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संपादकीय : गुलाबी सपनों का व्यापार

देश के शेयर बाजार से लेकर रुपए तक सब गिर रहा है। विदेशी मुद्रा भंडार और विदेशी निवेश में गिरावट आ रही है। फिर भी प्रधानमंत्री मोदी जनता के सामने देश की अर्थव्यवस्था की गुलाबी तस्वीर पेश कर रहे हैं। और कह रहे हैं कि अब दुनिया की कोई भी ताकत भारत को विकसित होने से नहीं रोक सकती। हकीकत में हालत क्या है? अर्थव्यवस्था की हकीकत क्या है? सच तो यह है कि मोदी के गुब्बारे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मामले हवा में ही फोड़ रहे हैं। मंगलवार को भारत का शेयर बाजार तेजी से धड़ाम हो गया। दरअसल, पिछले कुछ दिनों से शेयर बाजार में गिरावट जारी है। इस गिरावट की रफ्तार हर दिन बढ़ती जा रही है। मंगलवार को सेंसेक्स ने सीधे हजार डिग्री पर गोता लगाया। निफ्टी में भी गिरावट दर्ज की गई। देश के पूंजी बाजार में हुए इन घटनाक्रमों से निवेशकों को करीब २५ लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ और इसमें छोटे निवेशक सबसे ज्यादा प्रभावित हुए और इसी वर्ग को हमारे प्रधानमंत्री ‘विकसित’ भारत का सपना बेच रहे हैं। सेंसेक्स की तरह
रुपए की गिरावट
थमने को तैयार नहीं है। मंगलवार को रुपया भी दो साल के निचले स्तर पर पहुंच गया। ऐतिहासिक गिरावट दर्ज की गई। वैश्विक अर्थव्यवस्था में मौजूदा घटनाक्रम का भारतीय शेयर बाजार और रुपए की कीमत पर इन दो तरीकों से प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। अमेरिका में आ रही नई सरकार, उसकी आर्थिक नीतियों की अनिश्चितता, वहां की रिजर्व पॉलिसी रेट कम होने के पूर्वानुमान का भी भारतीय अर्थव्यवस्था पर असर पड़ रहा है। केंद्र के हुक्मरान चाहे कुछ भी कहें, सच तो यही है कि भारत समेत दुनियाभर से विदेशी निवेश का प्रवाह कम होकर अमेरिका की ओर बढ़ रहा है। अत: प्रधानमंत्री मोदी किस आधार पर कह रहे हैं कि भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा? वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में फिर विस्फोट हो गया है। ऐसे में यह तय है कि देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतें और बढ़ेंगी। यह बढ़ोतरी पहले से ही भड़की महंगाई की आग में और घी डालेगी। इसकी आंच से
आम लोग ही प्रभावित
होंगे। फिर भी हमारे प्रधानमंत्री भारत के तेजी से आगे बढ़ने की लफ्फाजी कर रहे हैं। हालांकि, देश में बेरोजगारी बढ़ी है और रोजगार सृजन में कमी आई है, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी डींगें हांक रहे हैं कि पिछले दस सालों में मोदी सरकार ने २५ करोड़ लोगों को रोजगार दिया है और कई लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है। पिछले कुछ समय से शेयर बाजार और रुपए की कीमत में ऐतिहासिक गिरावट देखी जा रही है। देश में विदेशी निवेश घट रहा है। विदेशी मुद्रा भंडार १० महीने के निचले स्तर पर पहुंच गया। कच्चे तेल की कीमतों में उछाल से महंगाई बढ़ेगी और आम भारतीयों की हालत खराब होगी। देश की हकीकत इतनी भयावह है और वहां प्रधानमंत्री मोदी देश की अर्थव्यवस्था के गुलाबी गुब्बारे छोड़ रहे हैं। सीना ठोक कर कह रहे हैं कि वह दिन दूर नहीं, जब भारत पूरी तरह से गरीबी मुक्त हो जाएगा। हालांकि, सच्चाई बिल्कुल उलट है फिर भी जनता के साथ सुनहरे सपनों का ‘व्यापार’ करने के लिए हिम्मत की जरूरत होती है। मोदी इसमें कुशल हैं! उनके ‘साहस’ को सलाम करना ही चाहिए।

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