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संपादकीय : मोदी ने दिया ब्रह्मज्ञान!

प्रधानमंत्री मोदी एक अजीब रसायन हैं। उस रसायन में कभी-कभी बुलबुले फूटते हैं तो कभी रसायन विस्फोटक हो जाता है। प्रधानमंत्री मोदी बुधवार को मुंबई में थे। इस दौरे के दौरान उन्होंने युद्धपोत ‘सूरत’ और ‘नीलगिरि’ का राष्ट्रार्पण किया। हमें युद्धपोत को दिया गया ‘सूरत’ नाम बेहद पसंद आया। महाराष्ट्र में ‘ठाकरे’ सरकार को गिराने के लिए शिवसेना विधायकों को भगाकर सूरत ले जाया गया और वहां पैसों आदि की सौदेबाजी की गई। राजनीति में वह ‘सूरत सौदा’ के नाम से बदनाम है। ये घटनाएं हमेशा याद रखी जाएं शायद इसीलिए युद्धपोत को ‘सूरत’ नाम दिया गया होगा! इसके बाद मोदी ने भाजपा, शिंदे सेना और अजीत पवार गुट के विधायकों का मार्गदर्शन करते हुए भाषण दिया। मोदी ने महायुति के विधायकों का उत्तम मार्गदर्शन किया। उन्होंने कहा, ‘…अपनी छवि और पार्टी की छवि की रक्षा करें। ज्यादा दिखावा न करें। बहुत सरल रहें। तबादलों और प्रमोशन की फाइलें लेकर मंत्रालय के चक्कर न लगाएं।’ प्रधानमंत्री का यह मार्गदर्शन नैतिकता की अजीर्ण जैसा है। प्रधानमंत्री ने विधायकों को यह भी सलाह दी, ‘अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखें। सभी को प्रतिदिन योग, प्राणायाम और ध्यानसाधना करना चाहिए।’ देखते हैं प्रधानमंत्री के इस मार्गदर्शन को कितने विधायक गंभीरता से लेते हैं। प्रधानमंत्री का भाषण और मार्गदर्शन उन पर भी लागू होता है। पहले करना, फिर कहना, यही इसके पीछे का असली मूलमंत्र है। वे कहते हैं कि छवि बचाएं, लेकिन भाजपा की छवि की धज्जियां उड़ गई हैं। छवि की रक्षा करना यानी भ्रष्टाचार, मनमानी न करना। दरअसल, मोदी ने महाराष्ट्र में सभी
भ्रष्टाचारी और लफड़ेबाज
लोगों की गठरी बांध कर विधानसभा में जीत हासिल की है। अजीत पवार, प्रफुल्ल पटेल जैसे लोग, जिनकी छवियों का भंजन खुद मोदी ने किया, आज भाजपा के समर्थक हैं। एकनाथ शिंदे ने भ्रष्ट तरीके अपनाकर संपत्ति अर्जित की और मोदी उनकी पीठ थपथपाते नजर आते हैं। अशोक चव्हाण के ‘आदर्श’ घोटाले पर अमित शाह-मोदी सवाल उठाते हैं और उसी चव्हाण को भाजपा में शामिल करते हैं। इसलिए छवि संरक्षण का मतलब क्या है? प्रधानमंत्री कहते हैं, सरल रहो। इस सरलता की शुरुआत कहां से करें। सादगी, सरलता का मंत्र देने वाले और उतनी ही सादगी से रहने वाले गांधी जी से मोदी द्वेष रखते हैं। देश में गरीबी और लोगों के पास पर्याप्त कपड़े नहीं होने की वजह से बैरिस्टर गांधी ने सभी सुख त्याग दिए और यहां तक ​​कि कपड़े भी त्याग दिए। उन्होंने जीवनभर एक धोती पहनी। क्या भाजपा में ये सादगी लेश मात्र भी बची है? मोदी १० लाख का सूट, ५-१० लाख की पेन और २० हजार करोड़ का हवाई जहाज इस्तेमाल करते हैं। जानकारी सामने आई कि कांति फिट रहने के लिए महंगे मशरूम खाते हैं। मोदी के बेड़े में विदेशी गाड़ियां हैं। प्रधानमंत्री मोदी के लिए दिल्ली में ३५० करोड़ का महल बनाया जा रहा है। क्या इन्हें सरलता की निशानी माना जाए? भाजपा वाले जैसा भी बन पड़े हर तरीके से पैसा कमा लेते हैं। भाजपा के खाते में जमा हुए ६ हजार करोड़ रुपए क्या कार्यकर्ताओं ने मेहनत से कमाए हैं? दिल्ली में भाजपा का पांच सितारा मुख्यालय खड़ा है और देश के जिलों-जिलों में भाजपा के ‘टकाटक’ दफ्तर खड़े हैं किसके पैसे पर? महाराष्ट्र विधानसभा में भाजपा और उसके सहयोगी दलों ने पैसों की बारिश की। जिसकी वजह से
देश की छवि ही
नष्ट हो गई। बढ़े जाओ मोदी की राजनीति का सूत्र है। मोदी जो कहते हैं, ठीक उसका उल्टा करते हैं। मोदी ने और एक मजाक किया। उन्होंने कहा, ‘पैसा नहीं, बल्कि अच्छी छवि महत्वपूर्ण है।’ क्या उन्होंने यह संदेश भाजपा मंडल के अडानी जैसे उद्योगपतियों को दिया? बाकी इस पर शोध होगा कि मोदी ने क्या और किसके लिए कहा। जिन्होंने वोट नहीं दिया उन्हें जीतें, ताकि कोई विरोधक ही न हों, यही मोदी के मार्गदर्शन का मूल है। यहां मोदी के मन का अहंकार उजागर हो गया। विपक्ष नहीं रहना चाहिए, मोदी ने कह दिया। जो विरोधी हैं, उन्हें भाजपा में शामिल करें या उन्हें पैसे, ईडी, सीबीआई के बुलडोजर के नीचे कुचल दें। विरोधी रहने ही नहीं चाहिए इस ‘पुतिन’ पैटर्न का पालन करें यह हमारे प्रधानमंत्री ने कह ही दिया। अपने मुंबई दौरे में प्रधानमंत्री मोदी ने भाजपा, शिंदे और अजीत पवार गुट के विधायकों का मार्गदर्शन कहां किया? कुलाबा के ‘आईएनएस आंग्रे ऑडिटोरियम’ में। यानी रक्षा बलों की वास्तु में। उन्होंने वहां विधायकों के साथ भोजन भी किया। सरल सवाल यह है कि क्या नौसेना यानी रक्षा बल की जगह में राजनीतिक सभाएं आयोजित करना जायज है? यदि हां, तो क्या अन्य राजनीतिक दलों को आईएनएस आंग्रे में अपनी रैलियां, बैठकें, शिविर आयोजित करने की अनुमति है? इस हॉल में चाय-पान, भोजन आदि राजनीतिक कारणों से हुआ उसका बिल किसने चुकाया? श्री मोदी ने छवि और नैतिकता पर भाषण दिया है इसीलिए हमारे मन में ये नैतिक प्रश्न उठे! मोदी ने अपने लोगों को ब्रह्मज्ञान दिया, लेकिन सत्य क्या है? दीपक तले अंधेरा ही है!

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