजूद वे मंत्री अभी भी सरकार में हैं। गढ़चिरौली के नक्सलवाद और अर्बन नक्सलवाद की चिंता करनेवाले मुख्यमंत्री फडणवीस को क्या बीड का राजनीतिक नक्सलवाद परेशान नहीं करता?

परभणी में सोमनाथ सूर्यवंशी और बीड में सरपंच देशमुख की हत्या से महाराष्ट्र की राजनीति में हड़कंप मच गया है। सरपंच देशमुख की हत्या का सीधा संबंध महाराष्ट्र के एक मंत्री से जोड़ा जा रहा है और धनंजय मुंडे नामक वह मंत्री अभी भी कैबिनेट में सत्ता का सुख भोग रहा है। नैतिकता की किस संहिता में ये फिट बैठता है? अगर धनंजय मुंडे को जांच होने तक कैबिनेट से बाहर रखा तो क्या महाराष्ट्र पर आसमान टूट जाएगा? पिछले दो महीनों में देवेंद्र फडणवीस ने जो कमाया, वो सरपंच देशमुख और धनंजय मुंडे मामले में गवां दिया। फडणवीस का कहना है, मैं इस मामले में किसी को नहीं बख्शूंगा। इसका मतलब है कि मैं धनंजय मुंडे को छोड़कर बाकी सबका बंदोबस्त करूंगा। श्री. फडणवीस ऐसा व्यवहार क्यों करते हैं, इसका जवाब जातीय राजनीति में छिपा है। अगर मुंडे के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की गई तो वो जिस समाज से आते हैं, वह वंजारी समाज भाजपा से अलग हो जाएगा। इसलिए देशमुख की हत्या के छींटे जिसके शरीर पर गिरे, वो मंत्री महाराष्ट्र कैबिनेट में बरकरार है। वह अजीत पवार की पार्टी का प्रतिनिधित्व करते हैं और अजीत पवार इन सभी मुद्दों पर मुंह में दही जमाए बैठे हैं। कानूनी दांव-पेच और जांच का जंजाल केवल आम लोगों और भाजपा के राजनीतिक विरोधियों के लिए है। बाकी सबको खून, हत्या, रंगदारी के अपराध में भी माफी है। ये कैसा कानून! ये कैसा राज!
संदिग्ध मौत
विगत कुछ वर्षों से महाराष्ट्र में कानून का शासन नहीं रहा है और बीड में पिछले ३०-३५ वर्षों में यह पूरी तरह से गायब हो गया है। इसके लिए अब तक के सभी शासक जिम्मेदार हैं। पिछले दस वर्षों में परली, बीड में हुई कई संदिग्ध मौतों और हत्याओं के आंकड़े अब दिए जा रहे हैं, लेकिन इन रहस्यमयी हत्या सत्र की शुरुआत १ दिसंबर, १९८० से हुई थी। दो बार विधायक रह चुके रघुनाथ मुंडे की रहस्यमयी दुर्घटना में मौत हो गई। फर्जी नेमप्लेट लगी गाड़ी ने उन्हें सड़क पर ठोकर मार दी और हत्यारे फरार हो गए। रघुनाथ मुंडे किसी के राजनीतिक मार्ग की बाधा साबित हो रहे थे और उनकी इस तरह हत्या करके यह रास्ता खोला गया, ऐसा तब बीड की राजनीति का रग-रग जानने वाले दबी जुबान में कहते थे। आए दिन हत्याओं की गवाही देनेवाले सबूत सामने आ रहे हैं, जिससे साबित होता है कि माफिया सिर्फ बिहार, उत्तर प्रदेश और मुंबई में ही नहीं, बल्कि बीड में भी मौजूद है। क्या महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री इस बारे में कोई खुलासा करेंगे? धनंजय मुंडे परली में दहशतवाद के दम पर चुनकर आए। इसके पुख्ता सबूत हैं। चुनाव आयोग ने सच माना तो मुंडे का चुनाव रद्द हो सकता है, लेकिन ये सब करेगा कौन? नैतिकता का मुद्दा ही चुनावी नतीजे से निकल चुका है। धनंजय मुंडे को शरद पवार ने बड़ा बनाया। वही मुंडे अजीत पवार के पाले में चले गए और शरद पवार की पार्टी को तोड़ने वाले मुख्य सूत्रधार बने। क्या इसी एक महान कार्य के लिए देवेंद्र फडणवीस उनके गुनाहों को छिपा रहे हैं? धनंजय मुंडे ने अपने चाचा गोपीनाथ मुंडे से भी दगा किया। पंकजा मुंडे के खिलाफ तमाम सबूतों की फाइल लेकर वे अंजलि दमानिया से मिले थे। अब भाई-बहन एक हो गए और जिन्होंने आधार दिया, उन शरद पवार को ही छोड़ दिया। कल वे अजीत पवार को भी छोड़ देंगे। क्योंकि महाराष्ट्र की राजनीति में आज कोई भी किसी का नहीं रहा। असली पार्टियां नहीं बचीं, इसलिए कोई विचारधारा नहीं है। ऐसे लोग जो तमाम हथकंडों, भ्रष्ट तरीकों को अपनाकर चुनकर आनेवाले व चुनकर लाए जानेवाले लोग ही राजनीति में टिके रहेंगे और उन्हें भ्रष्टाचार, रंगदारी, हत्या जैसे अपराध माफ हैं! यही भाजपा की नीयत है।
लड़कियों का अपहरण
