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राज्य की ढहती अर्थव्यवस्था…‘ईडी’ सरकार के राज में दो कदम फिसला महाराष्ट्र!…२०२१-२२ में था चौथे स्थान पर…२०२२-२३ में छठे पर पहुंच गया…नीति आयोग की रिपोर्ट का खुलासा

धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई

‘ईडी’ सरकार के राज में राज्य की अर्थव्यवस्था ढहती जा रही है। यही वजह है कि आर्थिक मोर्चे पर महाराष्ट्र दो कदम फिसल चुका है। २०२१-२२ में महाराष्ट्र का नंबर देश में चौथा था, पर अब यह खिसककर छठे स्थान पर पहुंच गया है। इस बात का खुलासा नीति आयोग की रिपोर्ट से हुआ है।
बता दें कि हाल ही में महायुति सरकार की फिजूलखर्ची पर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने एक रिपोर्ट जारी कर फिजूलखर्ची पर चिंता जताई है। इससे पहले प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद ने भी चिंता व्यक्त की थी। इसके बाद नीति आयोग की रिपोर्ट में भी आर्थिक मोर्चे पर महाराष्ट्र के पिछड़ने का निष्कर्ष निकाला गया है।

महायुति का पर्दाफाश
नीति आयोग के इस निष्कर्ष ने खुद की पीठ थपथपाने वाली महायुति सरकार का भी पर्दाफाश कर दिया है। राज्यों के वित्तीय स्वास्थ्य सूचकांक में महाराष्ट्र चौथे स्थान से छठे स्थान पर खिसक गया है। यह निरीक्षण नीति आयोग ने अपनी रिपोर्ट में दर्ज किया है, जिससे राज्य सरकार के दावे जमींदोज हो गए हैं।
नया कर्ज लेकर पुराना कर्ज चुका रहा है महाराष्ट्र!
जनसंख्या के मामले में देश के दूसरे नंबर के राज्य महाराष्ट्र की आर्थिक स्थिति बिगड़ने पर नीति आयोग ने अपनी रिपोर्ट में लाल निशान लगा दिया है। राज्यों की वित्तीय स्थिति पर जारी एक रिपोर्ट में नीति आयोग नें बताया है कि महाराष्ट्र की वित्तीय स्थिति ठीक नहीं है। महाराष्ट्र में सामाजिक और आर्थिक क्षेत्रों में खर्च की दर घट गई है। इसके साथ ही नए कर्ज की राशि का उपयोग पुराने कर्ज को चुकाने के लिए किया जा रहा है, जिससे उत्पादकता नहीं बढ़ रही है।
बता दें कि नीति आयोग ने हाल ही में २०२३ के वित्तीय स्वास्थ्य सूचकांक की रिपोर्ट जारी की है। इसमें ओडिशा पहले स्थान पर है, जबकि महाराष्ट्र छठे स्थान पर खिसक गया है। २०१४-१५ से २०२१-२२ के वित्तीय वर्ष के वित्तीय स्वास्थ्य सूचकांक में महाराष्ट्र चौथे स्थान पर था।
महाराष्ट्र के पिछड़ने का कारण
राज्य का कुल खर्च (राजस्व और पूंजीगत)
– सकल राज्य उत्पाद का १३.४ प्रतिशत, जबकि देश का औसत १५.७९ प्रतिशत है।
-सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र में खर्च की दर अन्य बड़े राज्यों की तुलना में कम है।
– कुल खर्च में स्वास्थ्य पर खर्च ४.३ प्रतिशत, जबकि अन्य बड़े राज्यों में यह ५.७ प्रतिशत है।
-बढ़ते खर्च के कारण वित्तीय घाटा बढ़ रहा है।
-२०१८-१९ से काम की दर में सालाना २.९२ प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
एक और झटका
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उप मुख्यमंत्री व वित्त मंत्री अजीत पवार समय-समय पर दवा करते रहे हैं कि महाराष्ट्र की वित्तीय स्थिति मजबूत है, लेकिन पिछले साल प्रधानमंत्री की आर्थिक विकास परिषद ने एक दशक में महाराष्ट्र के पिछड़ने का निष्कर्ष निकाला था। आर्थिक परिषद ने पेश किया था, जिसके आंकड़े में बताया गया था कि सकल राज्य उत्पाद में महाराष्ट्र का हिस्सा १३ प्रतिशत तक घट गया है। अब नीति आयोग के सूचकांक में भी फिसलने की तस्वीर सामने आई है।

 

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