प्रयागराज महाकुंभ मेले में आखिरकार एक भयानक हादसा हो गया। भगदड़ में ३० श्रद्धालुओं की जान चली गई। बेशक ३० का आंकड़ा गलत है आंखों देखा हाल बताता है कि मृतकों की संख्या १०० से ज्यादा है। इतना कुछ होने के बाद पीएम मोदी हालात पर नजर बनाए हुए हैं। उत्तर प्रदेश के भगवाधारी मुख्यमंत्री योगी महाराज कहते हैं कि स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। सौ से अधिक लोग मारे गए और कई श्रद्धालु लापता हो गए। उनके परिजन अपने लापता रिश्तेदारों की तलाश करते घूम रहे हैं। इन सभी लोगों के गायब होने का मतलब क्या है? कुंभ मेला एक श्रद्धा है और कुंभ मेले के दौरान मौनी अमावस्या पर गंगा में स्नान करने से स्वर्ग की प्राप्ति होती है, इस अंधविश्वास के कारण मंगलवार आधी रात को प्रयागतीर्थ की भीड़ बढ़ गई। स्वर्ग प्राप्ति हेतु स्नान के लिए त्रिवेणी संगम पर बड़ी संख्या में लोग उमड़े। उस भीड़ के कारण बैरिकेड टूट गए और भीड़ एक-दूसरे को कुचलते हुए आगे बढ़ गई। लोग कुचले गए और प्रयागतीर्थ में बचाव की कोई व्यवस्था नहीं थी तो फिर कुंभ पर्व के लिए दस हजार करोड़ का वित्तीय प्रावधान, आखिर पैसा कहां गया? यदि यह सच है कि सड़क पर सो रहे श्रद्धालुओं को भीड़ ने कुचल दिया तो प्रयागतीर्थ में श्रद्धालुओं के ठहरने-खाने और बिस्तर बिछाने के लिए कोई भी व्यवस्था की गई थी, ऐसा नहीं दिखता। ऐसे में कुंभ धार्मिक समारोह की व्यवस्था देख रहे लोगों पर गैर इरादतन हत्या का मामला क्यों नहीं दर्ज होना चाहिए? प्रयागराज में मौजूद कई धर्माचार्यों और महामंडलेश्वरों ने कुंभ की
व्यवस्था पर नाराजगी
जताई और मांग की कि ये सारी व्यवस्थाएं सेना को सौंप दी जानी चाहिए। अगर यह खुलेआम कहा जा रहा है कि अखिलेश यादव के कुंभ का प्रबंधन इससे बेहतर था तो भाजपा नेताओं को इस पर विचार करना चाहिए। कुंभ पर्व में ‘वीवीआईपी’ संस्कृति का बोलबाला है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह जैसे हाई सिक्योरिटी वाले लोग जब संगम में डुबकी लगाने पहुंचते हैं तो आठ-दस किलोमीटर का इलाका श्रद्धालुओं के लिए दिनभर बंद रखा जाता है इसलिए भीड़ बढ़ती ही जाती है। कुंभ समारोह के दौरान, प्रशासन महत्वपूर्ण राजनीतिक हस्तियों, गौतम अडानी जैसे श्रीमंत सेठ के कुंभ स्नान के लिए खुद को चार-चार दिनों तक झोंक देता है। उनके लिए सब कुछ आरक्षित है। वे बिना किसी खरोंच के गंगा में स्नान करते हैं और मोक्ष के द्वार खुल जाते हैं, लेकिन स्वर्ग के द्वार तक पहुंचने के लिए संघर्ष करनेवाले श्रद्धालुओं को भीड़ में ही कुचलकर मरना पड़ता है। योगी सरकार में ‘भाजपा’ मंत्री संजय निषाद कहते हैं, इतने बड़े आयोजन में ऐसे छोटे-बड़े हादसे होते रहते हैं। जो लोग यह सोचते हैं कि सौ लोगों को कुचलकर मार देना सामान्य घटना है, वे हिंदुत्व का झंडा लेकर खड़े हैं। कुंभ समारोह को लेकर राजनीति चल रही है और भाजपा का तंत्र इसके लिए काम कर रहा है। देश में पहले भी भव्य पैमाने पर कुंभ का आयोजन होता रहा है, लेकिन भाजपा को लगता है कि उनकी वजह से ही २०१४ के बाद ‘कुंभ’ का आयोजन होने लगा है। इससे पहले प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक, उज्जैन में आयोजित कुंभ समारोह
भव्य व राजनीति से मुक्त
थे। प्रयागराज में १९५४ के कुंभ समारोह की देख-रेख और नियंत्रण स्वयं प्रधानमंत्री पंडित नेहरू कर रहे थे। मुख्यमंत्री गोविंद वल्लभ पंत प्रयागतीर्थ में डेरा जमाए बैठे थे और श्रद्धालुओं से व्यक्तिगत तौर पर हाल-चाल पूछ रहे थे। आज के कुंभ मेले में आम श्रद्धालु सड़कों पर हैं और पांच सितारा टेंटों और संगमों में सिर्फ अमीर लोगों की ही पूछ हो रही है। मौनी अमावस्या पर अमृत स्नान के लिए बुधवार को ९ करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु प्रयागराज पहुंचे। ये सामान्य लोग अपने पाप धोने के लिए गंगा में नहीं जाते, बल्कि उनमें एक श्रद्धा होती है कि उनके कष्ट टल जाएंगे और मोक्ष के द्वार खुल जाएंगे। हालांकि, गौतम अडानी जैसे लोग इस कामना के साथ वहां जाते हैं और अमृत स्नान करते हैं कि मोदी देश की सारी सार्वजनिक संपत्तियां उनके नाम कर दें और सारे ठेके और हवाई अड्डे उन्हें ही मिल जाएं इसलिए भाजपा ने उनके लिए तो धरती पर स्वर्ग बना दिया, लेकिन आम लोगों के लिए हालात ऐसे बना दिए हैं कि उन्हें हर दिन गरीबी, महंगाई और बेरोजगारी से जूझना पड़ता है। क्या गंगा स्नान से अमीर और अमीर हो रहे हैं? घोटालों से चुने जाने वाले और सत्ता का प्रयोग करने वाले कुंभ के दौरान गंगा स्नान करते हैं। महाराष्ट्र की प्रबुद्ध जनता को इस समय एक काम करना चाहिए, उन्हें भाजपा पुरस्कृत ईवीएम को गाजे-बाजे के साथ प्रयागतीर्थ संगम पर ले जाना चाहिए। शाही स्नान कराके ईवीएम को भी पाप से मुक्त कराना चाहिए। जिस प्रकार प्रयागतीर्थ में सौ श्रद्धालुओं की मृत्यु हो गई, उसी प्रकार देश के लोकतंत्र का भी प्रयागतीर्थ में मौत हो गई और मौत की वजह बने अमृतस्नान कर दिल्ली पहुंच गए, लेकिन जनता को कुचल-कुचलकर मार डाला जा रहा है तो मोक्ष किसको मिला? यह सवाल ही है!