परभणी में संविधान की रक्षा करने की कोशिश करनेवाले युवक सोमनाथ सूर्यवंशी की पुलिस हिरासत में हत्या हो गई। पुलिस की पिटाई से सोमनाथ की मौत हो गई, लेकिन महाराष्ट्र के गृहमंत्री फडणवीस ये मानने को तैयार नहीं हैं। सोमनाथ के घर सरकारी अधिकारी १० लाख का चेक लेकर पहुंचे। सोमनाथ के परिवार ने वह चेक लेने से मना कर दिया। दिन-दहाड़े लोगों की हत्या कर देना और जब आक्रोश ब़ढ़ जाए तो सरकारी खजाने से पांच-दस लाख का चेक मुआवजे के तौर पर पहुंचा देना। एकनाथ शिंदे जो करते थे, अगर देवेंद्र फडणवीस भी वही कर रहे हैं तो फिर राज्य में बदलाव क्या आया? धनंजय मुंडे और वाल्मीक कराड एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। मुंडे का बीड का कारभारी कराड है, ये जगजाहिर है। वही वाल्मीक कराड और उसका गिरोह पूरे बीड जिले में माफिया राज चलाता है। पुलिस, प्रशासन और अदालत उसका आदेश मानती है। धनंजय मुंडे पालक मंत्री हैं, लेकिन मुंडे ने पालक मंत्री का पद वाल्मीक कराड को चलाने के लिए दे दिया था, ऐसा सीधा आरोप भाजपा के ही एक विधायक सुरेश धस ने लगाया है। ऐसे में बीड में क्या घटित हुआ, इसका अंदाजा हो जाता है। बीड में लोगों का रहना, व्यापार, उद्योग करना मुश्किल हो गया। आंखों में बसीं लड़कियों को सीधे घर से या सड़क से उठा लिया जाता और मां-बाप ने ‘कुछ’ भी बोला तो उन्हें मारा जाता। विवाहित महिलाओं को उनके घर से उठा लिया जाता था। मानो एकदम हिंदी सिनेमा की तरह। परली, केज, बीड, माजलगांव की पुलिस इस माफिया की जैसे वेतनभोगी नौकर ही बन गई। धनंजय मुंडे के दाहिने हाथ वाल्मीक कराड का रोजाना का ‘कलेक्शन’ एक से डेढ़ करोड़ रुपए है। यह सारा पैसा वास्तव में किसके पास पहुंचता था, क्या ये मुख्यमंत्री फडणवीस बता सकते हैं? भारतीय लोकतंत्र और सभ्यता की धूल उड़ाने वाली ये राजनीति महाराष्ट्र के एक जिले में हो रही है। वोट खरीदे जाना, मतदाताओं को वोट डालने न देना। रंगदारी के पैसों पर फल-फूल रही ये राजनीति महाराष्ट्र को कहां ले जा रही है?
परली में खून-खराबा
सरपंच संतोष देशमुख की सड़क पर बेहद वीभत्स तरीके से हत्या कर दी गई।
उन्हें सड़क पर कितनी बेरहमी से मारा गया, यह बताते हुए विधायक संदीप क्षीरसागर विधानसभा में भावुक हो गए। देशमुख की हत्या निर्दयता की पराकाष्ठा है। मरते वक्त जब देशमुख ने पानी मांगा तो हत्यारों ने उनके मुंह में पेशाब कर दिया। महाराष्ट्र की धरती में ये विकृति किसने पैदा की और आज इस विकृति को कौन बढ़ावा दे रहा है? क्या अब तो मुख्यमंत्री फडणवीस इसका खुलासा करेंगे? पिछले साल अकेले परली तालुका में १०९ शव मिले थे और अगर ये सभी हत्याएं थीं, तो ये हत्याएं किसने कीं और इस दौरान बीड की पुलिस किसकी चाकरी कर रही थी? मुख्यमंत्री फडणवीस गढ़चिरौली के नक्सलवाद को खत्म करना चाहते हैं। वे अर्बन नक्सलवाद की बात करते हैं, लेकिन बीड जिले के राजनीतिक नक्सलवाद का पोषण करते हैं, यह तो विसंगति है।
वंजारी समाज का मरण
अब धनंजय मुंडे वंजारी समुदाय के बड़े नेता हैं। भाजपा और अजीत पवार को लगता है कि अगर मुंडे के खिलाफ कार्रवाई की गई तो ‘ओबीसी’ का वंजारी समाज नाराज हो जाएगा, लेकिन यह साफ है कि बीड जिले में जो खूनी सत्र शुरू है, उनमें से ज्यादातर हत्याएं वंजारी समाज के लोगों की ही हुर्इं और वो इसी टोली ने की है। अब संतोष देशमुख की हत्या ने पिछली सभी हत्याओं पर से पर्दा उठा दिया है। मुंडे-वाल्मीक कराड एक हैं। कराड मुंडे के व्यावसायिक अर्थात लूट में बड़ा साझेदार है।
कराड, फडणवीस, अजीत पवार की तिकड़ी भी अलग नहीं है। जितेंद्र आव्हाड खुद वंजारी हैं, लेकिन आव्हाड ने बीड में मुंडे-कराड के कारनामे पर सबसे ज्यादा हमला बोला। अब सामाजिक कार्यकर्ता अंजलि दमानिया भी मैदान में उतर आई हैं, लेकिन क्या इन सबका असर होगा? भाजपा सभी भ्रष्टाचारियों और अपराधियों का अड्डा बन गई है और बीड जिला इस अड्डे की मुख्य शाखा बन गया है। देवेंद्र फडणवीस कमजोर लोगों को दबाते हैं और ‘बीड क्लिंटन’ के सामने झुक जाते हैं। इस वजह से कई निरपराध ‘वंजारी’ ने प्राण गंवाए, उसका क्या?
संतोष देशमुख की हत्या को भी पचाया जा रहा है।
महाराष्ट्र की संस्कृति की कब्र बीड में खड़ी हो गई है। मस्जिद खोदने की अपेक्षा बीड की ये कब्र पहले खोदो!

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