सामना संवाददाता / नई मुंबई
मंत्री और सिडको के अध्यक्ष दोनों पद शिंदे गुट के संजय शिरसाट के पास थे। गुरुवार को सरकार ने सिडको कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष पद से उनकी नियुक्ति समाप्त कर दी। चुनाव आचार संहिता लागू होने से पहले शिरसाट की नियुक्ति अधिक विवादास्पद रही, क्योंकि उन्होंने सिडको निदेशक मंडल में तीन निर्णय लिए थे। हालांकि, उनके द्वारा लिए गए निर्णयों को आज तक लागू नहीं किया गया इसलिए इस बात पर बहस चल रही है कि क्या ये घोषणाएं केवल चुनाव में वोट हासिल करने के लिए थीं।
सिडको के अध्यक्ष के रूप में उनकी नियुक्ति के बाद, नई मुंबई में हाउसिंग सोसायटियों के प्रतिनिधि एकजुट हुए और मांग की कि सिडको पिछले कई वर्षों से बकाया स्थानांतरण शुल्क माफ करे। तदनुसार, शिरसाट ने सिडको निदेशक मंडल के साथ इस मांग पर चर्चा की। हालांकि, इस बीच, अध्यक्ष शिरसाट ने मीडिया को बताया कि सिडको ने नई मुंबई में भूमि लीज होल्ड संपत्तियों को किराया-मुक्त (लैंड प्रâीहोल्ड) करने का निर्णय लिया है। हालांकि, उस निर्णय के कारण सिडको को बड़ी फीस देनी पड़ेगी इसलिए आम आदमी को इस निर्णय से कोई लाभ नहीं मिलेगा।
दूसरा निर्णय सिडको द्वारा लिया गया कि वह मकानों का सर्वेक्षण करे तथा परियोजना पीड़ितों द्वारा निर्मित निर्माणों के लिए अनुमति प्रदान करे। हालांकि, सरकार ने इस निर्णय के संबंध में परिपत्र जारी करते समय स्पष्ट कर दिया था कि वह एक महीने के भीतर नई मुंबई के सभी गांवों का सर्वेक्षण करेगी, लेकिन सर्वेक्षण का ठेका अभी तक नहीं दिया गया है। शिरसाट द्वारा की गई अनेक घोषणाओं में सबसे विवादास्पद यह थी कि आम आदमी के लिए मकान सस्ते हो जाएंगे।