उमेश गुप्ता/वाराणसी
आद्य जगदुरू स्वामी रामानंदाचार्य जी के ७२५वें जयंती के अवसर पर काशी के संत समाज द्वारा व श्री वैष्णव विरक्त संत समाज,काशी एवं श्री रामानन्द विश्वहितकारिणी परिषद के संयुक्त तत्वावधान में आज आद्य जगतगुरु स्वामी रामानंदाचार्य की 725वीं जयन्ती धूमधाम से मनायी गई। इस अवसर पर प्रातः सर्वप्रथम अस्सी घाट पर संत समाज द्वारा पादुका पूजन किया किया। उसके उपरांत अस्सी घाट से ही भव्य शोभायात्रा व विशाल कलश यात्रा निकाली गई जो अस्सी से होते हुए राघव मंदिर, रविदास गेट, संकटमोचन, दुर्गाकुण्ड, कबीरनगर, गाँधीनगर, खोजवां, दाहाचौक, चेतमणि चौराहा होते हुए काश्मीरीगंज, खोजवां स्थित श्रीरामजानकी मन्दिर पहुंचा। कलश यात्रा में बड़ी संख्या में महिला श्रद्धालु बग्घी, घोड़े, बैंडबाजे के साथ प्रमुख रूप से डॉक्टर रामकमल दास वेदान्ती जी महाराज सहित काशी के सभी प्रमुख धर्माचार्यों के साथ शामिल हो चल रहे थे। शोभायात्रा के पहुंचने पर वहां संत समागम हुआ। जिसमें डॉ रामकमल दास वेदांती महाराज, काशी विश्वनाथ मंदिर के अर्चक श्रीकांत मिश्र, पातालपुरी के बालक दास, कबीर कीर्ति मंदिर के महंत ज्ञान प्रकाश, श्रवण दास, मोहन दास जालौन के संत उद्भव दास गुदड अखाड़ा के सियाराम दास दामोह के श्रीभगवान वेदान्ताचार्य सहित अनेकों वक्ताओं ने स्वामी रामानंदाचार्य के जीवन चरित्रों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि रामानंदाचार्य हिंदू धर्म को संगठित और व्यवस्थित करने का अथक प्रयास किया। उन्होंने वैष्णव संप्रदाय को पुनर्गठित कर समाज में संत कबीर और रविदास जैसे संतो को अपना शिष्य बनाकर समाज का उत्थान किया। तत्पश्चात संत सम्मान एवं विशाल भण्डारे का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य रूप से गूदड़ अखाड़ा (राघव मंदिर) के महंत सियाराम दास जी, श्रवण दास, मोहनदास,शीतलदास अखाड़ा के रामशरण दास, महंत डॉक्टर श्रवण दास, महंत मोहन दास सहित अन्य संत प्रवर शामिल रहे।