मुख्यपृष्ठस्तंभढाका टू मुंबई : जुहू भी बांग्लादेशियों की शरणस्थली!

ढाका टू मुंबई : जुहू भी बांग्लादेशियों की शरणस्थली!

जय सिंह

एक किस्सा है। एक आदमी फर्जी रूप से एक ब्राह्मण के घर भोज खाने गया, जहां बगल में बैठे एक ब्राह्मण ने उससे पूछा, ‘कौन से ब्राह्मण हो?’ उसने कहा, ‘पांडे।’ फिर ब्राह्मण ने पूछा, ‘कौन से पांडे?’ उसने कहा, ‘या अल्लाह पांडे में भी पांडे!’ फिल्म ‘जॉली एलएलबी-२’ में एक आंतकी का पर्दाफाश करने के लिए अक्षय कुमार अदालत में उससे यही बात पूछते हैं। यह किस्सा यहां इसलिए बताया जा रहा है कि सिंडिकेट बांग्लादेशियों को हिंदुस्थान तो पहुंचा देता है, लेकिन यहां की भाषा, तौर-तरीका उन्हें पुलिस के हत्थे चढ़ने से नहीं रोक पाता।
हिंदुस्थान में अवैध बांग्लादेशियों के खिलाफ कार्रवाई जारी है। ऐसे में एक कार्रवाई के दौरान जब कुछ लोग खुद के भारतीय होने का दावा कर रहे थे, तब उस समय मुंबई क्राइम ब्रांच के अधिकारियों ने उन्हें हिंदुस्थान का राष्ट्रगीत गाने को कहा, जिसे गाने में वे असफल रहे और कहा कि उन्हें देश का राष्ट्रगीत नहीं आता है। इसके बाद उनके भारतीय न होने का भंडा फूट गया।
क्राइम ब्रांच की यूनिट-९ के एनकाउंटर्स स्पेशलिस्ट दया नायक को गुप्त जानकारी मिली कि मुंबई के जुहू इलाके में चार बांग्लादेशियों को लाया जा रहा है, जिसमें एक महिला और तीन पुरुष हैं। पुलिस की टीम ने जाल बिछाया और उन सभी बांग्लादेशियों से पहचान पत्र दिखाने को कहा। तब बांग्लादेशियों ने कहा कि वे इसी देश के नागरिक हैं, लेकिन परिचय पत्र नहीं दिखा पाए। इसके बाद पुलिस अधिकारी ने उनसे हिंदुस्थान का राष्ट्रगीत सुनाने को कहा, लेकिन वे राष्ट्रगीत की एक लाइन भी नहीं गा पाए। जब इस बात की पुष्टि हो गई कि उनके पास कोई दस्तावेज नहीं है, पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता की कई धाराओं के तहत मुंबई के जुहू पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया। गिरफ्तार आरोपियों के नाम पॉपी, टीटू हुसैन, मोहम्मद टैटू, सोफीउद्दीन है।
हिंदुस्थान आनेवाले बांग्लादेशी लोगों की पहली पसंद मुंबई है और यह सपना इन्हें सिंडीकेट के लोग दिखाते हैं, जो उन्हें बांग्लादेश से यहां लेकर आते हैं। बांग्लादेशी खुद को हिंदुस्थानी बताकर लोगों के बीच रहते हैं और महीनों-सालों तक इनकी कोई जांच नहीं होती। मुंबई में इसी तरह का एक इलाका है जुहू गली। मुंबई के पॉश इलाके जुहू के करीब बसी जुहू गली एक मुस्लिम बस्ती है। बांग्लादेशी आसानी से अपने आपको इस बस्ती में समा लेते हैं। वैसे जुहू गली का पुराना आंतकी इतिहास भी रहा है। जवेरी बाजार में विस्फोट करवाकर ५६ निर्दोष लोगों की हत्या करनेवाले आतंकवादी अंसारी के तार जुहू से ही जुड़े थे। अशद को बहुत साल पहले जुहू गली के जुनैद नगर से गिरफ्तार किया गया था। उस समय का अंबोली विधानसभा जो आज का अंधेरी विधानसभा है, के जुहू में बसे कई क्षेत्र आतंकवादियों के अड्डे के रूप में जाने जाते हैं, जहां अब बांग्लादेशियों ने अपना ठिकाना बना लिया है। इन बस्तियों में गिलबर्ट हिल, जुहू गली, वायरलेस रोड, गांवदेवी डोंगर, टेप दरगाह, इंदिरा नगर जैसे छोटे-छोटे करीब एक दर्जन इलाके हैं, जो संदेहास्पद लोगों की पनाहगाह है। एक समय था, जब जुहू गली को मुंबई का इस्लामाबाद कहा जाता था, जो अब ढाका बनने की राह पर है। तकरीबन ५० से ६० हजार की बस्ती वाली जुहू गली में कई गुंडों को संरक्षण मिला हुआ है। बता दें गेटवे ऑफ इंडिया और जवेरी बाजार के पकड़े गए एक आतंकी का भाई अंसारी जुहू गली से नगरसेवक का चुनाव भी लड़ चुका है। इन क्षेत्रों में इंदिरा नगर दो दशकों से बांग्लादेशी वैश्याओं के लिए जाना जाता है। यहां बड़ी आसानी से बांग्लादेशी युवतियों की खरीद-फरोख्त होती थी। जुहू गली में नूर मस्जिद, फारूकिया मस्जिद, मुबारक मस्जिद, मक्का मस्जिद, जमात खाना तथा अन्य दो मस्जिदें हैं। शुक्रवार के दिन अक्सर इन मस्जिदों में अपरचित और संदेहास्पद बांग्लादेशी देखे जाते हैं। किसी जमाने में जुहू गली हाजी मस्तान का गढ़ माना जाता था। धीरे-धीरे इसे पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के एजेंटों ने नकली नोटों, नशीले पदार्थों का गढ़ बना दिया। इस क्षेत्र के हर राजनीतिज्ञ का आपराधिक रिकॉर्ड है। इसी क्षेत्र से एक नगरसेवक के भाई को जाली नोटों के मामले में मुंबई पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है। जुहू गली का यह इलाका भवंस कॉलेज के पीछे से होता हुआ टेप दरगाह के सामने, जुहू सर्कल एवं जमात खाना तथा मनपा के पश्चिम कार्यालय तक जाता है। वायरलेस रोड पर भी बांग्लादेशियों का पनाहगाह इससे अछूता नहीं है। १९९२ के दंगों की भयावह यादें भी यहीं से जुड़ी हुई हैं। ७ दिसंबर, १९९२ को गिल्बर्ट हिल में २० दंगाइयों को पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है। इस गिरोह को जाली नोट आईएसआई के लोग हिंदुस्थान में आर्थिक व्यवस्था खत्म करने के लिए सप्लाई करवाते थे। अंधेरी आरक्षण केंद्र से शुरू इस मिनी जुहू गली में आतंकवादी तार जुड़े हुए थे। जुहू से पकड़े गए चारों बांग्लादेशियों को जुहू ही क्यों लाया गया इसकी पूछताछ होनी चाहिए, लेकिन जुहू में बांग्लादेशियों की गिरफ्तारी से यह तय है कि जुहू भी बांग्लादेशियों की शरण स्थली है।

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