-‘लाडली’ मुआवजे के कचरा कर से रिकवरी को सरकार तैयार
-हर महीने ` १०० से लेकर ` १,००० तक थोपी जा सकती है पब्लिक पर लेवी
-२०१६ में मोदी सरकार ने ही किया था प्रावधान
सामना संवाददाता / मुंबई
महायुति सरकार के राज में मुंबई मनपा में भ्रष्टाचार को जमकर बढ़ावा दिया गया है। मुंबईकरों की गाढ़ी कमाई को ठेकेदारों और अधिकारियों पर जमकर लुटाकर मनपा के खजाने को खाली करने में यह सरकार कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है। अब मनपा के खर्च को मेंटेन करने के लिए सॉलिड वेस्ट पर लेवी लगाने की तैयारी हो रही है। ऐसे में कहा जा रहा है कि सरकार अब सॉलिड वेस्ट पर मुंबईकरों की जेब ढीली करते हुए सॉलिड वसूली करेगी। जाहिर है कि इस खबर को सुनकर इनकम टैक्स की छूट पर जश्न मनाने वाले मुंबईकरों की परेशानी बढ़नेवाली है।
दरअसल, ‘लाडली’ बहन को जो पैसे बांटे गए हैं, उससे सरकार का खजाना खाली है। ऐसे में इसकी रिकवरी के लिए सरकार नए-नए हथकंडे अपना रही है। मनपा ने राज्य सरकार को इस बारे में जो प्रस्ताव भेजा था, उस पर सरकारी हामी के बाद उसने इस प्रस्ताव पर काम तेज कर दिया है।
५ हजार तक लेवी
जल्द ही मुंबईकरों को ठोस कचरा फेंकने के लिए मनपा को हर महीने १०० से १,००० रुपए तक की लेवी देनी पड़ सकती है। इतना ही नहीं, बड़े होटल एवं सोसायटियों को ५ हजार रुपए तक की लेवी देनी पड़ सकती है।
ली जा रही कानूनी सलाह
मनपा का ठोस कचरा प्रबंधन विभाग मुंबईकरों के लिए जो नया शुल्क लागू करने पर विचार कर रहा है, उसके लिए कानूनी सलाह भी ली जा रही है।
केंद्र की गाइडलाइन
इसके लिए २०१६ में मोदी सरकार ने ही एक गाइडलाइन जारी की थी। मनपा उसी गाइडलाइन को अमल में लाने की तैयारी में है। प्रस्तावित योजना के तहत हर घर के आकार के अनुसार ही शुल्क तय किया जाएगा।
कानून बदलकर मनपा काटेगी मुंबईकरों की जेब!
मुंबई मनपा मुंबईकरों पर एक नया बोझ डालने की तैयारी में है। ठोस कचरा प्रबंधन के तहत वह मुंबईकरों पर एक नया टैक्स लगाने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। मनपा ने इस विषय पर गत दिसंबर में ही चर्चा शुरू की थी। एक अधिकारी के अनुसार, २०१६ के ठोस कचरा प्रबंधन नियमों में कचरा संग्रहण शुल्क लगाने का सुझाव दिया गया था और मनपा उन्हीं दिशानिर्देशों का पालन कर रही है। हालांकि, इसे लागू करने के लिए मुंबई मनपा अधिनियम १८८८ में संशोधन करना होगा, क्योंकि वर्तमान कानून के तहत कचरा प्रबंधन को अनिवार्य सेवा माना गया है। इससे साफ है कि कानून बदलकर मनपा मुंबईकरों की जेब काटेगी।
मुंबईकरों में बढ़ी नाराजगी
मनपा के इस पैâसले के खिलाफ मुंबईकरों में नाराजगी बढ़ रही है। सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि मनपा पहले से ही संपत्ति कर, जल कर और अन्य करों के माध्यम से जनता से भारी रकम वसूलती है, फिर यह नया शुल्क क्यों लगाया जा रहा है? कुछ नागरिकों का मानना है कि कचरे का शुल्क घर के आकार की बजाय उत्पन्न कचरे की मात्रा के आधार पर लिया जाना चाहिए।
व्यावसायिक प्रतिष्ठानों से भी होगी वसूली
मनपा न केवल आवासीय संपत्तियों बल्कि व्यावसायिक प्रतिष्ठानों से भी शुल्क वसूलने की योजना बना रही है। इसके तहत दुकानों और व्यवसायों से ५०० से ५,५०० रुपए तक शुल्क वसूला जा सकता है। मनपा इस प्रस्ताव को किस तरह लागू करती है और नागरिकों के विरोध को देखते हुए क्या कोई संशोधन किया जाता है या नहीं, ऐसे सवाल उठने लगे हैं।