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 राजेश सरकार / प्रयागराज

नागाओं के कतार में फंसा गेरुआ वस्त्रधारी
वसंत पंचमी पर्व पर सोमवार को अमृत स्नान करने जा रहे नागा साधुओं के झुंड में एक गेरुआ वस्त्रधारी फंस गया। इस दौरान वह कई बार नागाओं के गुस्से का शिकार हुआ। बाद में सुरक्षा बलों के जवानों ने गेरुआ वस्त्रधारी को किनारे कर उसकी जान बचाई। बताया जाता है कि सोमवार सुबह सुबह जब अखाड़े अमृत स्नान करने अपने निर्धारित रास्ते से निकले तो इस दौरान गेरुआ वस्त्रधारी भटक कर उनके बीच फंस गया। उसे अपने बीच पाकर नागा साधु भड़क उठे। उसे धक्का देकर अलग करने लगे, जिसे सुरक्षा बलों के जवानों ने नागा साधुओं से बचाते हुए किनारे किया। बताया जाता है कि नागा साधु जब निकलते हैं तो किसी को बीच में आने की इजाजत नहीं देते।
वसंत पंचमी में पांटून पुलों के खुले रहने से आना-जाना रहा आसान
महाकुंभ में अमृत स्नान पर्व वसंत पंचमी पर श्रद्धालुओं के आने-जाने के लिए पांटून पुलों के खुले रहने से किसी भी तरह की अप्रिय स्थिति पैदा नहीं हुई। पुलों से दिनभर श्रद्धालु आते-जाते रहे। अरैल से झूंसी जाने के लिए पुल नंबर 28 खुला रहा। संगम से झूंसी जाने के लिए पुल नंबर 2,4, 8, 11, 13, 15, 17, 20, 22, 23 व 25 खुले रहे। झूंसी से संगम आने वाले श्रद्धालु पुल नंबर 16, 18, 21 और 24 से बिना किसी परेशानी के आते दिखे। झूंसी की तरफ से अरैल आने के लिए पुल नंबर 27 व 29 खुले हुए थे। श्रद्धालु इन मार्गों से आसानी से आवागमन करते देखे गए।
वैष्णव अखाड़ों की अद्भुत अग्नि स्नान साधना शुरू
महाकुंभ त्याग और तपस्या के साथ विभिन्न साधनाओं के संकल्प का भी पर्व है। साधनाओं के विविध संकल्पों का साक्षी बन रहे महाकुंभ में ऐसी ही एक साधना है पंच धूनी तपस्या, जिसे अग्नि स्नान की साधना भी कहा जाता है। इसकी शुरुआत बसंत पंचमी के अमृत स्नान पर्व से हो गई।
पंच धूनी तपस्या का आरंभ
कुंभ क्षेत्र जप, तप और साधना का क्षेत्र है, जिसके हर कोने में कोई न कोई साधक अपनी साधना में रत नजर आ रहे हैं। महाकुंभ के तपस्वी नगर में बसंत पंचमी से एक खास तरह की साधना का आरंभ हुआ है, जिसे लेकर श्रद्धालुओं में खासा कौतूहल है। इस साधना को पंच धूनी तपस्या कहा जाता है, जिसे आम भक्त अग्नि स्नान साधना के नाम से भी जानते हैं। इस साधना में साधक अपने चारों तरफ जलती आग के कई घेरे बनाकर उसके बीच में बैठकर अपनी साधना करता है। जिस आग की हल्की से आंच के सम्पर्क में आने से इंसान की त्वचा झुलस जाती है, उससे कई गुना अधिक आंच के घेरे में बैठकर ये तपस्वी अपनी साधना करते हैं।
वैष्णव अखाड़ों में खालसा संतों में है यह कठिन साधना परम्परा
वैष्णव अखाड़े के खालसा संतों में इस अग्नि स्नान की साधना की परम्परा है, जो बेहद त्याग और संयम की स्थिति में पहुंचने के बाद की जाती है। श्री दिगंबर अनी अखाड़े में महंत राघव दास बताते हैं कि अग्नि साधना वैष्णव अखाड़ों के सिरमौर अखाड़े दिगंबर अनी अखाड़े के अखिल भारतीय पंच तेरह भाई त्यागी खालसा के साधकों की विशेष साधना है। यह साधना अठारह वर्षों की होती है। इस अनुष्ठान को पूरा करने के पीछे न सिर्फ साधना के उद्देश्य की पूर्ति करनी होती है, बल्कि साधु की क्षमता और सहनशीलता का परीक्षण भी होता है। लगातार 18 वर्ष तक साल के 5 माह इस कठोर तप से गुजरने के बाद उस साधु को वैरागी की उपाधि मिलती है।
भारतीय संस्कृति के रंग में डूबे विदेशी श्रद्धालु
वसंत पंचमी पर विदेशी श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाने के बाद भारतीय संस्कृति के जीवंत रंगों में रंगे दिखाई दिए। वो न सिर्फ भारतीय मित्रों के साथ आध्यात्मिक गहराइयों में डूबे रहे, बल्कि अन्य तीर्थयात्रियों का गर्मजोशी से स्वागत करते भी दिखे। विदेशी श्रद्धालुओं ने इस विशेष अवसर पर भारतीय परंपराओं को अपनाते हुए दिव्य स्नान में भाग लिया और अपनी यात्रा को एक अद्वितीय और अविस्मरणीय अनुभव बताया।
