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चुनावी फायदे के लिए नियमों की अनदेखी … ‘लाडली बहन’ योजना का बांग्लादेशी को मिला फायदा!

सरकार की सत्यापन की खामी उजागर
सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र सरकार की योजनाओं में लापरवाही का ताजा मामला सामने आया है। मुंबई पुलिस ने हाल ही में पांच बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया, जिनमें से एक महिला ‘मेरी लाडली बहन’ योजना की लाभार्थी पाई गई। यह चौंकाने वाला खुलासा प्रशासन की ढीली जांच प्रक्रिया और वोट बैंक राजनीति की ओर इशारा करता है।
क्राइम ब्रांच के अनुसार, दक्षिण मुंबई के कमाठीपुरा इलाके से गिरफ्तार बांग्लादेशी नागरिकों में से उर्मिला खातून नाम की महिला को इस सरकारी योजना के तहत दो किश्तें बैंक खाते में दी गर्इं। सवाल यह है कि बिना उचित दस्तावेज और सही सत्यापन के इस योजना का लाभ वैâसे दिया गया?
ऐसा लगता है कि सरकार ने चुनावी फायदे के लिए लाभार्थियों का चयन करने में सावधानी नहीं बरती। बिना पृष्ठभूमि जांच के योजना के पैसे बांट दिए गए। वकील सुनील पांडे ने दावा किया कि उर्मिला खातून भारतीय हैं और उनके पास सभी वैध दस्तावेज हैं। पुलिस ने उसे खारिज करते हुए कहा कि खातून समेत सभी पांच लोग बांग्लादेशी हैं।
जनता के पैसों का दुरुपयोग
यह मामला महाराष्ट्र सरकार पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। क्या प्रशासन ने लाभार्थियों का सही तरीके से सत्यापन किया था? अगर नहीं, तो यह लापरवाही जनता के पैसों के दुरुपयोग को दर्शाती है।
चुनावी लालच या
प्रशासनिक चूक?
यह घटना सरकार की नीतियों पर पुनर्विचार पर बाध्य करती है। क्या यह लापरवाही थी या वोट बैंक राजनीति का नतीजा? जवाबदेही तय करना जरूरी है, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों।

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