मुख्यपृष्ठसंपादकीयकनाडा नहीं; पुणे में बेरोजगारों की कतार!

कनाडा नहीं; पुणे में बेरोजगारों की कतार!

केंद्र में बैठे हुक्मरान देश के तथाकथित विकास की ‘प्रगति पुस्तिका’ आते-जाते जनता के सामने लहराते रहते हैं। महाराष्ट्र के उनके उत्तराधिकारी भी ‘महाराष्ट्र अब नहीं रुकेगा’ जैसे नारे लगाते रहते हैं। मुख्यमंत्री और उनके चेले-चपाटों ने हाल ही में स्विट्जरलैंड के दावोस में आयोजित विश्व सम्मेलन का जिक्र करते हुए महाराष्ट्र में कई लाख करोड़ के विदेशी निवेश और इससे हजारों नौकरियों के सृजन का ढोल पीटा, लेकिन महाराष्ट्र में बेरोजगारी की हकीकत क्या है? पुणे के एक ‘वीडियो’ ने इस ज्वलंत सच को सामने ला दिया है और शासकों के झूठ को उजागर कर दिया है। दो दिन पहले के इस वीडियो ने मोदी और फडणवीस सरकार के सारे दावों की पोल खोल दी है। पुणे की एक आईटी कंपनी ने १०० वैकेंसी के लिए ‘वॉक इन इंटरव्यू’ का विज्ञापन दिया, लेकिन हैरत की बात है कि उसके लिए करीब तीन से चार हजार युवा आईटी इंजीनियरों की कतार थी। नौकरी की आस में तपती धूप में घंटों खड़े इन युवक-युवतियों को महाराष्ट्र, देश और दुनिया ने देखा। कभी शिक्षा का घर कहा जाने वाला पुणे अब ‘आईटी हब’ के नाम से जाना जाने लगा है इसलिए महाराष्ट्र समेत देश के कोने-कोने से
नौकरी की उम्मीद में
युवा यहां आते हैं, लेकिन इस वीडियो से पता चला कि पुणे में किस तरह नौकरियों की कमी है, सरकार के सारे दावे कितने खोखले हैं। मोदी सरकार ने हर साल दो करोड़ नौकरियां देने का दावा किया था, लेकिन पुणे के इस वीडियो से उनकी धज्जियां उड़ गर्इं। इस वीडियो में मुख्यमंत्री फडणवीस के ‘दावोस पुराण’ की भी बखिया उधेड़ी गई। आज देश में बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या है। आज १० में से ८ लोगों को नौकरी की जरूरत है। केंद्र सरकार के पोर्टल पर नौकरी के इच्छुक उम्मीदवारों के पंजीकरण की जो लहर चल रही है उससे यह भी पता चलता है कि देश में बेरोजगारी का दावानल किस तरह पैâल रहा है। खुलासा यह है कि महाराष्ट्र के करीब २४ लाख ५१ हजार युवाओं ने इस पोर्टल पर नौकरी के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है। अप्रैल से नवंबर २०२४ तक देशभर में रजिस्ट्रेशन का आंकड़ा २ करोड़ ३९ लाख था। इसमें से महाराष्ट्र में यह संख्या १९ लाख थी। अब ये संख्या साढ़े चौबीस लाख से अधिक हो गई है। यानी रोजगार सृजन तो दूर, पंजीकृत बेरोजगारों की संख्या में पांच लाख का इजाफा हो गया है। जाहिर है अपंजीकृत बेरोजगारों की संख्या उससे कई गुना ज्यादा होगी, तो कहां गया आपका तथाकथित रोजगार? रोजगार सृजन के आपके वादे और दावे कहां गए? केंद्र में
जब से मोदी सरकार आई है
महाराष्ट्र के उद्योग-धंधे हाईजैक किए जा रहे हैं जिसके चलते यहां के लाखों युवाओं के मुंह से रोजगार का ग्रास छीना जा रहा है। मुख्यमंत्री फडणवीस चाहे विदेशी निवेश और रोजगार सृजन के कितने भी गुब्बारे फुला लें, सच्चाई तो यह है कि केंद्र ने महाराष्ट्र की लगभग नौ लाख करोड़ रुपए की परियोजनाएं हड़प लीं और राज्य के कुछ लाख होनहार युवाओं को रोजगार से वंचित कर दिया। यही वजह है कि पुणे में बेरोजगारों की कतार लग गई। कुछ महीने पहले यह खबर आई थी कि कनाडा में भारतीय युवा नौकरियों के लिए कतार में खड़े थे। अब यही तस्वीर पुणे में देखने को मिली। कनाडा में भारतीय युवाओं की बेरोजगारी के लिए तत्कालीन ट्रुडो सरकार पर उंगली उठाने वाले भक्तगण अब पुणे में लगी कतार के लिए किस पर उंगली उठाएंगे? मोदी के दोस्त ट्रंप भी १.७ लाख भारतीयों को अमेरिका से वापस भेजकर यहां की बेरोजगारी और बढ़ाने जा रहे हैं। पुणे में बेरोजगारों की कतार का वीडियो मोदी सरकार की लफ्फाजी को उजागर कर उनके प्रशासन के चीथड़े उघाड़ कर चौराहे पर टांग देता है। बेशक, जब ऐसे शासक हों जो बेरोजगारों से पकौड़े तलने को कहें और देश के ८१ करोड़ लोगों को रोजगार के बदले मुफ्त अनाज देने के लिए अपनी पीठ थपथपाएं तो और क्या होगा!

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