अनोखा अवसर
इटली से आए एक विदेशी श्रद्धालु ने कहा कि पवित्र डुबकी लगाई। उन्होंने कहा कि यह एक जीवन में मिलने वाला अनोखा अवसर जैसा महसूस हो रहा है। लोग इस क्षण के लिए 144 वर्षों से प्रतीक्षा कर रहे थे। खुद को धन्य महसूस कर रहा हूं। यह मेरे जीवन के सबसे सुंदर अनुभवों में से एक रहा। यहां के लोग हमारे प्रति बहुत ही दयालु रहे हैं।
अदभुत अनुभव
क्रोएशिया से आए एंड्रो ने वसंत पंचमी पर संगम में स्नान के बाद कहा कि मैंने और मेरी पत्नी ने पवित्र स्नान किया। यह एक अद्भुत अनुभव है। वास्तव में दिव्य महाकुंभ की अनुभूति हो रही है। यहां व्यवस्थाएं और सुविधाएं सब कुछ बहुत शानदार और उत्तम रहा।
सबसे अनमोल दिन
ऑस्ट्रिया से आई अविगेल कहती हैं, यह अविश्वसनीय और अद्भुत है। यह जीवन में एक बार मिलने वाला अनुभव है। मैंने भारत के लोगों को समझना शुरू किया है। इससे पहले मैंने कभी ऐसा कुछ नहीं देखा। इटली से एक अन्य श्रद्धालु भी कहते हैं, यह मेरे लिए इस तरह का पहला अवसर है। मैं इटली से आ रहा हूं और मैं बहुत बहुत खुश हूं। यह मेरे जीवन का सबसे बड़ा अनुभव है।
संगम तट पर डमरू बजा नाचे नागा बाबा…आकर्षण का रहा केंद्र…घोड़ों पर शस्त्रों से युद्ध कला का किया प्रदर्शन
महाकुंभ 2025 के अंतिम अमृत स्नान वसंत पंचमी पर संगम तट पर डमरू बजा और युद्धकला का अद्भुत प्रदर्शन करने वाले नागा साधु, श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बने थे। त्रिवेणी तट पर इन साधुओं की पारंपरिक और अद्वितीय गतिविधियों ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा। अमृत स्नान के लिए ज्यादातर अखाड़ों का नेतृत्व कर रहे इन नागा साधुओं का अनुशासन और उनका पारंपरिक शस्त्र कौशल देखने लायक था। कभी डमरू बजाते हुए तो कभी भाले और तलवारें लहराते हुए इन साधुओं ने युद्ध कला का अद्भुत प्रदर्शन किया। लाठियां भांजते और अठखेलियां करते हुए ये साधु अपनी परंपरा और जोश का प्रदर्शन कर रहे थे।
घोड़ों पर और पैदल निकली शोभा यात्रा
वसंत पंचमी के अमृत स्नान के लिए निकली अखाड़ों की शोभा यात्रा में कुछ नागा साधु घोड़ों पर सवार थे, तो कुछ पैदल चलते हुए अपनी विशिष्ट वेशभूषा और आभूषणों से सजे हुए थे। जटाओं में फूल, फूलों की मालाएं और त्रिशूल हवा में लहराते हुए उन्होंने महाकुंभ की पवित्रता को और शोभायमान कर दिया। स्व-अनुशासन में रहने वाले इन साधुओं को कोई रोक नहीं सकता था, लेकिन वो अपने अखाड़ों के शीर्ष पदाधिकारियों के आदेशों का पालन करते हुए आगे बढ़े। नगाड़ों की गूंज के बीच उनके जोश ने इस अवसर को और भी खास बना दिया। त्रिशूल और डमरू के साथ उनके प्रदर्शन ने यह संदेश दिया कि महाकुंभ केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि प्रकृति और मनुष्य के मिलन का उत्सव है।
नृत्य, नगाड़े और उत्साह
शोभायात्रा के दौरान श्रद्धालुओं के मोबाइल के कैमरे भी नागा साधुओं को कैप्चर करने के लिए हवा में लहरा रहे थे। नागा भी किसी को निराश नहीं कर रहे थे, बल्कि वो अपने हाव भाव से उन्हें आमंत्रित कर रहे थे। कुछ नागा तो आंखों में काला चश्मा लगाकर आम लोगों से इंटरैक्ट भी कर पा रहे थे। उनकी इस स्टाइल को हर कोई कैद कर लेना चाहता था। यही नहीं नागा साधु नगाड़ों की ताल पर नृत्य करते हुए अपनी परंपराओं का जीवंत प्रदर्शन कर रहे थे। उनकी जोश और उत्साह से भरपूर गतिविधियों ने श्रद्धालुओं के बीच अपार उत्साह पैदा किया, जितने उत्साहित नागा साधु थे, उतने ही श्रद्धालु भी उनकी हर गतिविधि को देख मंत्रमुग्ध हो गए।
