अब तक ४ हजार महिलाओं ने किया लाभ वापसी का आवेदन
सामना संवाददाता / मुंबई
राज्य की ईडी सरकार द्वारा चलाई जा रही मुख्यमंत्री मेरी लाडली बहन योजना के तहत पात्रता मापदंडों में न आने वाली महिलाओं को योजना से बाहर करने के लिए जांच अभियान शुरू करने से पहले ही राज्यभर से चार हजार से अधिक महिलाओं ने ‘योजना नहीं चाहिए’ कहकर आवेदन किया है। महिला एवं बाल विकास विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, स्थानीय स्तर पर सरकारी कार्यालयों में योजना का लाभ बंद कराने के लिए आवेदन आ रहे हैं। जांच में अपात्र पाए जाने पर मिली हुई राशि को जुर्माने सहित वसूलने के डर से यह आवेदन वापसी शुरू हो गई है। इस पर महिला एवं बाल विकास विभाग की मंत्री अदिति तटकरे ने प्रतिक्रिया दी है।
अदिति तटकरे ने कहा कि कुछ महिलाओं ने योजना के लाभ को वापस करना शुरू कर दिया है। पिछले महीने भी कुछ आवेदन आए थे। इस महीने में भी इस तरह के आवेदन आ रहे हैं। इन महिलाओं को यह एहसास हो गया कि वे योजना के लिए पात्र नहीं हैं इसलिए उन्होंने आवेदन देकर योजना का लाभ नकारा है।
लाडली बहनों की जारी रहेगी जांच प्रक्रिया
जांच से पहले ही लाभ छोड़ने का फैसला
महिला एवं बाल विकास विभाग की मंत्री अदिति तटकरे ने कहा कि पीले और केसरिया राशन कार्डधारी पात्र महिलाओं को छोड़कर, अन्य महिलाओं के आवेदनों की जांच की जाएगी। इसके लिए परिवहन और आयकर विभाग की सहायता ली जा रही है। यह प्रक्रिया निरंतर चलने वाली होगी इसलिए योजना से बाहर होने वाली महिलाओं के आंकड़ों में बदलाव होता रहेगा।
महायुति सरकार ने पिछले साल जुलाई में मुख्यमंत्री लाडली बहन योजना की घोषणा की थी। राज्यभर से २ करोड़ ६३ लाख महिलाओं ने इस योजना के लिए आवेदन किया। इनमें से २ करोड़ ४७ लाख महिलाएं पात्र पाई गर्इं। पात्र महिलाओं में से २ करोड़ ३४ लाख को विधानसभा चुनाव से पहले पांच महीने तक हर महीने १५०० रुपए दिए गए। इस योजना का महायुति को बड़ा फायदा हुआ। महायुति सरकार के सत्ता में आने के बाद दिसंबर का भुगतान भी किया गया।
कम नहीं होगा आर्थिक बोझ
इस योजना से सरकारी खजाने पर भारी दबाव पड़ने के कारण मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने महिला एवं बाल विकास विभाग को लाभार्थियों की जांच करने के निर्देश दिए थे। इसके तहत जांच अभियान चलाया जाएगा, लेकिन जांच अभियान शुरू होने से पहले ही सैकड़ों महिलाओं ने योजना से बाहर होने के लिए पहल शुरू कर दी है। पर माना जा रहा था कि ५० लाख महिलाएं इस योजना से अपात्र होंगी, लेकिन यह मात्र १० हजार तक ही सीमित रह सकता है। ऐसे में योजना के चलते सरकार का आर्थिक बोझ का भार कम नहीं होगा।