विवादों से घिरी ३० वर्ष पुरानी एनिमेटेड फिल्म ‘रामायण द लीजेंड ऑफ प्रिंस रामा’ २४ जनवरी को सिनेमाघरों में प्रदर्शित हो रही है।
श्रेष्ठ साहित्य की पहचान यही है कि जिसकी ज्यादा से ज्यादा तरीके से व्याख्या की जा सके। महाभारत और रामायण को दुनिया ने मान लिया है कि ये दुनिया के सबसे बड़े ग्रंथ हैं। यही वजह है कि सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि दुनियाभर के लेखकों, कलाकारों और मेकर्स को रामायण और महाभारत अपनी ओर आकर्षित करते रहे हैं। इसी आकर्षण का परिणाम है कि ३० साल पहले भारत के राम मोहन और जापान के कोयची शासकी के संयुक्त प्रयास से बनी एनिमेटेड फिल्म ‘रामायण द लीजेंड ऑफ प्रिंस रामा’।
चूंकि रामायण सिर्फ एक एपिक ही नहीं, बल्कि धर्मग्रंथ है और रामायण को एनिमेशन में बनाना लोगों को रास नहीं आया। इसलिए इस फिल्म को उस वक्त जबरदस्त विरोध का सामना करना पड़ा था। ठीक वैसे ही जैसे प्रभाष की हालिया रिलीज ‘आदिपुरुष’ को करना पड़ा था। इसी वजह से फिल्म को उस वक्त बैन कर दिया गया था और ये फिल्म भारत में प्रदर्शित नहीं हो पाई थी, लेकिन बाद में जब इस फिल्म की डीवीडी वगैरह मार्वेâट में आई तो इस फिल्म को सराहना मिली।
खैर, वक्त के साथ लोगों का नजरिया और दर्शकों का मिजाज बदल गया है इसलिए इस फिल्म को अब भारत में २४ जनवरी, २०२५ को प्रदर्शित किया जा रहा है। फिल्म सिर्फ हिंदी में ही नहीं, बल्कि तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम सहित और भी कई भाषाओं में एक साथ रिलीज हो रही है। इस बार फिल्म की डबिंग में बदलाव किया गया है, जबकि भाषा बहुत ही सरल है। बता दें कि इस फिल्म को एक्सल एंटरटेनमेंट और गीक पिक्चर्स के संयुक्त प्रयास से भारत में प्रदर्शित किया जा रहा है।