संगम में डुबकी और अटखेली
नागा साधुओं का स्नान का अंदाज निराला था। त्रिवेणी संगम में उन्होंने पूरे जोश के साथ प्रवेश किया और पवित्र जल के साथ अठखेलियां कीं। इस दौरान सभी नागा आपस में मस्ती करते नजर आए।
महिला नागा संन्यासी भी जुटीं
पुरुष नागा साधुओं के साथ ही महिला नागा संन्यासियों की भी बड़ी संख्या में मौजूदगी रही। पुरुष नागाओं की तरह ही महिला नागा संन्यासी भी उसी ढंग से तप और योग में लीन रहती हैं। फर्क सिर्फ इतना होता है कि ये गेरुआ वस्त्र धारत करती हैं, उसमें भी ये बिना सिलाया वस्त्र धारण करती हैं। उन्हें भी परिवार से अलग होना पड़ता है। खुद के साथ परिवार के लोगों का पिंड दान करना होता है, तब जाकर महिला नागा संन्यासी बन पाती हैं। जब एक बार महिला नागा संन्यासी बन जाती हैं तो उनका लक्ष्य धर्म की रक्षा, सनातन की रक्षा करना होता है। इस महाकुंभ में हर कोई इनके बारे में जानने को उत्सुक नजर आ रहा है।
श्रद्धालुओं के लिए संदेश
नागा साधुओं ने अपने व्यवहार और प्रदर्शन से यह संदेश दिया कि महाकुंभ केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि मनुष्य के आत्मिक और प्राकृतिक मिलन का उत्सव है। उनकी हर गतिविधि में महाकुम्भ की पवित्रता और उल्लास का अद्वितीय अनुभव झलक रहा था। महाकुंभ 2025 का यह आयोजन नागा साधुओं की विशिष्ट गतिविधियों और उनकी परंपराओं के कारण लंबे समय तक याद रखा जाएगा।
वसंत पंचमी के अमृत स्नान में सराबोर हुई संगम नगरी…आम और खास ने संग लगाई डुबकी
वसंत पंचमी पर्व के अमृत स्नान में सोमवार को पूरी संगम नगरी सराबोर हो गई। मोक्षदायिनी गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में श्रद्धा व आस्था से ओत-प्रोत साधु-संत, श्रद्धालु, कल्पवासी, स्नानार्थी और गृहस्थों का स्नान समय के साथ-साथ नए शिखर पर पहुंच गया था। इस तीसरे अंतिम अमृत स्नान पर महाकुंभ में अब तक स्नानार्थियों की संख्या 35 करोड़ का आंकड़ा पार कर चुकी है। अभी महाकुंभ को 23 दिन शेष है और पूरी उम्मीद है कि मेला प्रशासन को स्नानार्थियों की संख्या 50 करोड़ के ऊपर जा सकती है।
विविध संस्कृतियों की झलक
अंतिम अमृत स्नान में प्रयागराज में श्रद्धालुओं व स्नानार्थियों के जोश और उत्साह में कोई कमी नहीं दिखी। देश और दुनिया से पवित्र त्रिवेणी में श्रद्धा व आस्था की डुबकी लगाकर पुण्य प्राप्त करने के लिए श्रद्धालु बड़ी संख्या में पहुंचे थे। सुबह से ही करोड़ों श्रद्धालु त्रिवेणी संगम स्नान को पहुंचे। सोमवार को स्नानार्थियों की संख्या 35 करोड़ पार कर चुकी थी। स्नानार्थियों में 10 लाख कल्पवासियों के साथ-साथ देश-विदेश से आए श्रद्धालु एवं साधु-संत शामिल रहे।
वीवीआईपी लगा चुके हैं पावन डुबकी
गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ (मंत्रिमंडल समेत) संगम में डुबकी लगा चुके हैं। इसके अलावा राज्यपाल आनंदी बेन पटेल, राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल, केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, अर्जुन राम मेघवाल, बीजेपी सांसद सुधांशु त्रिवेदी, राज्य सभा सांसद सुधा मूर्ति, असम विधानसभा अध्यक्ष विश्वजीत दैमारी, सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव, प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता माता प्रसाद पांडे, गोरखपुर के सांसद रवि किशन, हेमा मालिनी, बॉलीवुड एक्ट्रेस भाग्यश्री, अनुपम खेर, मिलिंद सोमण, एक्ट्रेस से किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर बनीं ममता कुलकर्णी, कवि कुमार विश्वास, क्रिकेटर सुरेश रैना, खली और कोरियोग्राफर रेमो डिसूजा भी संगम में स्नान कर चुके हैं।

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